मुक्तिका:
अँधेरा चाहनेवाले...
संजीव
*
अँधेरा चाहनेवाले, उजाला पा नहीं सकते
भले पी लें नयन से, हुस्न को वे खा नहीं सकते
गला सबको मिला है. बात अपनी कहने का हक है
न रहता मौन कागा, जग कहे तुम गा नहीं सकते
सहज सन्यास का विन्यास लेकिन कठिन आराधन
न तुम तक आयेंगे वे, तुम भी उन तक जा नहीं सकते
अहम् का वहम, माया-मोह जब तक उड़ न जाएगा
धरा का ताप हरने, मेघ बनकर छा नहीं सकते
न चाहा जिन्हें तुमने, चाहने का दिखावा करके
भुलावे में रहो मत 'सलिल', उनको भा नहीं सकते
नहीं कुछ मोल जिसका, जो बाजारों में नहीं बिकता
'सलिल' ईमान को खोकर, दुबारा ला नहीं सकते
=========
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot. in
अँधेरा चाहनेवाले...
संजीव
*
अँधेरा चाहनेवाले, उजाला पा नहीं सकते
भले पी लें नयन से, हुस्न को वे खा नहीं सकते
गला सबको मिला है. बात अपनी कहने का हक है
न रहता मौन कागा, जग कहे तुम गा नहीं सकते
सहज सन्यास का विन्यास लेकिन कठिन आराधन
न तुम तक आयेंगे वे, तुम भी उन तक जा नहीं सकते
अहम् का वहम, माया-मोह जब तक उड़ न जाएगा
धरा का ताप हरने, मेघ बनकर छा नहीं सकते
न चाहा जिन्हें तुमने, चाहने का दिखावा करके
भुलावे में रहो मत 'सलिल', उनको भा नहीं सकते
नहीं कुछ मोल जिसका, जो बाजारों में नहीं बिकता
'सलिल' ईमान को खोकर, दुबारा ला नहीं सकते
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Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.
Indira Pratap via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंसंजीव भाई क्या बात है ?
सत्य और वह भी इतना तीखा ,वैसे मुक्तक बहुत जानदार हैं | अब हमें मुक्तक की परिभाषा भी बता दीजिए | किन्हें कहेंगे ? दिद्दा
दिद्दा
जवाब देंहटाएंआपका आभार शत-शत
मुक्तक
सामान्यतः ४ पंक्तियों में कही गयी काव्य रचना मुक्तक होती है जो अपने आप में पूर्ण अर्थात अन्य रचनाओं से स्वतंत्र या मुक्त होती है। मुक्तक मात्रिक या वर्णिक दोनों हो सकते हैं। मुक्तक में पंक्ति की लम्बाई, पदभार या मात्राओं की सीमा नहीं होती किन्तु जो एक पंक्ति में हो वही सब में होना जरूरी है। मुक्तक में चरणान्त में समान तुक पहली, दूसरी, चौथी या पहली-दूसरी में एक तथा तीसरी-छठी में दूसरी रखी जाती है। दो दोहा, दो सोरठा या दो रोला एक मुक्तक हो सकते हैं। चरण के अंत में तुक समानता एक मात्रा, एक अक्षर, एक शब्द या शब्द-समूह की हो सकती है।
उदाहरण :
मुक्तक :
संजीव
भाल पर, गाल पर, अम्बरी थाल पर, चांदनी शाल ओढ़े, ठिठककर खड़ी .
देख सुषमा धरा भी, ठगी रह गयी, ओढ़नी भायी मन, को सितारों जड़ी ..
कुन्तलों सी घटा, छू पवन है मगन, चाल अनुगामिनी, दामिनी की हुई.
नैन ने पालकी में, सजाये सपन, देह री! देहरी, कोशिशों की मुई..
*
एक संध्या निराशा में डूबी मगर, थाम कर कर निशा ने लगाया गले.
भेद पल में गले, भेद सारे खुले, थक अँधेरे गए, रुक गए मनचले..
मौन दिनकर ने दिन कर दिया रश्मियाँ, कोशिशों की कशिश बढ़ चली मनचली-
द्वार संकल्प के खुल गए खुद-ब-खुद, पग चले अल्पना-कल्पना की गली..
*
जख्म सहकर फूल दें, अपनी इबादत है.
फूल लेकर शूल दें, प्यारी हिमाकत है..
लुट गए उफ़ की नहीं, अपनी मुहब्बत है-
लूट कर वे चल दिए, उनकी इनायत है..
*
आपको अपना बनाया और खुद को खो दिया
दिल जलाया हाय! वो समझे दिवाली का दिया
बिन पिए बनकर पपीहा पी कहाँ? कह जल पिया
सब कहा लेकिन न बोला प्रिया ने अब तक पिया
*
मुक्तिका
जिस काव्य रचना में हर दो पंक्तिया अपने आप में पूर्ण और अन्य पंक्तियों से मुक्त होती हैं तथा पहली दो पंक्तियों तथा उसके बाद हर दूसरी पंक्ति में में पदांत-तुकान्त सामान होता है उसे मुक्तिका कहते हैं। मुक्तिका को हिंदी ग़ज़ल एक सीमा में कहा जा सकता है। मुक्तिक में उर्दू ग़ज़ल की बहर का अनुपालन आवश्यक नहीं है। ग़ज़ल में मात्रा गणना तख्ती के आधार पर होती है, मुक्तिका में हिंदी मात्रा गणना के नियमों के आधार पर.
उदाहरण
मुक्त हो दोपदी जिसमें वह मुक्तिका
एक पद-तुक रहे जिसमें वह मुक्तिका
भार पद का गिनें शब्द-उच्चार कर-
मात्रा की न घट-बढ़ करे मुक्तिका
है ग़ज़ल में बहर, मुक्तिका में नहीं
झर रही निर्झरों सी तरल मुक्तिका
Kusum Vir via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब आचार्य जी l
कुसुम वीर
vijay3@comcast.net@yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंसंजीव जी,
आपकी इतनी सुन्दर व्याख्या से मन प्रसन्न हो गया।
धन्यवाद।
सादर,
विजय
vijay3@comcast.net via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएं// अहम् का वहम, माया-मोह जब तक उड़ न जाएगा
धरा का ताप हरने, मेघ बनकर छा नहीं सकते //
संजीव जी, आपने एक ही रचना में इतनी सारी सच्चाई
घोल कर पिला दी... आपको अनेकानेक बधाई और धन्यवाद।
सादर,
विजय
Kusum Vir via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंआ० आचार्य जी,
नहीं कुछ मोल जिसका, जो बाजारों में नहीं बिकता
'सलिल' ईमान को खोकर, दुबारा ला नहीं सकते
बेहद भावपूर्ण सुन्दर पंक्तियाँ l
सादर,
कुसुम वीर
Madhu Gupta via yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
ईमान को खो कर दोबारा ला नही सकते
मधु