गुरुवार, 1 मई 2014

chhand salila: kundal chhand -sanjiv

​ॐ
छंद सलिला:

कुंडल छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति महारौद्र , प्रति पद मात्रा २२ मात्रा, यति १२ - १०, पदांत गुरु गुरु (यगण, मगण) ।

लक्षण छंद:
   कुंडल बाईस कला / बारह दस बाँटो

   चरण-अंत गुरु-गुरु हो / सरस शब्द छाँटो
   भाव बिम्ब रस लय का / कोष छंद प्यारा
   अलंकार सह प्रतीक / रखिए चुन न्यारा                                                                                                                        
उदाहरण:
१. करण कवच कुण्डल में / सूरज सम सोहें

    बारह घंटे दस शर / लक्ष्य बेध मोहे
    गुरु के गुरु परशुराम / शुभाशीष देते
    चरणों से उठा शिष्य / बाँहों भर लेते

२. शिव शंकर प्रलयंकर अभ्यंकर भोले 
     गंगाधर डमरूधर मणि-विषधर डोले
     डिम डिम डम निगमागम / मंत्र ऋचा व्यापे
     नाद ताल थाप अगम / दशकंधर काँपे 
     सुरसरिधर मस्तक पर / शिशु शशि छवि चमके
     शक्ति-भक्ति, युक्ति-मुक्ति / कर त्रिशूल दमके
     जटाजूट बिखर बिखर / कहते शुचि गाथा
     स्वेद-बिंदु कन सज्जित / नीलभित माथा
     नीलकण्ठ उमानाथ / पशुपति त्रिपुरारी
     विश्वनाथ सोमनाथ / जगपति कामारी
     महाकाल वैद्यनाथ / सति-पति अविनाशी
     नर्मदेश शशिपतेश / गंगेश्वर योगी
     वैरागी-अनुरागी / भूतेश्वर भोगी
     दयानाथ क्षमानाथ / कृपानाथ दाता
     रामेश्वर गोपेश्वर / गुप्तेश्वर त्राता
     कंकर-कंकरवासी / घट-घट सन्यासी
     ओढ़े दिक्-अम्बर हँस / सत-शिव आभासी
     सुंदर सुन्दरतर हे! / सुन्दरतम देवा
     सत-चित-आनंद तुम्हीं / करो सफल सेवा
                    *********
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दीप, दीपकी, दोधक, नित, निधि, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, योग, ऋद्धि, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वाणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हेमंत, हंसगति, हंसी)
।। हिंदी आटा माढ़िये, उर्दू मोयन डाल । 'सलिल' संस्कृत सान दे, पूरी बने कमाल ।।
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'


4 टिप्‍पणियां:

  1. Shar ekavita

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    Param sunder shiv vandan!
    Dhanyavad Acharya ji!
    Shardula

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  2. Makesh K Tiwari द्वारा yahoogroups.com ekavita

    आचार्य जी,

    नव सदी की शिव स्तुति तुलसी रचित सम जान पड़ती है, नमन आपकी लेखनी को....

    सादर,
    मुकेश कुमार तिवारी
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  3. Kusum Vir द्वारा yahoogroups.com

    ekavita

    आदरणीय आचार्य जी,
    अति सुन्दर शिव वन्दन l
    आपकी भक्ति और काव्य शक्ति को नमन l
    सादर,
    कुसुम

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  4. शार्दुला जी, कुसुम जी, मुकेश जी

    आपकी सहृदयता और भक्ति-भाव को प्रणाम। शिव कृपा पा धन्य हूँ।

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