शनिवार, 1 जनवरी 2011

बाल गीत : ज़िंदगी के मानी - आचार्य संजीव वर्मा "सलिल"

बाल गीत :

ज़िंदगी के मानी

- आचार्य संजीव वर्मा "सलिल"


खोल झरोखा, झाँक-
ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.
मेघ बजेंगे, पवन बहेगा,
पत्ते नृत्य दिखायेंगे.....

*

बाल सूर्य के संग ऊषा आ,
शुभ प्रभात कह जाएगी.
चूँ-चूँ-चूँ-चूँ कर गौरैया
रोज प्रभाती गायेगी..

टिट-टिट-टिट-टिट करे टिटहरी,
करे कबूतर गुटरूं-गूं-
कूद-फांदकर हँसे गिलहरी
तुझको निकट बुलायेगी..

आलस मत कर, आँख खोल,
हम सुबह घूमने जायेंगे.
खोल झरोखा, झाँक-
ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....

*

आई गुनगुनी धूप सुनहरी
माथे तिलक लगाएगी.
अगर उठेगा देरी से तो
आँखें लाल दिखायेगी..

मलकर बदन नहा ले जल्दी,
प्रभु को भोग लगाना है.
टन-टन घंटी मंगल ध्वनि कर-
विपदा दूर हटाएगी.

मुक्त कंठ-गा भजन-आरती,
सरगम-स्वर सध जायेंगे.
खोल झरोखा, झाँक-
ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....

*

मेरे कुँवर कलेवा कर फिर,
तुझको शाला जाना है.
पढ़ना-लिखना, खेल-कूदना,
अपना ज्ञान बढ़ाना है..

अक्षर,शब्द, वाक्य, पुस्तक पढ़,
तुझे मिलेगा ज्ञान नया.
जीवन-पथ पर आगे चलकर
तुझे सफलता पाना है..

सारी दुनिया घर जैसी है,
गैर स्वजन बन जायेंगे.
खोल झरोखा, झाँक-
ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....

*********************

12 टिप्‍पणियां:

  1. ajit gupta :

    सलिल जी! आपने जो बात आज पद्य में कही है उसी के समान कुछ भाव मैंने कल गद्य में अपनी पोस्‍ट में लिखे हैं। समय मिले तो उसे देखें। आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

    जवाब देंहटाएं
  2. priy sanjiv ji
    bahut sundar kavita man khush ho gaya bas aap hi etni sundar kavita likh sakte hain
    badhai
    kusum
    ४ अगस्त

    जवाब देंहटाएं
  3. Dr.M.C. Gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavitaशनिवार, अगस्त 06, 2011 11:47:00 am

    ४ अगस्त
    सलिल जी,

    आप धन्य हैं. इतना लिख्ने में ही बहुत कुछ आ गया.

    निम्न बहुत विशेष हैं--

    खोल झरोखा, झाँक-
    ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.
    मेघ बजेंगे, पवन बहेगा,
    पत्ते नृत्य दिखायेंगे.....
    *
    मुक्त कंठ-गा भजन-आरती,
    सरगम-स्वर सध जायेंगे.
    खोल झरोखा, झाँक-
    ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....
    *
    सारी दुनिया घर जैसी है,
    गैर स्वजन बन जायेंगे.
    खोल झरोखा, झाँक-
    ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....
    डा० महेश चंद्र गुप्त ’ख़लिश’

    Dr. M C Gupta MD (Medicine), LL.M., Advocate

    http://groups.yahoo.com/group/Hindienglishpoetry

    ,

    www.writing.com/authors/mcgupta44

    http://in.groups.yahoo.com/group/medico-legal-queries
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    ==========================
    -(Ex)Prof. M C Gupta
    MD (Medicine), MPH, LL.M.,
    Advocate & Medico-legal Consultant
    www.writing.com/authors/mcgupta44

    जवाब देंहटाएं
  4. ५ अगस्त
    priy salil ji
    aapke jitna sundar likhna aapke hi vash me hai badhai bahut bahut badhai
    kusum

    जवाब देंहटाएं
  5. मधुरता , जिन्दगी के यही तो मानी हैं |

    Achal Verma


    -Thu, 8/4/11

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय सलिल जी
    इस सुन्दर और अनूठी बाल कविता के लिए मेरी बहुत-बहुत बधाई।
    सन्तोष कुमार सिंह

    जवाब देंहटाएं
  7. एक ऐसा गीत जो बड़ी उम्र के बच्चों [मेरे जैसे:)] के लिए भी प्रासंगिक है|
    आपकी रचनाधर्मिता को पुन: नमन|
    :- नवीन सी चतुर्वेदी
    - उद्धृत पाठ दिखाएं -
    साभार
    नवीन सी चतुर्वेदी
    मुम्बई

    मैं यहाँ हूँ : ठाले बैठे
    साहित्यिक आयोजन : समस्या पूर्ति
    दूसरे कवि / शायर : वातायन
    मेरी रोजी रोटी : http;//vensys.biz

    जवाब देंहटाएं
  8. sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavitaशनिवार, अगस्त 06, 2011 11:50:00 am

    सुन्दर, रुचिकर,प्रेरक गीत ! साधुवाद .!
    विशेष -

    मुक्त कंठ-गा भजन-आरती,
    सरगम-स्वर सध जायेंगे.
    खोल झरोखा, झाँक-
    ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....
    सादर
    कमल

    जवाब देंहटाएं
  9. priy salil ji
    ek bahut hi sundar bal geet aapki vidwata ko mera pranam aap har vidha me likh sakte hain ye uparvale ki kripa hai
    kusum

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह आचार्य जी! बहुत ही सुन्दर!

    ...कूद-फांदकर हँसे गिलहरी --- :)
    तुझको निकट बुलायेगी..

    आलस मत कर, आँख खोल,
    हम सुबह घूमने जायेंगे.
    खोल झरोखा, झाँक-
    ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....

    *

    आई गुनगुनी धूप सुनहरी
    माथे तिलक लगाएगी. --- वाह !

    अगर उठेगा देरी से तो
    आँखें लाल दिखायेगी.. ---- कितना सुन्दर !

    सादर शार्दुला

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  11. आदरणीय आचार्य जी, बहुत ही प्यारा बाल गीत है नमन
    सादर संतोष भाऊवाला

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  12. आपकी गुणग्राहकता को नमन.

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