दोहे पर कुंडली:
दोहा : डॉ. गोपाल राजगोपाल, रोला: संजीव 'सलिल'“क्यों कातिल की खोज में,दुबले होते आप
करली होगी खुदकुशी , मैंने ही चुपचाप”
मैंने ही चुपचाप देख करतूत संत कीभोग बना शुरुआत संत के पतित अंत की
कहे 'सलिल' गो पाल पलते कान्हा थे ज्यों
लालू और मुलायम भूले गोपालन क्यों?
Sanjiv verma 'Salil'
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Kusum Vir द्वारा yahoogroups.co
जवाब देंहटाएंआदरणीय आचार्य जी,
वाह !
क्या बात !
अति सुन्दर !
कुसुम वीर
sn Sharma द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंआ० आचार्य जी,
दोहे पर कुंडली बहुत जंची । पांचवीं पंक्ति में शायद
पलते के स्थान पर पालते होगा जो टंकण के कारण रह
गया ।
सादर
कमल
sanjiv verma salil
जवाब देंहटाएं7:09 pm (0 मिनट पहले)
ekavita
कमल जी, कुसुम जी
आपका आभार शत-शत.
टंकण त्रुटि हेतु खेद है.
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Kusum Vir
जवाब देंहटाएंआचार्य जी,
आपका यह नया प्रयोग अति सुन्दर, रुचिकर और सार्थक है l
बहुत बधाई और अशेष सराहना के साथ,
Kusum Vir
जवाब देंहटाएंआचार्य जी,
आपका यह नया प्रयोग अति सुन्दर, रुचिकर और सार्थक है l
बहुत बधाई और अशेष सराहना के साथ,
सार्थक प्रयोग
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रयोग
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