शनिवार, 14 जुलाई 2012

मुक्तिका: मुहब्बत संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

मुहब्बत




संजीव 'सलिल'
*
खुदा की हसीं दस्तकारी मुहब्बत,
इन्सां की है ह्स्तकारी मुहब्बत।
*



चक्कर पे चक्कर लगाकर थको जब,
तो बोलो उसे लस्तकारी मुहब्बत।
*
 


भेजे संदेशा, न मन में भरोसा,
कहें क्यों करें? कष्टकारी मुहब्बत।
*


दुनिया को जीता मगर दिल को हारा,
दिलवर यही पस्तकारी मुहब्बत।
*



रखे एक पर जब नजर दूसरा तो,
कहते उसे गश्तकारी मुहब्बत।
*



छिपे धूप से रवि, शशि चांदनी से,
यही है यही अस्तकारी मुहब्बत।
*



मन से मिले मन, न मिलकर हो उन्मन,
मन न भरे, मस्तकारी मुहब्बत।
*



'सलिल' एक रूठे, मनाये न दूजा,
समझिए हुई ध्वस्तकारी मुहब्बत।
*

मिलकर बिछड़ते, बिछड़कर मिलें जो,
करते 'सलिल' किस्तकारी मुहब्बत।
*




Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com

http://hindihindi.in



6 टिप्‍पणियां:

  1. Mahipal Singh Tomar ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita


    वाह ! छंदों की किस्मों के बाद मुहब्बत की किस्मों का खूबसूरत
    चित्रों के साथ निरूपण ,वाह आचार्य ' सलिल ' जी ,बधाई |
    महिपाल

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  2. बिना मुहब्बत बन सका, कौन कहें महिपाल?
    'सलिल' मुहब्बत पा जिए, कर निज ऊँचा भाल..

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  3. sn Sharma ✆ ahutee@gmail.com द्वारा yahoogroups.com kavyadhara


    वाह आचार्य जी ,
    धन्य हुआ पढ़ कर विनोदी मुक्तिकाएं और जुबां चहक उठी-

    मुहब्बत की यह मस्तकारी मुक्तिका
    दिल हुआ बागबाग देख प्यारी मुक्तिका

    चित्रों से सज गई ' सलिल ' मुक्तिका
    मन हर गई मुस्तकिल मुक्तिका
    सादर
    कमल

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  4. deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.comबुधवार, जुलाई 18, 2012 9:51:00 am

    deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara


    नवीन और रुचिकर प्रस्तुति ! बहुत खूब संजीव जी !

    सादर,
    दीप्ति

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  5. बहुत उम्दा संजीव जी........अत्युत्तम

    सादर,
    कनु

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  6. Pranava Bharti ✆ yahoogroups.com
    kavyadhara


    आ.संजीव जी
    सुंदर,प्रभावी मुक्तिकाओं के लिए
    आपको ढेर सी बधाई .........

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