शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

दोहा सलिला: किरण-कीर्ति संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला: किरण-कीर्ति 




संजीव 'सलिल'
*
सूर्य-चन्द्र बिन किरण के, हो जाते हैं दीन.
तिमिर घेर ले तो लगे, नभ में हुए विलीन..




आस-किरण बिन ज़िंदगी, होती सून-सपाट.
भोर-उषा नित जोहतीं, मिलीं किरण की बाट..
 

 

भक्त करे भगवान से, कृपा-किरण की चाह.
कृपा-किरण बिन दे सके, जग में कौन पनाह?


 



किरण न रण करती मगर, लेती है जग जीत.
करे प्रकाशित सभी को, सबसे सच्ची प्रीत..
 



किरण-शरण में जो गया, उसको मिला प्रकाश.
धरती पर पग जमा कर, छू पाया आकाश..
 



किरण पड़े तो 'सलिल' में, देखें स्वर्णिम आभ.
सिकता कण भी किरण सँग, दिखें स्वर्ण-पीताभ..
 



शरतचंद्र की किरण पा, 'सलिल' हुआ रजिताभ.
संगमरमरी शिलाएँ, हँसें हुई श्वेताभ..
 

 

क्रोध-किरण से सब डरें, शोक-किरण से दग्ध.
ज्ञान-किरण जिसको वरे, वही प्रतिष्ठा-लब्ध..
 



हर्ष-किरण से जिंदगी, होती मुदित-प्रसन्न.
पा संतोष-किरण लगे, स्वर्ग हुआ आसन्न..
 



जन्म-दिवस सुख-किरण का, पल-पल को दे अर्थ.
शब्द-शब्द से नमन लें, सार्थक हो वागर्थ..
 


___________________________
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in.divyanarmada
0761 2411131 / 94251 83244




17 टिप्‍पणियां:

  1. - sosimadhu@gmail.com

    अति आदरणीय संजीव जी
    आपकी लेखनी आपकी उँगलियों का स्पर्श पाते ही जादू करने लगती हैं ।
    शब्दों के जादूगर को ढेर सारी बधाई
    मधु

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  2. मधु की सद्भावना ही, बनकर झरे मिठास.
    शब्द-शब्द से अर्थ का, होता तब आभास..

    छूट गयी है लेखनी, टंकित होते भाव.
    'सलिल' विनय प्रभु से करे, हो ना शब्दाभाव..

    जवाब देंहटाएं
  3. sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.comशुक्रवार, सितंबर 14, 2012 11:34:00 am

    sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara


    वाह आचार्य जी,
    नमन आपकी प्रतिभा को!
    सुंदर दोहे,
    मन कमल खिला!
    संदेश मिला
    * *
    मिला किरण को आपका जन्म-दिवस सन्देश
    हुए कृतारथ हम सभी पढ़ दोहे सनिवेश
    सादर
    कमल

    जवाब देंहटाएं
  4. कमल-किरण जब भी पड़े, पंक हो गया धन्य.
    'सलिल'करे नत शिर नमन, आप कृपालु अनन्य..

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  5. deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara


    excellent wishes !
    =D> applause

    जवाब देंहटाएं
  6. kiran [kavyadhara]

    आ. सलिल जी,

    धन्य है आप की लेखनी
    धन्य हैं आप की विचार
    आप के उज्ज्वल विचारों ने किया
    क्षीण पड़ती किरण का उद्धार

    - आप को मेरा बारम्बार नमस्कार
    (किरण निरवाल)

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  7. kiran

    प्रिये साथियों,

    क्षमा चाहती हूँ पता नहीं कैसे मेरी ये ई-मेल बार-बार आती जा रही है..

    दीप्ति जी, अगर आप काव्यधारा के सर्वर से मेरी ई-मेल रोक सकती हैं तो कृपया रोक दीजिए...धन्यवाद


    असुविधा के लिए खेद है

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  8. deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.comशुक्रवार, सितंबर 14, 2012 7:49:00 pm




    प्रिय किरण जी,
    इस काम में, हम जैसे अनाड़ी से आप उम्मीद कर रही हैं कि हम मेल रोक दें!:))laughing
    हम तो mail और male किसी को भी रोक पाने में असमर्थ हैं! :(( crying

    असमर्थता के लिए खेद है! कोई बात नहीं मेल्स आने दीजिए, अपने आप थम जाएगी!

    सस्नेह,
    दीप्ति

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  9. - shishirsarabhai@yahoo.com

    बहुत खूब! What a witty reply Deepti ji! Kiran ji must have enjoyed it.

    Regards,

    Shishir

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  10. Mukesh Srivastava ✆ kavyadhara


    मैं भी लिखनेवाला था, अब आपने लिख ही दिया...स्वस्थ वातावरण, स्वस्थ दिलो-दिमाग के लिए हँसना बहुत ज़रूरी है. दीप्ति जी इस बात का ख्याल रखते हुए, हम सबको अक्सर इसी तरह हँसाती रहती हैं.

    सराहना और करतल ध्वनि के साथ,

    मुकेश

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  11. sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.comशुक्रवार, सितंबर 14, 2012 7:53:00 pm

    sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara

    क्यों नहीं क्यों नहीं
    अवश्य ही अवश्य ही
    मेल में जब मेल हो , मेल औ फी-मेल का
    बन जाती हैं रचनाएं ज्यो सोने में सुहागा
    कमल

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  12. ऊषा-संध्या ला रहीं, नित्य किरण की मेल.
    सूर्य-चन्द्र की दीप्ति का, 'सलिल' अनूठा खेल..

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  13. mail male के मेल को, मत मानें अनमेल.
    यहाँ न कुछ बेमेल है, सच मानें female.

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  14. deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara



    बहुत मनोहारी, संजीव जी! अतिसुन्दर, अतिप्रभावान..............!

    सादर,
    दीप्ति

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  15. किरण-कीर्ति जिनको रुची, उनका शत आभार.
    सुबह-साँझ उनका करे, किरण विहँस सत्कार..

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  16. deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.comशुक्रवार, सितंबर 14, 2012 8:08:00 pm

    deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara


    वाह, वाह, वाह संजीव जी, बहुत खूब कहा!

    जवाब देंहटाएं
  17. - sosimadhu@gmail.com

    ईश्वर आपकी लेखनी को असीम सम्पद्दा प्रदान करें। अभाव जैसे शब्दों का रहें सदा अभाव।
    मधु (अत्यंत आदर सहित)

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