संजीव 'सलिल'
*
21. नाना
मम्मी के पापा नाना,
खूब लुटाते हम पर प्यार।
जब भी वे घर आते हैं-
हम भी करते बहुत दुलार।।
खूब खिलौने लाते हैं,
मेरा मन बहलाते हैं।
नाना बाँहों में लेकर-
झूला मुझे झुलाते हैं।।
*
22. नानी -1
कहतीं रोज कहानी हैं,
माँ की माँ ही नानी हैं।
हर मुश्किल हल कर लेतीं-
सचमुच बहुत सयानी हैं।।
*
23. नानी-2
नानी जी के गोरे बाल,
धीमी-धीमी उनकी चाल।
दाँत ले गए क्या चूहे-
झुर्रीवाली क्यों है खाल?
चश्मा रखतीं नाक पर,
देखें उससे झाँक कर।
कैसे बुन लेतीं स्वेटर?
लम्बा-छोटा आँककर।।
*
24. चाचा
चाचा पापा के भाई,
हमको लगते हैं अच्छे।
रहें बड़ों सँग, लगें बड़े-
बच्चों में लगते बच्चे।।
चाचा बच्चों संग खेलें,
सबके सौ नखरे झेलें।
जो बच्चा थक जाता -
झट से गोदी में ले लें।।
*
25. बुआ
प्यारी लगतीं मुझे बुआ,
मुझे न कुछ हो- करें दुआ।
पराई बहिना पापा की-
पाला घर में हरा सुआ।।
चना-मिर्च उसको देतीं
मुझे खिलातीं मालपुआ।
*
26.मामा
मामा मुझको मन भाते,
माँ से राखी बँधवाते।
सब बच्चों को बैठकर
गप्प मारते-बतियाते।।
हम आपस में झगड़ें तो-
भाईचारा करवाते।
मुझे कार में बिठलाते-
सैर दूर तक करवाते।।
*
27. मौसी
मौसी माँ जैसी लगती,
मुझको गोद उठा हँसती।
ढोलक खूब बजाती है,
केसर-खीर खिलाती है।
*
28. दोस्त
मुझसे मिलने आये दोस्त,
आकर गले लगाये दोस्त।
खेल खेलते हम जी भर-
मेरे मन को भाये दोस्त।।
*
29. सुबह
सुबह हुई अँधियारा भागा,
हुआ उजाला भाई।
'उठो, न सो' गोदी ले माँ ने
निंदिया दूर भगाई।।
गाय रंभाई, चिड़िया चहकी,
हवा बही सुखदाई।
धूप गुनगुनी हँसकर बोली:
मुँह धो आओ भाई।।
*
30. सूरज
आसमान में आया सूरज,
सबके मन को भाया सूरज।
लाल-लाल आकाश हो गया-
देख सुबह मुस्काया सूरज।।
डरकर भाग गयी है ठंडी
आँख दिखा गरमाया सूरज।
रात-अँधेरे से डर लगता
घर जाकर सुस्ताया सूरज।।
*
Pranava Bharti द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंआ. संजीव जी
आपके शिशु-गीतों ने तो मन में मुस्कराहट भर दी।
रिश्तों के इतने सुन्दर प्रस्तुतिकरण के लिए आपका ह्रदय से साधुवाद।
सादर
प्रणव
Dr.Prachi Singh
जवाब देंहटाएंआदरणीय संजीव वर्मा जी,
बच्चों के दिल को भाने वाली छोटी छोटी पंक्तिया, उनके मनपसंद रिश्ते, बेहद सुन्दर गेयता... इसका प्रिंट निकाल कर अपने बेटे को सारी याद करवाने का दिल है, जहां एक और बच्चे रिश्तों के माधुर्य को आत्मसात करेंगे वहीं नाना नानी, मामा, बुआ, मौसी सब खुश हो जायेंगे बच्चे से अपने स्नेहिल गुणगान सुनकर.
हार्दिक आभार इस प्रस्तुति के लिए.
प्राची जी!
जवाब देंहटाएंनमन.
इन गीतों के रचना का मूल उद्देश्य नन्हें-मुन्नों को उन रिश्तों और उनकी मिठास से परिचित करना है जिन पर अंगरेजी के अंकल-आंटी ने धूल डाल दी है. जो रिश्ते छूट रहे हों उनकी और ध्यान आकृष्ट कराएँ तो उन पर भी शिशु गीत रचूँ. शिशुओं की दृष्टि से कठिन शब्द इंगित किये जाने पर उन्हें बदल कर सरल करना होगा.
deepti gupta द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंआदरणीय संजीव जी,
सुन्दर चित्रों के साथ आपके शिशु गीत बड़े प्यारे और मनहर लगे ! इन्हें पढ़ना और देखना - दोनों ही बहुत अच्छा लगा !
ढेर सराहना के साथ,
दीप्ति
Mahipal Singh Tomar@yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंशिशु गीत सलिला : 3 का आयाम , पैगाम दोनों श्लाघनीय ,बधाई ,
सादर ,
महिपाल
Saurabh Pandey
जवाब देंहटाएंआदरणीय आचार्यजी,
आपकी संवेदनशील दृष्टि ने आजकी सामाजिक विवशता को बखूबी समझा और इसी की परिणति यह शिशु-गीत है. शिशुओं केलिये रिश्ते ही अर्थहीन से हो गये हैं. यही कल के वयस्क होंगे. आज सामाजिकता में माधुर्य और परस्पर विश्वास यदि कम होता जा रहा है तो इसका सबसे बड़ा कारण नींव में संस्कार का लेपन भयावह रूप से कम होत अगया है. आपके सार्थक प्रयास को सादर बधाई तथा इस शिशु-गीत के लिये हार्दिक शुभकामनाएँ.
sn Sharma द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंविभिन्न संबंधों पर बालमन की सहज प्रतिक्रिया
को सुन्दर शब्द-चित्र दिये। बधाई आचार्य जी!
सादर कमल
Rakesh Khandelwal
जवाब देंहटाएंमाननीय आचार्यजी,
आपकी हर विधा पर सशक्त पकड़ है. सादर नमन स्वीकारें.
राकेश
Dr.M.C. Gupta द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंसलिल जी,
आपके शिशु गीत अन्यं को भी बाल कविता लिखने को प्रेरित करेंगे, ऐसी आशा है.
--ख़लिश
Ram Gautam
जवाब देंहटाएंआ. आचार्य जी,
बड़ी सादगी के साथ शिशु गीतों में, रिश्तों का निर्वाह हुआ है,
'शिशु गीत सलिला : 3' के लिए आपको बधाई स्वीकार हो ।
सादर- गौतम
dks poet
जवाब देंहटाएंआदरणीय आचार्य जी,
सुंदर नवगीत के लिए बधाई स्वीकारें।
सादर
धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’
राकेश जी, गौतम जी, खलिश जी, सज्जन जी, कमल जी, महिपाल जी, दीप्ति जी, प्रणव जी, प्राची जी, सौरभ जी
जवाब देंहटाएंआप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद। शिशु गीतों और बाल गीतों के क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना है। आप सबने उत्साहवर्धन किया। शिशु / बाल रचनाओं ओ रचते समय पाठक वर्ग की आयु, शब्द भंडार तथा कल्पना शक्ति का ध्यान आवश्यक है। नुझ्से चूक हो रही हो तो कृपया, इंगित करें ताकि तदनुसार परिवर्तन किया जा सके।
deepti gupta द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंसलोनी, लुभावनी गीत सलिला! पाठक को भोले शैशव में ले जाने वाली!
सादर,
दीप्ति
जवाब देंहटाएंशिशुओं के चारों ओर की दुनिया उन्हीं की नज़र और नज़रिए से देखने के इस प्रयास को आपका प्रोत्साहन मिला धन्यवाद।
dks poet
जवाब देंहटाएंआदरणीय सलिल जी,
अच्छी बाल रचनाएँ। शब्द प्रयोग भी बालकोचित है। बधाई स्वीकारें।
सादर
धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’
Indira Pratap द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंसंजीव भाई ,
रिश्तों की बगिया बहुत अच्छी लगी ,सरल सुन्दर गेय गीत , आज ऐसे गीतों की कितनी ज़रूरत है आप बहुत अच्छा काम कर रहें हैं |काश ! आने वाले बच्चे रिश्तों की गरिमा को समझ सकें|
आपका प्रयास सफल हो इसी कामना के साथ ,दिद्दा
हाँ ! एकबात और यह फ्होतो बहुत गरिमामय लगी |
जवाब देंहटाएंThanks for a marvelous posting! I genuinely enjoyed reading it, you are a great author. I will always bookmark your blog and may come back someday. I want to encourage you to continue your great posts, have a nice evening! google mail sign in