दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
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संजीव भाई , शब्द चित्रों की मुखरता को जीत नहीं पाएँगे,इसी से चुप हूँ | कहांसे ढूँढ़ कर लाते हैं इतने अर्थपूर्ण ,सार्थक चित्र , पहला चित्र बेहद दिल छूने वाला ,अपने में अनेक अर्थ छिपाए , दूसरा भी कुछ कम नहीं ,क्या कहूँ ,बहुत सुन्दर बहुत सुन्दर | दिद्दा
Indira Pratap
जवाब देंहटाएंसंजीव भाई , शब्द चित्रों की मुखरता को जीत नहीं पाएँगे,इसी से चुप हूँ | कहांसे ढूँढ़ कर लाते हैं इतने अर्थपूर्ण ,सार्थक चित्र , पहला चित्र बेहद दिल छूने वाला ,अपने में अनेक अर्थ छिपाए , दूसरा भी कुछ कम नहीं ,क्या कहूँ ,बहुत सुन्दर बहुत सुन्दर | दिद्दा
deepti gupta
जवाब देंहटाएंमस्त चित्र ..........!
Pranava Bharti
जवाब देंहटाएंसत्य मुखरित हो गये हैं
शब्द उनमें ही रचे हैं
भूलकर बासंती रंग सब
इस हवा में खो गये हैं -------------
सुंदर शब्द-चित्रों हेतु बधाई सलिल जी
प्रणव
2013/2/15
जवाब देंहटाएंsn Sharma
यह चित्र स्वयं कविता हैं
यह शब्दातीत कथा हैं
दादा