नवगीत:
सांध्य सुंदरी
तनिक न विस्मित
न्योतें नहीं इमाम
तनिक न विस्मित
न्योतें नहीं इमाम
जो शरीफ हैं नाम का
उसको भेजा न्योता
सरहद-करगिल पर काँटों की
फसलें है जो बोता
उसको भेजा न्योता
सरहद-करगिल पर काँटों की
फसलें है जो बोता
मेहनतकश की
थकन हरूँ मैं
चुप रहकर हर शाम
थकन हरूँ मैं
चुप रहकर हर शाम
नमक किसी का, वफ़ा किसी से
कैसी फितरत है
दम कूकुर की रहे न सीधी
यह ही कुदरत है
कैसी फितरत है
दम कूकुर की रहे न सीधी
यह ही कुदरत है
खबरों में
लाती ही क्यों हैं
चैनल उसे तमाम?
लाती ही क्यों हैं
चैनल उसे तमाम?
साथ न उसके मुसलमान हैं
बंदा गंदा है
बिना बात करना विवाद ही
उसका धंधा है
बंदा गंदा है
बिना बात करना विवाद ही
उसका धंधा है
थूको भी मत
उसे देख, मत
करना दुआ-सलाम
उसे देख, मत
करना दुआ-सलाम
***
Saurabh Pandey
जवाब देंहटाएंमौजूं माहौल पर प्रस्तुति के लिए हृदय से धन्यवाद आचार्यजी..
गीत हरतरह से नवता लिये हुए है..
सादर
पूर्णिमा वर्मन
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया और सामयिक बधाई !
Sanjiv Verma 'salil'
जवाब देंहटाएंबिम्ब और प्रतिबिम्ब पूर्णिमा में शशि का सौरभ बिखराए
धन्य हुआ संजीव निरख छवि गीत मुग्ध हो वारी जाए