शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

Guru-shishya: sanjiv

शिक्षक दिवस पर एक कहावत:
गुरु गुड तो चेला शक्कर अर्थात गुरु ने की श्रेष्ठ उनसे भी बेहतर बना.
श्रेष्ठ शिक्षक वही जिसका छात्र भी श्रेष्ठ हो, शिक्षक दिवस पर नमन शिक्षक-छात्र की परंपरा को :
विश्वामित्र - राम, लक्ष्मण
संदीपनी - कृष्णा, सुदामा
बुद्ध - आनंद
सुकरात - प्लेटो - अरस्तु - सिकंदर
रामकृष्ण परमहंस - स्वामी विवेकानंद
द्रोणाचार्य - अर्जुन, एकलव्य, भीम, युधिष्ठिर
परशुराम - कर्ण
डॉ. होमी जहांगीर भाभा - डॉ - साराभाई - डॉ. अब्दुल कलाम
बलराम - दुर्योधन
रामानंद - कबीर - मीरां
चाणक्य - चन्द्रगुप्त
स्वामी ब्रम्हानंद सरस्वती - महर्षि महेश योगी, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
गुरु रामदास - छत्रपति शिवाजी
रमाकांत आचरेकर - सचिन तेंदुलकर
इस सूची में आप भी जोड़िए कुछ नाम.

4 टिप्‍पणियां:

  1. Dr.M.C. Gupta' mcgupta44@gmail.com [eChintan]शुक्रवार, सितंबर 05, 2014 8:09:00 pm

    Dr.M.C. Gupta' mcgupta44@gmail.com [eChintan]"


    सन्दर्भ--श्रेष्ठ शिक्षक वही जिसका छात्र भी श्रेष्ठ हो

    ***

    मैं सहमत नहीं हूँ.

    कोई भी श्रेष्ठ तब कहलाएगा जब वह मेहनत, श्रद्धा और लगन और ईमानदारी से अपना कार्य करेगा.

    किसी दूर दराज़ गाँव में अछूत बस्ती में साधनों के बिना मेहनत से पढ़ाने वाला शिक्षक, जिसे वेतन बहुत कम मिलता हो, उस शिक्षक से श्रेष्ठ है जो दिल्ली, मद्रास आदि में बड़े, साधन संपन्न स्कूल में पढ़े लिखे अमीरों के बच्चों को पढाता है, चाहे पहले के पढ़ाए क्लर्क बने और दूजे के पढ़ाए डाक्टर बनें.

    --ख़लिश

    जवाब देंहटाएं
  2. Ravindra Munshi munshiravi@gmail.com

    मैं भी आदरणीय गुप्ता जी एवं घनश्यामजी से पूर्ण सहमत हूँ। स्वयं पिछले ५२ वर्षों से शिक्षक के रूप में कार्यरत रहने के पश्चात् मैं यह बात अधिकार और पूर्ण विश्वास से कह सकता हूँ कि शिक्षक की सफलता उसकी लगन व श्रम से नापना चाहिये, न कि विद्यार्थियों की सफलता से।



    --

    iडा. रवीन्द्र नाथ मुंशी

    जवाब देंहटाएं
  3. Ghanshyam Gupta gcgupta56@yahoo.com

    मित्रो,

    यहां मैं भी आदरणीय डॉ० महेश गुप्त जी से सहमत हूं। उपलब्धियों को साधन, प्रयत्न और भावना के परिप्रेक्ष्य में ही देखना होगा। द्रोणाचार्य ने एकलव्य और कर्ण को शिष्य रूप में स्वीकार ही नहीं किया जिससे अर्जुन ही सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कहलाये। बहुत से मेधावी छात्र साधनों के अभाव में और परिस्थितिवश उस शिक्षा से वंचित रह जाते हैं जिसके वे वास्तविक अधिकारी होते हैं। ऐसी ही बात शिक्षकों के विषय में भी है।

    श्रीनिवास रामानुजन की अंग्रेज़ी कमज़ोर थी जिसके फलस्वरूप वे कभी परीक्षा में उत्तीर्ण होकर स्नातक की उपाधि न पा सके।

    कर्मण्येवाधिकारस्ते !

    श्रेष्ठ चिकित्सक अपने सभी रोगियों को आरोग्य प्रदान नहीं कर सकता क्यों कि कुछ के रोग असाध्य भी हो सकते हैं। ऐसे ही बहुत परहेज़ी और सामान्य रोग से ग्रस्त व्यक्ति भी काल-कवलित हो सकता है यदि उसका चिकित्सक अयोग्य हो।

    - घनश्याम

    जवाब देंहटाएं
  4. मित्रों

    शिक्षक ४० वर्ष लगन से अध्यापन का दवा करे और उसका एक भी विद्यार्थी सफल न हो क्या उसे श्रेष्ठ शिक्षक कहा जाना उचित होगा? जो जहाँ भी शैक्षणिक कार्य कर रहा है अपने अध्यापन काल में कम से कम विद्यार्थी को भी श्रेष्ठ बना सके तो बहुत कुछ बदल जायेगा। मुझे विविध विषयों/संकायों में ३२ वर्ष अध्ययन का अनुभव है. इस अवसर पर मुश्किल से २-३ शिक्षक याद आते हैं जिन्हें नियमित या कुशल अध्यापन हेति नमन करने का मन होता है. शेष औपचारिक सम्मान ही दिया जा सकता है.

    जवाब देंहटाएं