बुधवार, 26 अक्टूबर 2011

II श्री महालक्ष्यमष्टक स्तोत्र II मूल पाठ-तद्रिन, हिंदी काव्यानुवाद-संजीव 'सलिल'

 II  ॐ II

***********************************II श्री महालक्ष्यमष्टक स्तोत्र II

( मूल पाठ-तद्रिन हिंदी काव्यानुवाद-संजीव 'सलिल' )

नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते I
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोsस्तुते II१II

सुरपूजित श्रीपीठ विराजित, नमन महामाया शत-शत.
शंख चक्र कर-गदा सुशोभित, नमन महालक्ष्मी शत-शत..

नमस्ते गरुड़ारूढ़े कोलासुर भयंकरी I
सर्व पापहरे देवी महालक्ष्मी नमोsस्तुते II२II

कोलाsसुरमर्दिनी भवानी, गरुड़ासीना नम्र नमन.
सरे पाप-ताप की हर्ता,  नमन महालक्ष्मी शत-शत..

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरी I
सर्व दु:ख हरे देवी महालक्ष्मी नमोsस्तुते II३II

सर्वज्ञा वरदायिनी मैया, अरि-दुष्टों को भयकारी.
सब दुःखहरनेवाली, नमन महालक्ष्मी शत-शत..

सिद्धि-बुद्धिप्रदे देवी भुक्ति-मुक्ति प्रदायनी I
मन्त्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोsस्तुते II४II

भुक्ति-मुक्तिदात्री माँ कमला, सिद्धि-बुद्धिदात्री मैया.
सदा मन्त्र में मूर्तित हो माँ, नमन महालक्ष्मी शत-शत..

आद्यांतर हिते देवी आदिशक्ति महेश्वरी I
योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमोsस्तुते II५II

हे महेश्वरी! आदिशक्ति हे!, अंतर्मन में बसो सदा.
योग्जनित संभूत योग से, नमन महालक्ष्मी शत-शत..

स्थूल-सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ति महोsदरे I
महापापहरे देवी महालक्ष्मी नमोsस्तुते II६II

महाशक्ति हे! महोदरा हे!, महारुद्रा  सूक्ष्म-स्थूल.
महापापहारी श्री देवी, नमन महालक्ष्मी शत-शत..

पद्मासनस्थिते देवी परब्रम्ह स्वरूपिणी I
परमेशीजगन्मातर्महालक्ष्मी नमोsस्तुते II७II

कमलासन पर सदा सुशोभित, परमब्रम्ह का रूप शुभे.
जगज्जननि परमेशी माता, नमन महालक्ष्मी शत-शत..

श्वेताम्बरधरे देवी नानालंकारभूषिते I
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोsस्तुते II८II

दिव्य विविध आभूषणभूषित, श्वेतवसनधारे मैया.
जग में स्थित हे जगमाता!, नमन महालक्ष्मी शत-शत..

महा लक्ष्यमष्टकस्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर: I
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यंप्राप्नोति सर्वदा II९II

जो नर पढ़ते भक्ति-भाव से, महालक्ष्मी का स्तोत्र.
पाते सुख धन राज्य सिद्धियाँ, नमन महालक्ष्मी शत-शत..

एककालं पठेन्नित्यं महापाप विनाशनं I
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन-धान्यसमन्वित: II१०II

एक समय जो पाठ करें नित, उनके मिटते पाप सकल.
पढ़ें दो समय मिले धान्य-धन, नमन महालक्ष्मी शत-शत..

त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रु विनाशनं I
महालक्ष्मीर्भवैन्नित्यं प्रसन्नावरदाशुभा II११II

तीन समय नित अष्टक पढ़िये, महाशत्रुओं का हो नाश.
हो प्रसन्न वर देती मैया, नमन महालक्ष्मी शत-शत..

 II तद्रिन्कृत: श्री महालक्ष्यमष्टकस्तोत्रं संपूर्णं  II

तद्रिंरचित, सलिल-अनुवादित, महालक्ष्मी अष्टक पूर्ण.
नित पढ़ श्री समृद्धि यश सुख लें, नमन महालक्ष्मी शत-शत..

*********

8 टिप्‍पणियां:

  1. २५ अक्तूबर २०११ ६:५३ अपराह्न
    संजीव जी

    आप और आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  2. २५ अक्तूबर २०११ ८:२३ अपराह्न
    *
    नव आशा विश्वास लिये आये दीवाली ,
    जीवन में रच जाये हर पल नई खुशाली .
    सुख-समृद्धि से पूर्ण,रहे हर गृह ,शुभ-मति हो ,
    अपना भारत देश रहे गुण-गरिमाशाली !
    *
    - प्रतिभा सक्सेना.

    जवाब देंहटाएं
  3. २५ अक्तूबर २०११ ९:१९ अपराह्न
    दीप हम ऐसे जलायें
    दिल में हम एक अलख जगायें..
    आतंकवाद जड़ से मिटायें
    भ्रष्टाचार को दूर भगायें
    जन जन की खुशियाँ लौटायें
    हम एक नव हिन्दुस्तान बनायें
    आओ, अब की ऐसी दीवाली मनायें
    पर्व पर यही हैं मेरी मंगलकामनायें....

    -समीर लाल 'समीर'
    http://udantashtari.blogspot.com

    2011/10/26

    जवाब देंहटाएं
  4. २६ अक्तूबर २०११ १२:१७ पूर्वाह्न
    Adarneey salil ji
    Aapki kalam se siyahi nahin ek gangotri pravahmaan hui hoti hai. Aisa hi hamari Bahan Mridul kirti ki kalam ki ravani bhi kahti hai

    बड़ी खुशनुमा याद की ताज़गी है
    वो मुरझाए फूलों को फिर से खिलाए
    दिवाली का त्यौहार सब को मुबारक
    ये त्यौहार ख़ुशियों का हर साल आए

    देवी नागरानी

    Ph: 99879-28358

    जवाब देंहटाएं
  5. २५ अक्तूबर २०११ ६:५३ अपराह्न

    आ० संजीव जी,

    एक समय जो पाठ करें नित, उनके मिटते पाप सकल.
    पढ़ें दो समय मिले धान्य-धन, नमन महालक्ष्मी शत-शत..

    इतने सुन्दर स्तुति-गीत के लिए बधाई ।

    विजय निकोर

    जवाब देंहटाएं
  6. २५ अक्तूबर २०११ ७:२८ अपराह्न

    आदरणीय आचार्य जी ,आपकी लेखनी को नमन !!!
    आपको सपरिवार दीपावली की शुभकामनाएं !!!
    सादर संतोष भाऊवाला

    जवाब देंहटाएं
  7. २५ अक्तूबर २०११ ४:४३ अपराह्न

    atyan sudar va satik shabdarth kesaath anuvad....aapko naman

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीय आचार्य जी

    अति सुन्दर काव्यानुवाद !

    सादर
    प्रताप

    जवाब देंहटाएं