बुधवार, 6 जून 2012

मुक्तिका: मुस्कुराते रहो... --संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:
मुस्कुराते रहो...
संजीव 'सलिल'

*
 
*
मुस्कुराते रहो, खिलखिलाते रहो
स्वर्ग नित इस धरा पर बसाते रहो..
*
गैर कोई नहीं, है अपरिचित अगर
बाँह फैला गले से लगाते रहो..
*
बाग़ से बागियों से न दूरी रहे.
फूल बलिदान के नव खिलाते रहो..
*
भूल करते सभी, भूलकर भूल को
ख्वाब नयनों में अपने सजाते रहो..
*
नफरतें दूर कर प्यार के, इश्क के
गीत, गज़लें 'सलिल' गुनगुनाते रहो..
***

22 टिप्‍पणियां:

  1. आचार्यवर,

    आपकी मुक्तिका के बंद बेहतर लगे हैं. विशेषकर, यह बंद -

    गैर कोई नहीं, है अपरिचित अगर
    बाँह फैला गले से लगाते रहो..

    किन्तु, बाग से बागियों से न दूरी रहे की पंक्ति में न जाने क्यों मैं उलझ गया हूँ.

    सादर

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  2. सुन्दर भाव

    उद्देश्य पूर्ण बधाई सलिल जी

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  3. भूल करते सभी, भूलकर भूल को
    ख्वाब नयनों में अपने सजाते रहो..

    * वाह कितनी बड़ी बात कही सलिल जी ...बहुत प्यारी मुक्तिका बहुत सुन्दर

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  4. आदरणीय संजीव जी,
    सादर नमस्ते ,
    मुस्कुराते रहो, खिलखिलाते रहो
    स्वर्ग नित इस धरा पर बसाते रहो..

    *,बहुत बढ़िया, बधाई |

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  5. आदरणीय सलिल जी,
    सादर अभिवादन

    सुखी जीवन का सुन्दर मूल मन्त्र कितनी खूब सूरती से दिया है. बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. डॉ. सूर्या बाली "सूरज"बुधवार, जून 06, 2012 8:49:00 am

    संजीव जी
    बहुत सुंदर सुंदर पंक्तियाँ पिरोयी हैं आपने इस रचना में ।
    बहुत खूब !!
    बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें !

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  7. श्रद्धेय संजीव वर्मा 'सलिल' जी
    आपने सार की बात कह दी ........धन्य हो . बहुत ही शानदार रचना
    इन पंक्तियों ने तो मन में घर बना लिया -

    गैर कोई नहीं, है अपरिचित अगर
    बाँह फैला गले से लगाते रहो.

    बधाई !

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  8. सौरभ जी, उमाशंकर जी, राजेश कुमारी जी, रेखा जोशी जी, प्रदीप जी, सूरज जी, अलबेला जी
    आपकी गुणग्राहकता को नमन.

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  9. योगराज प्रभाकरगुरुवार, जून 07, 2012 7:29:00 am

    योगराज प्रभाकर

    //गैर कोई नहीं, है अपरिचित अगर
    बाँह फैला गले से लगाते रहो.. //

    वाह वाह वाह अति सुन्दर विचार, अति सुन्दर मुक्तिका, बधाई स्वीकार करें आचार्यवर.

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  10. - kiran5690472@yahoo.co.in

    आ. सलिल जी,
    सुन्दर कविता के साथ निश्छल हँसता ये नव जात शिशु पूरी रचना में हंसी की ध्वनि बिखेर रहा है !

    बहुत सुन्दर !!

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  11. deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.comगुरुवार, जून 07, 2012 7:39:00 pm

    deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara


    अति मनमोहक !
    सादर,
    दीप्ति

    जवाब देंहटाएं
  12. sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara


    आ० आचार्य जी,
    आपकी लेखनी से निकली एक और सचित्र
    प्यारी सी कविता किये बधाई |
    सादर
    कमल

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  13. आपकी कविता से भी बढ़कर आनंद इस बच्चे की मुस्कान से आया ।
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद । क्या छवि है !!!

    कोई शिशु जब मुस्काता है

    प्यार तब उमड़ा आता है

    दिशाएँ झूम झूम जातीं

    सुगंध से मन भर जाता है।।


    अचल वर्मा

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  14. santosh kumar

    सुन्दर! अति सुन्दर!! सलिल जी।
    बहुत-बहुत बधाई।
    सन्तोष कुमार सिंह

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  15. ksantosh_45@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com ekavita


    आ० सलिल जी
    बालगीत मुझे बहुत अच्छे लगते हैं। यह बाल गीत भी बहुत भाया।

    सन्तोष कुमार सिंह

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  16. प्रवीण पाण्डेयशनिवार, जून 09, 2012 11:05:00 pm

    प्रवीण पाण्डेय

    बहुत दमदार रचना..

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