चित्र पर कविता%
निम्न चित्र को देखिए& पानी के लिए संघर्ष] नारियों का जीवट] पत्थर फोड़ कर निकलता पानी आदि विविध आयाम समेटे चित्र पर अपने मनोभावों को केंद्रित कीजिए और लोहा मनवाइए अपनी कलम के पानी का ---
पानी पानी हो रहा] पानी देख प्रयास-
श्रम के चरण पखारता] जी में भरे हुलास--
कोशिश पानीदार है] जीवट का पर्याय-
एक साथ मिल लिख रही] नारी नव अध्याय--
आँखों में पानी हया] लाज] शर्म] संकोच-
आँखों का पानी न ले ] और न दे उत्कोच--
आँखों से पानी गिरे] धरती जाए डोल-
पानी उतरे तो नहीं] मोती का कुछ मोल--
पानी का सानी नहीं] रखिए सलिल संभाल-
फोड़ वक्ष पाषाण का] बहे उठाकर भाल--
नभ गिरि भू सागर किए] जब पानी ने एक-
त्राहि त्राहि जग कर उठें] रक्षा करे विवेक--
अनाचार जाता नहीं] क्यों पानी में डूब-
सदाचार क्यों दूबवत] जड़ न जमाता खूब--
बिन अमृत भी ज़िंदगी] खुशियों का आगार-
निराकार पानी बिना हो जाता साकार--
मटकी धर मटकी कमर] लचकी मटकी साथ-
हाथ लगाने जो नहीं] आते रहें अनाथ--
काई-फिसलन मानतीं- संयम&सम्मुख हार-
अंगद सा पग जमाकर मुस्काती है नार--
पानी भू के गर्भ में] छिपा इस तरह आज-
करे सासरा तज बहू] ज्यों मैके में राज--
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सन्तोष कुमार सिंह
चित्र पर कविता
कहो नहीं हमको अबलायें हम सबलायें हैं।
गिरिवर के रिसते जल से घट भर-भर लायें हैं।।
गिरिवर के रिसते जल से घट भर-भर लायें हैं।।
जीवन के इस महायज्ञ में हमको श्रम करना।
टेढ़े-मेड़े पथ पर हमको, निशदिन है चढ़ना।।
टेढ़े-मेड़े पथ पर हमको, निशदिन है चढ़ना।।
जीवन की हर डगर कठिन पर मानें हार नहीं।
अगर होंसला मंजिल पाना है दुश्वार नहीं।।
अगर होंसला मंजिल पाना है दुश्वार नहीं।।
एक दूसरे से सुख-दुःख की चर्चा कर लेते।।
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मधु
पानी की एक बूँद को तरसे नर और नार
जीवन और मरण के बीच पानी की दौड़
न्याय ये कौनसा किस ईश्वर का काम
कही बहता मिटटी में पानी और कहीं
मिटटी निचोड़ , बचाए प्राणों की प्यास
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शिला चीर पानी बहे बुझे सभी की प्यास
- kiran5690472@yahoo.co.in
जवाब देंहटाएंजितनी गहराई इस चित्र में है उतना ही अद्भुत कविता जिसमें पानी का महत्व, आपसी भाई चारा और सामाजिक असमानता सब शामिल है.
सलिल जी की कलम को बारम्बार प्रणाम...
Pranava Bharti द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंप्रणाम दादा!
नतमस्तक हूँ ,परिश्रम को चरितार्थ करते दोहों के लिए साधुवाद स्वीकार करिए।
सादर
प्रणव
deepti gupta द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंदादा की अद्भुत लेखनी को ह्रदय से नमन !
सादर
दीप्ति
deepti gupta द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएं*=D> applause *=D> applause अनुपम , निरुपम रचना और चित्र संजीव जी........! सादर,
दीप्ति
pran sharma द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंपानी पर क्या खूब दोहे हैं सलिल जी के !
- amitasharma2000@yahoo.com
जवाब देंहटाएंमटकी धर मटकी कमर, लचकी मटकी साथ.
हाथ लगाने जो नहीं, आते रहें अनाथ..
*
....शब्द ही नहीं मिल रहे ...ऐसा अदभुत चित्रण .......
वाह!
अमिता
- manjumahimab8@gmail.com
जवाब देंहटाएंअवर्णनीय है आपके इतने सुंदर, सटीक छंदों का कमाल......लेखनी को सलाम.
मंजु
--
शुभेच्छु
मंजु
'तुलसी क्यारे सी हिन्दी को,
हर आँगन में रोपना है.
यह वह पौधा है जिसे हमें,
नई पीढ़ी को सौंपना है. '
---मंजु महिमा
यदि आप हिन्दी में ज़वाब देना चाहते हैं तो हिन्दी में लिखने के लिए एक आसान तरीका , कृपया इस लिंक की सहायता लें
http://www.google.com/transliterate/indic
सम्पर्क-+91 9925220177
Kiran Sinha kavyadhara
जवाब देंहटाएंBahut sundar rachna keliye badhai.
sadar
Kiran Sinha
Pranava Bharti द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंआ.सलिल जी ,
अति सुंदर ,विचारात्मक भाव लिए हुए चित्र !
साधुवाद
Santosh Bhauwala द्वारा yahoogroups.com kavyadhara
जवाब देंहटाएंआदरणीय सलिल जी , शब्द नहीं मिल रहे इतने बहुत सुंदर पानी के दोहों को सराहने के लिए .....अति उत्तम !!
नमन
संतोष भाऊवाला
आपकी पानी पर अत्यंत उतम रचना पढ़ी , और महाराष्ट्र में सूखे की मार झेल रहे किसानों के प्रति मन बोझिल हों उठा
जवाब देंहटाएंआज बहुत दिनों के बाद कुछ पढ़ा
मधु
आप की पारखी दृष्टि को नमन.
जवाब देंहटाएंपानी जग की दीप्ति है, जीवनरक्षक प्राण
पानी मधुमय प्रीति है, मंजु मृदुल सम्प्राण
प्रणव किरण अमिता सरस, कमल हरे संताप
आब कांति सम्मान जल, सलिल धार खुद आप