मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

आज का गीत- श्वास-श्वास जीवन की कविता ----संजीव 'सलिल'



कविता दिवस के परिप्रेक्ष्य में:
 
आज का गीत-
श्वास-श्वास जीवन की कविता
संजीव 'सलिल'
*
श्वास-श्वास जीवन की कविता,
आस-आस जीवन की कविता
नहीं कोई भी पल कविता बिन-
 कोई एक दिवस कैसे हो?...
*
जन्में तो हम लय में रोये,
आँचल पा सपनों में खोये.
घुटनों चले ठुमककर विहँसे,
पैर जमकर सपने बोये.
धरती से नभ देख लगा यह-
प्यास-प्यास जीवन की कविता...
*
मैया, बहिना, भौजी, साली.
सरहज, समधन रस की प्याली.
अर्धांगिनी की बात करें क्या?-
आधार, कपोल, नयन की लाली.
पाया-खोया जब, तब पाया
लास-हास जीवन की कविता...
*
ले प्रयास की वेणु चला जब,
लक्ष्य राधिका को पाने मैं.
गोप-गोपियाँ साधक-बाधक
संग-साथ थे मुस्काने में.
गिरा-उठा-सम्हला, दौड़ा, रुक
पाया रास श्वास की कविता...
*

7 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा गीत है बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. ७ अप्रैल


    priy sanjiv ji
    aapki kavya pratibha ka jawab hi nahi hai
    kusum

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय सलिल जी ,
    बहुत ही प्यारा गीत है, कविता की प्यास दर्शाते हुए !!
    सादर
    संतोष भाऊवाला

    जवाब देंहटाएं
  4. २ अप्रैल


    कविता दिवस मुबारक हो आचार्य जी.

    लिख डाली है कितनी सुंदर
    सुमधुर नई श्वास की कविता
    यूँ तो आप नित्य करते हैं
    लेकिन आज खास की कविता

    --ख़लिश

    जवाब देंहटाएं
  5. २ अप्रैल



    हर कविता हो जाती पूरी
    जब उसकी मिलती मंजूरी
    बना दिया कवितामय जिसने
    प्रकृति नटी पूरी की पूरी ||
    बहुत सुन्दर रचना है आपकी कविता का शृंगार लिए ||

    Your's ,

    Achal Verma

    जवाब देंहटाएं
  6. धन्यवाद.
    खलिश अचल संतोष शकुन
    हों संग बने तब जीवन कविता.
    अनिल अनल भू सलिल गगन
    कमलेश उगायें सविता कविता.

    जवाब देंहटाएं
  7. ८ अप्रैल



    आ० आचार्य जी,
    काव्य-नमन लें -
    कवितामय ही जीवन कवि का
    कवि का हास, त्रास, है कविता
    रोती भी हंसती भी कविता
    कवि के साथ साथ ही कविता
    सादर,
    कमल

    जवाब देंहटाएं