सोमवार, 29 अप्रैल 2013

doha chhand men yamak alankar : sanjiv 'salil'

अभिनव प्रयोग: 

शब्द-शब्द दोहा यमक :

संजीव 
*
भिन्न अर्थ में शब्द का, जब होता दोहराव।

अलंकार हो तब यमक, हो न अर्थ खनकाव।।
*
दाम न दामन का लगा, होता पाक पवित्र।

सुर नर असुर सभी पले, इसमें सत्य विचित्र।।
*
लड़के लड़ के माँगते हक, न करें कर्त्तव्य।

माता-पिता मना रहे, उज्जवल हो भवितव्य।।
*
तीर नजर के चीरकर, चीर न पाए चीर।

दिल सागर के तीर पर, गिरे न खोना धीर।।
*
चाट रहे हैं उंगलियाँ, जी भर खाकर चाट।

खाट खड़ी हो गयी पा, खटमलवाली खाट।।
*
मन मथुरा तन द्वारका, नहीं द्वार का काम।

क्या जाने कब प्रगट हों, जीवन धन घनश्याम।।
*
खैर जान की मांगतीं, मातु जानकी मौन।

वनादेश दे अवधपति, मरे जिलाए कौन?

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7 टिप्‍पणियां:


  1. Om Prakash Tiwari via yahoogroups.com


    आदरणीय सलिल जी,
    बहुत सुंदर संकलन है यमक अलंकार का । इसे तो किसी पाठ्यक्रम में पहुंचाया जाना चाहिए ।
    सादर
    ओमप्रकाश तिवारी

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  2. vijay3@comcast.net viayahoogroups.com


    बहुत ही सुन्दर व्याख्या दी है।

    आभार।



    विजय निकोर

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  3. achal verma

    नमन करूँ आचार्य को शब्द शब्द में अर्थ
    इसमें ना आश्चर्य कोई हम दुहराएँ व्यर्थ ॥

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  4. व्यर्थ सकल संसार है, कहते मायाजाल।
    हम सब फिर भी जी रहे, जीने का भ्रम पाल।।

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  5. माननीय !
    वन्दे।
    दोहों पर ध्यान देने हेतु आभार।
    यमक के कई प्रकार हैं: यथा- सार्थक यमक, निरर्थक यमक, अभंग यमक, सभंग यमक आदि।
    यमक के २ से अधिक दोहे माँ शारदा की कृपा से रचे गए हैं इनमें कुछ अन्य प्रकार भी सामने आयेंगे जिनका उल्लेख अभी तक मेरी दृष्टि में नहीं आया है।
    निम्न पर ध्यान देने हेतु निवेदन है-
    १. पछतावे की परछाई सी तुम भू पर छाई हो कौन?
    २. प्रिय तुम तम में मैं प्रियतम में हो जावें द्रुत अंतर्ध्यान
    ३. यों परदे की इज्जत परदेशी के हाथ बिकानी थी - सुभद्रा कुमारी चौहान
    ४. रसिकता सिकता सम हो गयी
    ५. फूल रहे फूलकर फूल उपवन में
    ६. आयो सखि! सावन विरह सरसावन / लाग्यों है बरसावन सलिल चहुँ ओर से
    ७.अयि नित कलपाता है मुझे कान्त होके / जिस बिन कल पता है नहीं प्राण मेरा
    ८. पास ही रे! हीरे की खान / खोजता व्यर्थ रे नादान - निराला

    सामान्यतः यमक में शब्द २ बार प्रयोग होता है। मेरे कुछ दोहों में ७ बार तक शब्द की आवृत्ति भिन्न-भिन्न अर्थों में हुई है।
    इस प्रसंग में अन्य साथियों के मतों की प्रतीक्षा है।

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  6. Ek rachna (shayad RadheShyam ji ki rachit) kuch halki si hai - aali basant bas ant - ayi holi ho li .. will be grateful if this is restored..-Dr. Kashyap

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