बाल गीत :
ज़िंदगी के मानी
- आचार्य संजीव वर्मा "सलिल"
खोल झरोखा, झाँक-
ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.
मेघ बजेंगे, पवन बहेगा,
पत्ते नृत्य दिखायेंगे.....
*
बाल सूर्य के संग ऊषा आ,
शुभ प्रभात कह जाएगी.
चूँ-चूँ-चूँ-चूँ कर गौरैया
रोज प्रभाती गायेगी..
टिट-टिट-टिट-टिट करे टिटहरी,
करे कबूतर गुटरूं-गूं-
कूद-फांदकर हँसे गिलहरी
तुझको निकट बुलायेगी..
आलस मत कर, आँख खोल,
हम सुबह घूमने जायेंगे.
खोल झरोखा, झाँक-
ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....
*
आई गुनगुनी धूप सुनहरी
माथे तिलक लगाएगी.
अगर उठेगा देरी से तो
आँखें लाल दिखायेगी..
मलकर बदन नहा ले जल्दी,
प्रभु को भोग लगाना है.
टन-टन घंटी मंगल ध्वनि कर-
विपदा दूर हटाएगी.
मुक्त कंठ-गा भजन-आरती,
सरगम-स्वर सध जायेंगे.
खोल झरोखा, झाँक-
ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....
*
मेरे कुँवर कलेवा कर फिर,
तुझको शाला जाना है.
पढ़ना-लिखना, खेल-कूदना,
अपना ज्ञान बढ़ाना है..
अक्षर,शब्द, वाक्य, पुस्तक पढ़,
तुझे मिलेगा ज्ञान नया.
जीवन-पथ पर आगे चलकर
तुझे सफलता पाना है..
सारी दुनिया घर जैसी है,
गैर स्वजन बन जायेंगे.
खोल झरोखा, झाँक-
ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....
*********************
ajit gupta :
जवाब देंहटाएंसलिल जी! आपने जो बात आज पद्य में कही है उसी के समान कुछ भाव मैंने कल गद्य में अपनी पोस्ट में लिखे हैं। समय मिले तो उसे देखें। आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
priy sanjiv ji
जवाब देंहटाएंbahut sundar kavita man khush ho gaya bas aap hi etni sundar kavita likh sakte hain
badhai
kusum
४ अगस्त
४ अगस्त
जवाब देंहटाएंसलिल जी,
आप धन्य हैं. इतना लिख्ने में ही बहुत कुछ आ गया.
निम्न बहुत विशेष हैं--
खोल झरोखा, झाँक-
ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.
मेघ बजेंगे, पवन बहेगा,
पत्ते नृत्य दिखायेंगे.....
*
मुक्त कंठ-गा भजन-आरती,
सरगम-स्वर सध जायेंगे.
खोल झरोखा, झाँक-
ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....
*
सारी दुनिया घर जैसी है,
गैर स्वजन बन जायेंगे.
खोल झरोखा, झाँक-
ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....
डा० महेश चंद्र गुप्त ’ख़लिश’
Dr. M C Gupta MD (Medicine), LL.M., Advocate
http://groups.yahoo.com/group/Hindienglishpoetry
,
www.writing.com/authors/mcgupta44
http://in.groups.yahoo.com/group/medico-legal-queries
medico-legal-queries@yahoogroups.co.in
==========================
-(Ex)Prof. M C Gupta
MD (Medicine), MPH, LL.M.,
Advocate & Medico-legal Consultant
www.writing.com/authors/mcgupta44
५ अगस्त
जवाब देंहटाएंpriy salil ji
aapke jitna sundar likhna aapke hi vash me hai badhai bahut bahut badhai
kusum
मधुरता , जिन्दगी के यही तो मानी हैं |
जवाब देंहटाएंAchal Verma
-Thu, 8/4/11
आदरणीय सलिल जी
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर और अनूठी बाल कविता के लिए मेरी बहुत-बहुत बधाई।
सन्तोष कुमार सिंह
एक ऐसा गीत जो बड़ी उम्र के बच्चों [मेरे जैसे:)] के लिए भी प्रासंगिक है|
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाधर्मिता को पुन: नमन|
:- नवीन सी चतुर्वेदी
- उद्धृत पाठ दिखाएं -
साभार
नवीन सी चतुर्वेदी
मुम्बई
मैं यहाँ हूँ : ठाले बैठे
साहित्यिक आयोजन : समस्या पूर्ति
दूसरे कवि / शायर : वातायन
मेरी रोजी रोटी : http;//vensys.biz
सुन्दर, रुचिकर,प्रेरक गीत ! साधुवाद .!
जवाब देंहटाएंविशेष -
मुक्त कंठ-गा भजन-आरती,
सरगम-स्वर सध जायेंगे.
खोल झरोखा, झाँक-
ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....
सादर
कमल
priy salil ji
जवाब देंहटाएंek bahut hi sundar bal geet aapki vidwata ko mera pranam aap har vidha me likh sakte hain ye uparvale ki kripa hai
kusum
वाह आचार्य जी! बहुत ही सुन्दर!
जवाब देंहटाएं...कूद-फांदकर हँसे गिलहरी --- :)
तुझको निकट बुलायेगी..
आलस मत कर, आँख खोल,
हम सुबह घूमने जायेंगे.
खोल झरोखा, झाँक-
ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे.....
*
आई गुनगुनी धूप सुनहरी
माथे तिलक लगाएगी. --- वाह !
अगर उठेगा देरी से तो
आँखें लाल दिखायेगी.. ---- कितना सुन्दर !
सादर शार्दुला
आदरणीय आचार्य जी, बहुत ही प्यारा बाल गीत है नमन
जवाब देंहटाएंसादर संतोष भाऊवाला
आपकी गुणग्राहकता को नमन.
जवाब देंहटाएं