होली पे विशेष-
कबीरा सा...रा...रा...रा...
संजीव 'सलिल'
*
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
पिचकारी ले कलम की, शब्द-रंग के सँग,
फगुआ के अगुआ कमल, चढ़ा रहे हैं भंग..
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
ठंडाई छिप छानते, मिल अनूप-घनश्याम.
झपट-छीन गायब हुईं, शार्दूला हे राम..
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
किसने किसके गाल को रंगा, बताये कौन?
श्रीप्रकाश-अमिताभ हँस, ढोल बजायें मौन..
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
कुसुम रंग राकेश पर, आतिश रहे उछाल.
खुद के रंग से खुद रंगे, खिलखिलाए महिपाल..
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
कबीरा सा...रा...रा...रा...
संजीव 'सलिल'
*
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
पिचकारी ले कलम की, शब्द-रंग के सँग,
फगुआ के अगुआ कमल, चढ़ा रहे हैं भंग..
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
ठंडाई छिप छानते, मिल अनूप-घनश्याम.
झपट-छीन गायब हुईं, शार्दूला हे राम..
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
किसने किसके गाल को रंगा, बताये कौन?
श्रीप्रकाश-अमिताभ हँस, ढोल बजायें मौन..
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
कुसुम रंग राकेश पर, आतिश रहे उछाल.
खुद के रंग से खुद रंगे, खिलखिलाए महिपाल..
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
मंजु मँजीरा मुदित मन, बजा रहीं हैं झूम.
होरी गाकर दीप्ति ने, मचा रखी है धूम.
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
नीले थे हो गये हैं, पीले-लाल महेश.
गौरा ने रंग दिया या, मदन-विजय-मद शेष?
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
पाठक के आनंद की, किरण अचल संतोष.
सज्जन हुरियारे हुए, मौसम को दें दोष.
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
होरी गाकर दीप्ति ने, मचा रखी है धूम.
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
नीले थे हो गये हैं, पीले-लाल महेश.
गौरा ने रंग दिया या, मदन-विजय-मद शेष?
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
पाठक के आनंद की, किरण अचल संतोष.
सज्जन हुरियारे हुए, मौसम को दें दोष.
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
सँग सुरेन्द्र-गोविंद का, बनकर रास-हुलास.
श्यामल को गौरा कहें, कर मुकेश परिहास..
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
खाट खड़ी कर फूँकते, होली जला प्रताप.
'सलिल' घोल हर रंग को, अपना लेता आप..
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
****
श्यामल को गौरा कहें, कर मुकेश परिहास..
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
खाट खड़ी कर फूँकते, होली जला प्रताप.
'सलिल' घोल हर रंग को, अपना लेता आप..
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
****
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Mahipal Singh Tomar returns.groups.yahoo.com ekavita
जवाब देंहटाएंmstsagar@gmail.com
The Poet of the Year
&
The Poetry of the M O M E N T S
ब धा ई सा ...रा ...रा ...रा..~~~~~~~
महिपाल ,७/३/१२
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंMukesh Srivastava ✆ ekavita
जवाब देंहटाएंBahut pyare Rang bikhere
Sanjeev jee -
bahut bahut murkaan holi kee
mukesh ilaahaabaadee
anand pathak ✆ akpathak317@yahoo.co.in yahoo groups.com ekavita-
जवाब देंहटाएंहोली के इस रंग से ’सलिल’जी
भींग गया तन-मन सारा............
कबीरा सा..रा..रा..
अबीरा मल दो यारा...
सादर
आनन्द पाठक,जयपुर
my blog for GEET-GAZAL-GEETIKA http://akpathak3107.blogspot.com
my blog for HINDI SATIREs(Vyang)http://akpathak317.blogspot.com
Deepti Sharma ✆ yahoogroups .com ekavita
जवाब देंहटाएंअहा वाह वाह वाह..
prakash govind ✆ yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंekavita- prakashgovind1@gmail.com
वाह सलिल जी वाह
ये हुआ होली का असली धमाल
जब तक माहौल में 'कबीरा सा..रा..रा...' का रंग न हो होली का आनंद नहीं आता !
आप तो छा गए .....!
dks poet ✆ dkspoet@yahoo.com ekavita
जवाब देंहटाएंआदरणीय सलिल जी
होली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ
सच है कि जोगिया सा रा रा रा के बिना होली अधूरी ही रहती है।
सादर
धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’
vijay2 ✆ yahoogroups.com ekavita
जवाब देंहटाएंआ० ’सलिल” जी,
होली मुबारक और अच्छी रचना के लिए बधाई ।
विजय
आदरणीय आचार्य सलिल जी,
जवाब देंहटाएंआप तो हर विधा में अनुपम ही लिखते हैं.
बहुत ही प्यारा "कबीरा सा रा रा ..."
हर रंग को घोल कर सत्य ही अपनाते हैं.