गुरुवार, 1 जनवरी 2015

navgeet 2015

प्रथम नवगीत २०१५
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हे साल नये!
मेहनत के रच दे गान नये
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सूरज ऊगे
सब तम पीकर खुद ही डूबे
शाम हँसे, हो 
गगन सुनहरा, शशि ऊगे
भूचाल नये
थक-हार विफल तूफ़ान नये
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सामर्थ्य परख  
बाधा-मुश्किल वरदान बने  
न्यूनता दूर कर  
दृष्टि उठे या भृकुटि तने  
वाचाल न हो 
पुरुषार्थ गढ़े प्रतिमान नये 
.
कंकर शंकर 
प्रलयंकर, बन नटराज नचे
अमृत दे सबको
पल में सारा ज़हर पचे
आँसू पोंछे
दस दिश गुंजित हों  गान नये
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१-१-२०१५, ०१.१०

5 टिप्‍पणियां:

  1. Chandresh Chhatlani chandresh.chhatlani@gmail.comशनिवार, जनवरी 03, 2015 9:22:00 am

    Chandresh Chhatlani
    chandresh.chhatlani@gmail.com
    JRN Rajasthan Vidyapeeth University

    बहुत ही प्यारा नवगीत सर ||

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  2. Kailash Sharma


    बहुत सुन्दर रचनाएँ...नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामनायें!

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  3. Anant Alok
    anantalok1@gmail.com
    हिमाचल सरकार
    बहुत शुक्रिया आदरणीय , आपको भी नूतन वर्ष की अनंत मंगल कामनाएं

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  4. Jakhmola,R.C. Dr. ramesh_jakhmola@yahoo.co.inशनिवार, जनवरी 03, 2015 7:00:00 pm

    Jakhmola,R.C. Dr.
    ramesh_jakhmola@yahoo.co.in
    Dear Sir,
    Thanks. We reciprocate. May lord bless you all good things in years to come. Happy new year.
    Ramesh

    Dr Ramesh C. Jakhmola
    14 A, Devlok Phase 2
    Sevelan Kalan
    Shimla Bypass
    Dehradun 248171
    Uttarakhand
    INDIA

    जवाब देंहटाएं
  5. Santosh Bhauwala santosh.bhauwala@gmail.comरविवार, जनवरी 04, 2015 3:24:00 pm

    Santosh Bhauwala santosh.bhauwala@gmail.com

    आदरणीय संजीव जी ,नए साल की खूबसूरत रचना ,बधाई

    संतोष भाऊवाला

    जवाब देंहटाएं