बुधवार, 20 मार्च 2013

बाल कविता: जल्दी आना ... संजीव 'सलिल'

बाल कविता:

जल्दी आना ...











संजीव 'सलिल'
*
मैं घर में सब बाहर जाते,
लेकिन जल्दी आना…
*
भैया! शाला में पढ़-लिखना
करना नहीं बहाना.
सीखो नई कहानी जब भी
आकर मुझे सुनाना.
*
दीदी! दे दे पेन-पेन्सिल,
कॉपी वचन निभाना.
सिखला नच्चू , सीखूँगी मैं-
तुझ जैसा है ठाना.
*
पापा! अपनी बाँहों में ले,
झूला तनिक झुलाना.
चुम्मी लूँगी खुश हो, हँसकर-
कंधे बिठा घुमाना.

माँ! तेरी गोदी आये बिन,
मुझे न पीना-खाना.
कैयां में ले गा दे लोरी-
निन्नी आज कराना.
*
दादी-दादा हम-तुम साथी,
खेल करेंगे नाना.
नटखट हूँ मैं, देख शरारत-
मंद-मंद मुस्काना.
***



 

8 टिप्‍पणियां:

  1. Mahipal Tomar

    'सिद्ध कवि' सलिल जी की एक और अदायगी-' बाल कविता'
    सरस , सरल , सुग्राह्य , बस , नमन नमन नमन ---------------नमन ।

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  2. Kiran Sinha

    Sanjiv ji, is sundar, pyari baal kavita ke liye badhai.
    Ati sunder.

    sadar
    Kiran Sinha

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  3. Pranava Bharti

    क्या बात है संजीव जी!
    याद आगई-------
    पप्पा जल्दी आ जाना ,
    छोटी सी गुडिया लाना--
    नन्ही-मुन्नी सी मधुर रचना !
    पूरे दिन मन में गुनगुन करती रहेगी
    सादर
    प्रणव

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  4. dks poet

    आदरणीय सलिल जी,
    सुंदर बाल रचना है। दाद कुबूलें।
    सादर

    धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’

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  5. ksantosh_45@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com

    आ० सलिल जी
    बाल मन को गुदगुदाने वाली सुन्दर कविता। बधाई।
    सन्तोष कुमार सिंह

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  6. - amitasharma2000@yahoo.com


    aree wah wah !

    with regards.
    sincerely
    Dr.Amita
    301-474-2860
    301-509-2331

    जवाब देंहटाएं


  7. डॉक्टर अमिता आ जायें तो, सूई मत लगवाना।
    लायें आइसक्रीम साथ में, जी भर मुझको खाना..
    Sanjiv verma 'Salil'
    salil.sanjiv@gmail.com
    http://divyanarmada.blogspot.in

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  8. shar_j_n

    :) :)

    प्यार सा बालगीत!

    सादर शार्दुल

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