मंगलवार, 28 अगस्त 2012

दोहा सलिला: प्रेम: संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:

प्रेम:



संजीव 'सलिल'
*
गुणिजन शिशु को पढ़ाते, नित्य प्रेम का पाठ.
सब से मिलता प्रेम तो, होते उसके ठाठ..

बालक चाहे टालना नित्य, नये कुछ काम.
'सीखो बच्चे प्रेम से', कहते हो यश-नाम..

हो किशोर जब प्रेम से, लेता कहीं निहार.
करते निगरानी स्वजन, मिले डांट-फटकार..

युवा प्रेम का पाठ पढ़, चाहे भरे उड़ान.
खाप कतरती पर- कहे: 'ले लो दोनों जान.'

क्षेम प्रेम में हो अगर, दोनों दिल में आग.
इकतरफा हो तो 'सलिल',है जहरीला नाग..

हो वयस्क तो प्रेम के, आड़े आता काम.
जले न चूल्हा जेब में, अगर नहीं हों दाम..

साँप और रस्सी लगे, जब तुलसी को एक.
प्रेम वासना बन कहे, पाठ पढ़ाओ नेक..

प्रौढ़ हुआ तो प्रेम की, खुसरो फूले श्वास.
कविता पड़ती सुनाना, तब बुझ पाती प्यास.. 

प्रेम-पींग केशव भरे, 'सलिल' न दम दे साथ.
'बाबा' सुन कर माथ पर, पटक रहा है हाथ..

वृद्ध प्रेम कर राम से, वही आयेंगे काम.
रति न काम के प्रति रहे, प्रेम करे निष्काम..



Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in



7 टिप्‍पणियां:

  1. Binu Bhatnagar ✆ yahoogroups.com kavyadhara


    आदरणीय सलिल जी,
    हर उम्र के प्रेम को उजागर करते अति सुन्दर दोहो के लियें नमन।

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  2. deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.comमंगलवार, अगस्त 28, 2012 8:32:00 pm

    deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara


    आदरणीय संजीव जी,

    सितम्बर माह के शब्द 'प्रेम' पर दोहे रचने में, आपकी लेखनी super fast express की तरह चली और आपने मंच पे प्रस्तुत भी कर दिए! बहुत खूब आपकी लेखनी और बहुत खूब आपके दोहे...!

    ढेर सराहना स्वीकारें,
    सादर,
    दीप्ति

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  3. aadarniy salil ji

    aapke prem ke bahu aayamon ko salam.
    chitron ne abhivaykti ko our bhi adhik sashakt bana diya.
    sarahana ke lie shabd duund rahi huun.shubh kamnaen

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  4. - prans69@gmail.com

    संजीव जी के सभी प्रेम के दोहे अच्छे लगे हैं .
    प्राण शर्मा

    जवाब देंहटाएं
  5. sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.comमंगलवार, अगस्त 28, 2012 8:42:00 pm

    sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara


    आ० आचार्य जी,
    धन्य सलिल जी आप के दोहे हैं रसखान
    प्रेम के भिन्न स्वरुप का करते दिव्य बखान
    सादर,
    कमल

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  6. Pranava Bharti ✆ yahoogroups.com

    kavyadhara


    सच है----
    न हीं शब्द होते मेरे ,न ही विचार महान ,
    यह सच है संजीव जी, आप कला की खान |
    सादर
    प्रणव

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