छंद सलिला:
ताटंक छंद :
संजीव
*
(छंद विधान: यति १६ - १४, पदांत मगण, सम पदान्ती द्विपदिक मात्रिक छंद)
मराठी का लावणी छंद भी १६ - १४ मात्राओं का छन्द है किन्तु उसमें पदांत में मात्रा सम्बन्धी कोई नियम नहीं होता।)
ताटंक छंद :
संजीव
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(छंद विधान: यति १६ - १४, पदांत मगण, सम पदान्ती द्विपदिक मात्रिक छंद)
मराठी का लावणी छंद भी १६ - १४ मात्राओं का छन्द है किन्तु उसमें पदांत में मात्रा सम्बन्धी कोई नियम नहीं होता।)
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सोलह-चौदह यतिमय दो पद, मगण अंत में आया हो.
रचें छंद ताटंक कर्ण का, आभूषण लहराया हो..
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सोलह-चौदह यतिमय दो पद, मगण अंत में आया हो.
रचें छंद ताटंक कर्ण का, आभूषण लहराया हो..
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आये हैं लड़ने चुनाव जो, सब्ज़ बाग़ दिखलायें क्यों?
झूठे वादे करते नेता, किंचित नहीं निभायें क्यों?
सत्ता पा घपले-घोटाले, करें नहीं शर्मायें क्यों?
न्यायालय से दंडित हों, खुद को निर्दोष बतायें क्यों?
जनगण को भारत माता को, करनी से भरमायें क्यों?
जनगण को भारत माता को, करनी से भरमायें क्यों?
ईश्वर! आँखें मूंदें बैठे, 'सलिल' न पिंड छुड़ायें क्यों?
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Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil' salil.sanjiv@gmail.com
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sn Sharma द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंआ० आचार्य जी
अति सुन्दर कटूक्ति-मुक्तिका । आज के राजनैतिक परिवेश का
सही चित्रण है ।
सादर
कमल
Kavyitri Sneh Bharti
जवाब देंहटाएंnetao ki hakikat byan ki hai
Kusum Vir द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंआज के राजनैतिक परिवेश का यथार्थ चित्रण l