दोहा गीत:
फिर प्राची से...
संजीव 'सलिल'
*

*
फिर प्राची से प्रगटा है रवि...
*
जाग रात भर कर अथक, अंधकार से जंग.
ले उजियारा आ गया, सबको करता दंग..
कलरव स्वागत कर रहे, अगिन विहग कर गान.
जितनी ताकत पंख में, उतनी भरें उड़ान..
मन-प्राणों में ज्वलित हुई पवि,
फिर प्राची से प्रगटा है रवि...
*

उषा सुंदरी सँग ले, पुलकित लाल कपोल.
अपरूपा सौंदर्य शुचि, लख दिल जाए डोल..
कनक किरण भू को करे, छूकर नम्र प्रणाम.
शयन कक्ष में झाँककर, कहे त्याग विश्राम..
जाग जगा जग को कविता कवि,
फिर प्राची से प्रगटा है रवि...
*

काम त्याग दे भोर भई, रहे काम से काम.
फल की चिंता छोड़ दे, भला करेंगे राम..
नाम न कोई रख सके, कर कुछ ऐसा काम.
नाम मिले- हो देखकर, 'सलिल' प्रसन्न अनाम..
ज्यों की त्यों चादर, उज्जवल छवि,
फिर प्राची से प्रगटा है रवि...

*****
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
फिर प्राची से...
संजीव 'सलिल'
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फिर प्राची से प्रगटा है रवि...
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जाग रात भर कर अथक, अंधकार से जंग.
ले उजियारा आ गया, सबको करता दंग..
कलरव स्वागत कर रहे, अगिन विहग कर गान.
जितनी ताकत पंख में, उतनी भरें उड़ान..
मन-प्राणों में ज्वलित हुई पवि,
फिर प्राची से प्रगटा है रवि...
*
उषा सुंदरी सँग ले, पुलकित लाल कपोल.
अपरूपा सौंदर्य शुचि, लख दिल जाए डोल..
कनक किरण भू को करे, छूकर नम्र प्रणाम.
शयन कक्ष में झाँककर, कहे त्याग विश्राम..
जाग जगा जग को कविता कवि,
फिर प्राची से प्रगटा है रवि...
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काम त्याग दे भोर भई, रहे काम से काम.
फल की चिंता छोड़ दे, भला करेंगे राम..
नाम न कोई रख सके, कर कुछ ऐसा काम.
नाम मिले- हो देखकर, 'सलिल' प्रसन्न अनाम..
ज्यों की त्यों चादर, उज्जवल छवि,
फिर प्राची से प्रगटा है रवि...
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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
bahut sundar rachana prastuti...abhaar
जवाब देंहटाएं- pindira77@yahoo.co.in
जवाब देंहटाएंआदरणीय सलिल जी ,
‘ फिर प्राची से ‘ गीत बहुत सुंदर बन पड़ा है | प्रकृति के संगीत में मग्न मानव जीवन और उसकी नि:संगता, प्रात: की किरणें और उस पर सुंदर चित्र मानों समूचा दिन आपके सामने बिखरा पड़ा हो ,चित्रात्मकता दोनों रूपों में ,किसी का भी मन मोह सकती है | साधुवाद | - इन्दिरा
sn Sharma ✆ ahutee@gmail.com द्वारा yahoogroups.com kavyadhara
जवाब देंहटाएंआ० आचार्य जी,
सदा की भाँति मनोहर गीत -दोहे |
चित्रों के साथ मन मुग्ध कर गये |
साधुवाद
सादर ,
कमल
mukku41@yahoo.comkavyadhara
जवाब देंहटाएंआचार्य जी,
सुबह के सुन्दर चित्र और उतने ही सुन्दर शब्द चित्र
सच आपकी प्रतिभा को नमन
मुकेश इलाहाबादी
pindira77@yahoo.co.in
जवाब देंहटाएंआदरणीय सलिलजी
‘ फिर प्राची से ---‘ सुन्दर रचना | मन में आशा जगाने वाली| जगती से नि:संग बस काम से काम | आप की सभी रचनाएँ मन मोहती हैं| चित्रों के साथ उनकी संगत आँखों को भी सुख देती है | साधुवाद | _ इन्दिरा
- pindira77@yahoo.co.in की छवियां हमेशा प्रदर्शित करें
जवाब देंहटाएंRegards,
Always say thanks to GOD because he knows our needs better than us before we say.......