बाल गीत:
बरसे पानी

संजीव 'सलिल'
*

रिमझिम रिमझिम बरसे पानी.
आओ, हम कर लें मनमानी.

बड़े नासमझ कहते हमसे
मत भीगो यह है नादानी.

वे क्या जानें बहुतई अच्छा
लगे खेलना हमको पानी.

छाते में छिप नाव बहा ले.
जब तक देख बुलाये नानी.

कितनी सुन्दर धरा लग रही,
जैसे ओढ़े चूनर धानी.

काश कहीं झूला मिल जाता,
सुनते-गाते कजरी-बानी.

'सलिल' बालपन फिर मिल पाये.
बिसराऊँ सब अकल सयानी.
*

Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
बरसे पानी
संजीव 'सलिल'
*
रिमझिम रिमझिम बरसे पानी.
आओ, हम कर लें मनमानी.
बड़े नासमझ कहते हमसे
मत भीगो यह है नादानी.
वे क्या जानें बहुतई अच्छा
लगे खेलना हमको पानी.
छाते में छिप नाव बहा ले.
जब तक देख बुलाये नानी.
कितनी सुन्दर धरा लग रही,
जैसे ओढ़े चूनर धानी.
काश कहीं झूला मिल जाता,
सुनते-गाते कजरी-बानी.
'सलिल' बालपन फिर मिल पाये.
बिसराऊँ सब अकल सयानी.
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
Santosh Bhauwala ✆ द्वारा yahoogroups.com kavyadhara
जवाब देंहटाएंआदरणीय आचार्य जी ,बाल गीत पढ़ कर बचपन याद आ गया !! साधुवाद !!
सादर
संतोष भाऊवाला
- prans69@gmail.com
जवाब देंहटाएंसंजीव जी ,
आपके बाल गीत का आनंद हम बड़ों ने भी लिया है
प्राण शर्मा
प्राण जी!
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम.
आपका आशीर्वाद पाना मेरा सौभाग्य है. बहुत-बहुत आभार.
deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंkavyadhara
आदरणीय संजीव जी,
आपके बालगीत ने बहुत आनंदित किया ! हम भी बच्चे बन गए !
साधुवाद,
सादर,
दीप्ति
sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंkavyadhara
आ० आचार्य जी ,
बचपन में बरसते पानी में बच्चों का आँगन व गलियों में धूम-धड़का के चित्र और आपकी कविता
पढ़ कर अपने बचपन के दिन याद आगये -
चित्र देख कविता पढ़ कर भोला बचपन याद आ गया
जब लोटा करते आँगन में झम झम देख बरसता पानी
बैठ बुढापा तकता खिडकी से बाहर का सूना आँगन
बचपन जूझे होम-वर्क से माँ की घुड़की, मरती नानी
आपके नये प्रयोगों के लिये साधुवाद !
कमल