सोमवार, 13 सितंबर 2010

एक तेवरी : रमेश राज, अलीगढ़.

एक तेवरी :

रमेश राज, अलीगढ़.
*
*
नैन को तो अश्रु के आभास ने अपना पता-
और मन को दे दिया संत्रास ने अपना पता..
*
सादगी-मासूमियत इस प्यार को हम क्या कहें?
खुरपियों को दे दिया है घास ने अपना पता..
*
मरूथलों के बीच भी जो आज तक भटके नहीं.
उन मृगों को झट बताया प्यास ने अपना पता..
*
फूल तितली और भँवरे अब न इसके पास हैं-
यूँ कभी बदला न था मधुमास ने अपना पता..
*
बात कुछ थी इस तरह की चौंकना मुझको पड़ा-
चीख के घर का लिखा उल्लास ने अपना पता..
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प्रेषक: http://divyanarmada.blogspot.com

4 टिप्‍पणियां:

  1. 'सादगी मासूमियत इस प्यार को हम क्या कहें
    खुरपियों को दे दिया है घास ने अपना पता.'
    बहुत ख़ूब! बहुत ही ख़ूब!
    दुष्यंत याद आये.
    उनकी अपील है के उन्हें हम मदद करें
    चाकू की पसलियों से गुजारिश तो देखिये
    बधाई.

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  2. बहुत नवीन भाव हैं. निम्न अनुपम है--


    सादगी-मासूमियत इस प्यार को हम क्या कहें?
    खुरपियों को दे दिया है घास ने अपना पता..
    *

    --ख़लिश

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  3. Ek alag khushbu - Eka alag tevar - Kya bat hai?

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  4. सलिलजी और और अन्य विद्वान समीक्षकों का आभार | तेवरी पसंद आयी, पुनः आभार |

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