बुधवार, 16 मई 2012

गीत: दुनिया का व्यापार... संजीव 'सलिल

दोहा गीत:
दुनिया का व्यापार...
संजीव 'सलिल
*


*
मौन मौलश्री देखता,
दुनिया का व्यापार.
बनो मौन साधक सुने.
जग जिसके उद्गार...
*

'तत-त्वं-असि' समझा-दिखा,
दर्पण में प्रतिबिम्ब.
सच मानो हैं एक ही,
पंछी-कोटर-डिंब.

श्वास-श्वास लो इस तरह
हो जीवन श्रृंगार.
बनो मौन साधक सुने.
जग जिसके उद्गार...
*


'सत-शिव-सुंदर' है वही,
जो 'सत-चित-आनंद'.
ध्वनि-अक्षर के मिलन से,
गुंजित हैं लय-छंद.

आस-आस मधुमास हो.
पल-पल हो त्यौहार.
बनो मौन साधक सुने.
जग जिसके उद्गार...
*


खोया-पाया समय की,
चक्की के दो पाट.
काया-छाया में उलझ,
खड़ी हो गयी खाट.

त्रास बदल दे हास में,
मीठे वचन उचार.
बनो मौन साधक सुने.
जग जिसके उद्गार...
*


गर्मी बरखा शीत दें,
जीवन को सन्देश.
परिवर्तन स्वीकार ले,
खुशियाँ मिलें अनेक.

ख़ास मान ले आम को,
पा ले खुशी अपार.
बनो मौन साधक सुने.
जग जिसके उद्गार...
*


बीज एक पत्ते कई,
कोई नहीं विवाद.
भू जो पोषक तत्व दे,
सब लेते मिल स्वाद.

पास-दूर, खिल-झर रहे,
'सलिल' बिना तकरार.
बनो मौन साधक सुने.
जग जिसके उद्गार...
*
टीप: जबलपुर स्थित मौलश्री वृक्ष और उसकी छाँव में सिद्धि प्राप्त  साधक ओशो. आजकल प्रतिदिन प्रातः भ्रमण यहीं करता हूँ।
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in



11 टिप्‍पणियां:

  1. sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara


    ओशो चिंतनधारा पर सचित्र सुन्दर गीत की
    प्रस्तुति के लिये साधुवाद |
    ध्वनि-अक्षर के मिलन से,
    गुंजित हैं लय-छंद.
    आपके गीतों की विशेषता यही हैं |
    सादर
    कमल

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  2. - kanuvankoti@yahoo.com

    आपके कवित्व को शत शत नमन !
    सादर,
    कनु

    जवाब देंहटाएं
  3. shar_j_n ✆ shar_j_n@yahoo.com

    ekavita


    आदरणीय आचार्य जी,
    सदा की भांति अतिसुन्दर और सार्थक!

    ये अनुपम :
    मौन मौलश्री देखता,
    दुनिया का व्यापार.
    'तत-त्वं-असि' समझा-दिखा,
    दर्पण में प्रतिबिम्ब

    'सत-शिव-सुंदर' है वही,
    जो 'सत-चित-आनंद'

    खोया-पाया समय की,
    चक्की के दो पाट.
    सादर शार्दुला

    जवाब देंहटाएं
  4. mstsagar@gmail.com द्वारा yahoogroups.com ekavita


    आपका गीत: दुनियां का व्यापार (शीर्षक)से, ज्यादा बड़ी,चितन से भरपूर, आध्यात्मिक तत्वों को समेटे हुए चित्त को आनंद देने वाली रचना है और प्रस्तुति तो लाज़वाब |बधाई ,साधुवाद ,सादर ,
    महिपाल , १ ६ / ५ / २० १२

    जवाब देंहटाएं
  5. mstsagar@gmail.com द्वारा yahoogroups.com ekavita


    आपका गीत: दुनियां का व्यापार (शीर्षक)से, ज्यादा बड़ी,चितन से भरपूर, आध्यात्मिक तत्वों को समेटे हुए चित्त को आनंद देने वाली रचना है और प्रस्तुति तो लाज़वाब |बधाई ,साधुवाद ,सादर ,
    महिपाल , १ ६ / ५ / २० १२

    जवाब देंहटाएं
  6. Santosh Bhauwala ✆ द्वारा yahoogroups.com kavyadhara


    आदरणीय आचार्य जी,
    गीत बहुत ही अच्छा है साधुवाद !!!
    संतोष भाऊवाला

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  7. deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara

    आदरणीय संजीव जी,

    रचना तो सुन्दर है ही, लेकिन चित्रों का जवाब नहीं !

    साधुवाद !
    सादर,
    दीप्ति

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  8. दीप्ति जी!
    गत माह स्थानांतरण कराकर जबलपुर आ गया हूँ. नित्य प्रातः श्रीमती जी के साथ यहीं प्रातः भ्रमण होता है. ध्यान के बाद काव्य सृजन भी हो जाता है.

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  9. anand krishna ✆kavyadhara

    bahut khoob bhaiya.......

    osho ko saakshaat saamne laa diyaa...

    जवाब देंहटाएं
  10. आनंद को आनंद आया तो सृजन सार्थक हुआ.

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