शनिवार, 1 अक्टूबर 2011

तापसी नागराज

तापसी नागराज 

1 टिप्पणी:

  1. कोकिल ध्वनि की तरह कूकती तपसी जी की स्वरलहरी मन-प्राणों को आनंदित कर देती है. उन्हें हार्दिक बधाई इस जीवंत प्रस्तुति हेतु.
    Acharya Sanjiv Salil

    http://divyanarmada.blogspot.com

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