नवगीत
संजीव
.
हाथों में मोबाइल थामे
गीध दृष्टि पगडंडी भूली
भटक न जाए
.
राजमार्ग पर जाम लगा है
कूचे-गली हुए हैं सूने
ओवन-पिज्जा का युग निर्दय
भटा कौन चूल्हे में भूने?
महानगर में सतनारायण
कौन कराये कथा तुम्हारी?
गोबर बिन गणेश का पूजन
कैसे होगा बिपिनबिहारी?
कलावती की कथा सुन रहे
लीला की लीला मन झूली
मटक न आए
.
रावण रखकर रूप राम का
करे सिया से नैन मटक्का
मक्का जाने खों जुम्मन नें
बेंच दई बीजन कीं मक्का
हक्का-बक्का खाला बेबस
बिटिया बारगर्ल बन सिसके
एड्स बाँट दूँ हर गाहक को
भट्टी अंतर्मन में दहके
ज्वार-बाजरे की मजबूरी
भाटा-ज्वार दे गए सूली
गटक न पाए
.
संजीव
.
हाथों में मोबाइल थामे
गीध दृष्टि पगडंडी भूली
भटक न जाए
.
राजमार्ग पर जाम लगा है
कूचे-गली हुए हैं सूने
ओवन-पिज्जा का युग निर्दय
भटा कौन चूल्हे में भूने?
महानगर में सतनारायण
कौन कराये कथा तुम्हारी?
गोबर बिन गणेश का पूजन
कैसे होगा बिपिनबिहारी?
कलावती की कथा सुन रहे
लीला की लीला मन झूली
मटक न आए
.
रावण रखकर रूप राम का
करे सिया से नैन मटक्का
मक्का जाने खों जुम्मन नें
बेंच दई बीजन कीं मक्का
हक्का-बक्का खाला बेबस
बिटिया बारगर्ल बन सिसके
एड्स बाँट दूँ हर गाहक को
भट्टी अंतर्मन में दहके
ज्वार-बाजरे की मजबूरी
भाटा-ज्वार दे गए सूली
गटक न पाए
.
जवाब देंहटाएंओह
अंतर्मन के पार जाता हुआ यह मार्मिक नवगीत
Sheelendra Chauhan
जवाब देंहटाएंरावण रखकर रूप राम का-अच्छी अभिव्यक्ति।
Brijesh Shrivastava
जवाब देंहटाएंनव गीत का वितान विस्तार मन मोहक है
नव वर्ष पर शुभ कामनायें
Radhey Raman Tripathi
जवाब देंहटाएंमित्र
नवगीत-सृजन में आपकी सिद्धहस्तता नित नई ऊंचाइयां छू रही है। बधाई।
Sanjiv Verma 'salil' sheelendra ji, brijesh ji, radhe shyam ji, ripudaman ji utsahvardhan hetu abhar.
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