मंगलवार, 11 अक्टूबर 2011

नवगीत:


कम लिखता हूँ...


--संजीव 'सलिल'
*
क्या?, कैसा है??
क्या बतलाऊँ??
कम लिखता हूँ,
बहुत समझना...
*
पोखर सूखे,
पानी प्यासा.
देती पुलिस
चोर को झाँसा.
खेतों संग
रोती अमराई.
अन्न सड़ रहा,
फिके उदासा.
किस्मत में
केवल गरीब की
भूखा मरना...
*
चूहा खोजे,
मिला न दाना.
चमड़ी ही है
तन पर बाना.
कहता भूख,
नहीं बीमारी,
जिला प्रशासन
बना बहाना.
न्यायालय से
छल करता है
नेता अपना...
*
शेष न जंगल,
यही अमंगल.
पर्वत खोदे-
हमने तिल-तिल.
नदियों में
लहरें ना पानी.
न्योता मरुथल
हाथ रहे मल.
जो जैसा है
जब लिखता हूँ
बहुत समझना...

***************

7 टिप्‍पणियां:

  1. निश्चिन्त रहिए कविवर संजीव, हम आपके कम लिखे को बहुत समझेगें !
    अच्छी, भली- भली सी कविता के लिए ५ किलो तारीफ़ स्वीकारें....=D> applause
    सादर,
    दीप्ति ;;) batting eyelashes

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  2. आप ने जो लिखा , कम है |

    अचल वर्मा

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  3. बिना लिखे भी
    समझे हैं हम
    कभी नासमझ
    नहीं समझना
    जो समझायें
    सहज समझ लें
    इसीलिये हम समझदार हैं::D big grin:D big grin:D big grin:D big grin:D big grin:D big grin

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  4. आदरणीय आचार्य जी

    सुन्दर नवगीत ! साधुवाद !
    कम लिखता हूँ , बहुत समझना :)

    सादर
    प्रताप

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  5. Mukesh Srivastava ✆

    आदरणीय सलिल जी,

    कम लिखा जाए,
    ऐसा ही लिखा जाए
    जब भी लिखा जाए,
    ऐसा ही लिखा जाए
    छोटे, पैने तीरों से
    घाव गहरे किये जाए
    ताकि,
    मोटी खाल वालों को
    कुछ सोचने के लिए
    मजबूर किया जाय

    बधाई,

    मुकेश इलाहाबादी

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  6. santosh bhauwala ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavitaमंगलवार, अक्टूबर 18, 2011 9:14:00 pm

    आदरणीय आचार्य जी,

    आपके कम लिखा हुआ में भी बहुत सार छुपा है, नमन !!!
    संतोष भाऊवाला

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  7. आदरणीय आचार्यजी,
    पहले तो शुरू की पंक्तियाँ ही अति सुन्दर!
    " कम लिखता हूँ , बहुत समझना" ...

    फ़िर पूरी कविता भी सामाजिक सरोकार से ओतप्रोत, बेहद प्रभावशाली.

    इधर आपका छंदों पे एक सुन्दर लेख देखा और मात्रा की गिनती पे भी ...उन्हें सहेज के रख लिया है. किसी शुभ दिन जब समय समय देगा, सब पढूंगी, समझूंगी और लेखन में उतारूंगी.
    आपका लिखा इतनी आसानी से पढ़ने को मिल रहा है ये हमारा सौभाग्य है!
    आपकी छंदों पे लिखी कोई किताब हो तो कृपया सूचित करें.
    आभार आपका...सादर शार्दुला

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