गुरुवार, 3 मई 2012

गीत: हमें जरूरत है --संजीव 'सलिल'

गीत:  
हमें जरूरत है...  
--संजीव 'सलिल'
*
हमें जरूरत है लालू की...
*
हम बिन पेंदी के लोटे हैं.
दिखते खरे मगर खोटे हैं.
जिसने जमकर लात लगाई
उसके चरणों में लोटे हैं.
लगा मुखौटा हर चेहरे पर
भाये आरक्षण कोटे हैं.
देख समस्या आँख मूँद ले
हमें जरूरत है टालू की...
*
औरों पर उँगलियाँ उठाते.
लेकिन खुद के दोष छिपाते.
नहीं सराहे यदि दुनिया तो
खुद ही खुद की कीरति गाते.
तन से तन की चाह हमेशा
मन से मन को मिला न पाते.
देख चढ़ाव भागते पीछे
हमें जरूरत भू ढालू की...
*
दिखती है लंबी छाया पर-
कद से हम सचमुच बौने हैं...
लेट पालने, चूस अँगूठा
चाह रहे होते गौने हैं.
शेर-मांद में डाल रहे सिर
मन भटकाते मृग छौने हैं.
जो कहता हो ठाकुरसुहाती
हमें जरूरत उस चालू की...
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in

7 टिप्‍पणियां:

  1. Shesh Dhar Tiwari

    वाह गुरुवर!!

    आप जब मूड में आते हैं तो धो के धर देते हैं
    दिखती है लंबी छाया पर-
    कद से हम सचमुच बौने हैं...
    लेट पालने, चूस अँगूठा
    चाह रहे होते गौने हैं.
    शेर-मांद में डाल रहे सिर
    मन भटकाते मृग छौने हैं.
    जो कहता हो ठाकुरसुहाती
    हमें जरूरत उस चालू की...

    बहुत ही सुन्दर नवगीत.

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  2. Santosh Bhauwala ✆ yahoogroups.com kavyadhara


    आदरणीय आचार्य जी ,ब्यंग करारे है, बहुत अच्छे लगे ,बधाई !!!
    सादर संतोष भाऊवाला

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  3. अच्छा है ,
    संसद के गलियारों में जो नज़र गडाए बैठे हैं ,
    क्यां कहें बेशर्मो को जो शर्म बेचकर बैठे हैं

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  4. Wah ,khoob likha hai aapne ! vyangya
    ho to aesa ho , aanandit ho gyaa hun.

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  5. deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.comशुक्रवार, मई 04, 2012 10:07:00 pm

    deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara


    आदरणीय संजीव जी,

    सच्चा खाका खींचा है !
    साधुवाद ....!
    सादर,
    दीप्ति

    जवाब देंहटाएं
  6. :

    आदरणीय आचार्य जी,

    ब्यंग करारे है, बहुत अच्छे लगे ,बधाई !!!
    सादर संतोष भाऊवाला

    जवाब देंहटाएं
  7. vijay2 ✆

    आ० ‘सलिल’ जी,
    व्यंग बहुत अच्छा लगा ।

    विजय

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