शनिवार, 3 सितंबर 2011

श्री गणेश वंदना संजीव 'सलिल'


















श्री गणेश वंदना
संजीव 'सलिल'
*
कजरी गीत:१
भोला-भोला गणपति बिसरत नहीं, गौरा के लाला रे भोला.
भोला-भोला सुमिरत टेर रहे हम, दरसन दे दो रे भोला.
भोला-भोला नन्दी सेर मूस पर चढ़कर आओ रे भोला.
भोला-भोला कहाँ गजानन बिलमे, कहाँ षडानन रे भोला.
भोला-भोला ऋद्धि-सिद्धि-स्वामी संग, आके न जाओ रे भोला.
भोला-भोला भ्रस्ट असुर नेतागण, गणपति मारें रे भोला.
भोला-भोला मोदक थाल धरे, कर ग्रहण विराजो रे भोला.
*
कजरी गीत:२
हरि-हरि जय गनेस के चरना, दीन के दानी रे हरि.
हरि-हरि मंगलमूर्ति गजानन, महिमा बखानी रे हरि.
हरि-हरि विद्या-बुद्धि प्रदाता, युक्ति के ज्ञानी रे हरि.
हरि-हरि ध्यान धरूँ नित तुमरो, कथा सुहानी रे हरि.
हरि-हरि मार रही मँहगाई, कठिन निभानी रे हरि.
हरि-हरि चरण पखार तरे, यह 'सलिल' सा प्राणी रे हरि.
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9 टिप्‍पणियां:

  1. 5:12pm Sep 3
    Sanjiv Verma 'salil'-सर बहुत दिनों से ये चाह थी कि आप कोई प्रेरणा दायक कविता इस मंच के लिये लिखे . धन्यवाद.

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  2. 1:26pm Sep 3

    sir

    bahut sundar rachana gaun ke

    iyad aa gaik sir

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  3. Ashish Yadav 11:16am Sep 3

    Dewon k sath apki lekhni ko bhi naman.

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  4. Ghulam Kundanam 9:46am Sep 3

    bahut sundar bhajan!

    GANPATI BAPPA MORYA... MANGAL MURTI

    MORYA...

    ॐ . ੴ . اللّٰه . God…….
    Om.Onkar.Allah.God…..

    Jai Hind !!!!!

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  5. Saurabh Pandey 10:09am Sep 3

    आपके सुप्रयास और लालित्य दर्शन की पेंगें और उनके आलोड़न ले-लेकर कजरी गुनगुनाता हुआ विघ्नहर्ता को नमन कर रहा हूँ. सादर.

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  6. कजरी में गणपति वंदना, ये आप के लिए ही सम्भव है आचार्य जी

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