दोहा सलिला:
दोहा संग मुहावरा
संजीव 'सलिल'
*
दोहा संग मुहावरा, दे अभिनव आनंद.
'गूंगे का गुड़' जानिए, पढ़िये-गुनिये छंद.१.
*
हैं वाक्यांश मुहावरे, जिनका अमित प्रभाव.
'सिर धुनते' हैं नासमझ, समझ न पाते भाव.२.
*
'अपना उल्लू कर रहे, सीधा' नेता आज.
दें आश्वासन झूठ नित, तनिक न आती लाज.३.
*
'पत्थर पड़ना अकल पर', आज हुआ चरितार्थ.
प्रतिनिधि जन को छल रहे, भुला रहे फलितार्थ.४.
*
'अंधे की लाठी' सलिलो, हैं मजदूर-किसान.
जिनके श्रम से हो सका भारत देश महान.५.
*
कवि-कविता ही बन सके, 'अंधियारे में ज्योत'
आपद बेला में सकें, साहस-हिम्मत न्योत.६.
*
राजनीति में 'अकल का, चकराना' है आम.
दक्षिण के सुर में 'सलिल', बोल रहा है वाम.७.
*
'अलग-अलग खिचडी पका', हारे दिग्गज वीर.
बतलाता इतिहास सच, समझ सकें मतिधीर.८.
*
जो संसद में बैठकर, 'उगल रहा अंगार'
वह बीबी से कह रहा, माफ़ करो सरकार.९.
*
लोकपाल के नाम पर, 'अगर-मगर कर मौन'.
सारे नेता हो गए, आगे आए कौन?१०?
*
'अंग-अंग ढीला हुआ', तनिक न फिर भी चैन.
प्रिय-दर्शन पाये बिना आकुल-व्याकुल नैन.११.
*****
संजीव 'सलिल'
*
दोहा संग मुहावरा, दे अभिनव आनंद.
'गूंगे का गुड़' जानिए, पढ़िये-गुनिये छंद.१.
*
हैं वाक्यांश मुहावरे, जिनका अमित प्रभाव.
'सिर धुनते' हैं नासमझ, समझ न पाते भाव.२.
*
'अपना उल्लू कर रहे, सीधा' नेता आज.
दें आश्वासन झूठ नित, तनिक न आती लाज.३.
*
'पत्थर पड़ना अकल पर', आज हुआ चरितार्थ.
प्रतिनिधि जन को छल रहे, भुला रहे फलितार्थ.४.
*
'अंधे की लाठी' सलिलो, हैं मजदूर-किसान.
जिनके श्रम से हो सका भारत देश महान.५.
*
कवि-कविता ही बन सके, 'अंधियारे में ज्योत'
आपद बेला में सकें, साहस-हिम्मत न्योत.६.
*
राजनीति में 'अकल का, चकराना' है आम.
दक्षिण के सुर में 'सलिल', बोल रहा है वाम.७.
*
'अलग-अलग खिचडी पका', हारे दिग्गज वीर.
बतलाता इतिहास सच, समझ सकें मतिधीर.८.
*
जो संसद में बैठकर, 'उगल रहा अंगार'
वह बीबी से कह रहा, माफ़ करो सरकार.९.
*
लोकपाल के नाम पर, 'अगर-मगर कर मौन'.
सारे नेता हो गए, आगे आए कौन?१०?
*
'अंग-अंग ढीला हुआ', तनिक न फिर भी चैन.
प्रिय-दर्शन पाये बिना आकुल-व्याकुल नैन.११.
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Om Prakash Tiwari ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita
जवाब देंहटाएंवाह सलिल जी । जवाब नहीं आपका ।
दोहों में मुहावरों का सटीक प्रयोग किया है आपने । बधाई ।
- ओमप्रकाश तिवारी
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Om Prakash Tiwari
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जवाब देंहटाएंतस्वीरें प्रदर्शित नहीं की गई हैं. नीचे छवियाँ प्रदर्शित करें - mstsagar@gmail.com की छवियां हमेशा प्रदर्शित करें
आ.सलिल जी ,
आपकी विशेष विधा ' दोहा-सलिला ' के अंतर्गत ' दोहा -संग मुहावरा ' के
प्रत्येक दोहे में दम ही दम है , हौसले जिस अंदाज से बुलंद है ,वह अंगो के ढीले पड़ने की बात को झुठलातें हैं | दोहों ने आनंद दिया ,बधाई |
सादर ,शुभेच्छु,
महिपाल ,२८/१/१२,ग्वालियर
:
जवाब देंहटाएंpriy sanjiv ji
bahut khub bahut sundar lajwab bhagwan kare aap sada swasth rahen aur khub likhen
kusum
Purnima
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखते हैं आप
बहुत बहुत बधाई इस अभिनव प्रयोग के लिये। बच्चों को याद करना कितना आसान हो जाएगा।
kusum
जवाब देंहटाएंyah to bahut achha prayog hai
Tripti
जवाब देंहटाएंbahut badhiya likha hai apney
pratapsingh1971@gmail.com द्वारा yahoogroups.com ekavita
जवाब देंहटाएंतस्वीरें प्रदर्शित नहीं की गई हैं. नीचे छवियाँ प्रदर्शित करें - pratapsingh1971@gmail.com की छवियां हमेशा प्रदर्शित करें
आदरणीय आचार्य जी
दोहों में मुहावरे का प्रयोग बहुत ही कुशलता से किया है आपने.
बधाई !
सादर
प्रताप
dks poet ✆ dkspoet@yahoo.com
जवाब देंहटाएंekavita
आदरणीय सलिल जी,
ये मुहावरामय दोहे अच्छे लगे। एक और नया प्रयोग आपकी कलम से। बधाई
सादर
धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’
achalkumar44@yahoo.comekavita
जवाब देंहटाएंजवाब नहीं आपकी रचनात्मकता का |
विषय कोई भी हों उसपर आप इतनी अनूठी कविता लिख देते है
कि पढ़कर हमेशा सोचता हूँ : इनको कहते हैं माँ सरस्वती के वरद पुत्र.
अचल वर्मा
आदरणीय आचार्य जी,
जवाब देंहटाएंआपको पढना हम जैसे विद्यार्थियों के लिए सदैव एक उच्च कोटि का पाठ है. यहाँ आप की बहुत सी रचनाओं को एक साथ पढ़ रही हूँ:
दोहों के तो आप एक सनातन स्रोत हैं ही!
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'अंधे की लाठी' सलिलो, हैं मजदूर-किसान.
जिनके श्रम से हो सका भारत देश महान.५. --- वाह!
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कवि-कविता ही बन सके, 'अंधियारे में ज्योत'
आपद बेला में सकें, साहस-हिम्मत न्योत.६. ---- काश!
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राजनीति में 'अकल का, चकराना' है आम.
दक्षिण के सुर में 'सलिल', बोल रहा है वाम.७.----- :)
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लोकपाल के नाम पर, 'अगर-मगर कर मौन'.
सारे नेता हो गए, आगे आए कौन?१०? ------- सार्थक और सामयिक!
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