बाल कविता:
आन्या गुडिया प्यारी
संजीव 'सलिल'
*
*
आन्या गुडिया प्यारी,
सब बच्चों से न्यारी।
गुड्डा जो मन भाया,
उससे हाथ मिलाया।
हटा दिया मम्मी ने,
तब दिल था भर आया ।
आन्या रोई-मचली,
मम्मी थी कुछ पिघली।
नया खिलौना ले लो,
आन्या को समझाया ।
आन्या बात न माने,
मन में जिद थी ठाने ।
लगी बहाने आँसू,
सिर पर गगन उठाया ।
आये नानी-नाना,
किया न कोई बहाना ।
मम्मी को समझाया
गुड्डा वही मंगाया ।
मम्मी ने ले धागा ,
कार में गुड्डा टाँगा ।
आन्या झूमी-नाची,
गुड्डा भी मुस्काया ।
फिर महकी फुलवारी,
आन्या गुडिया प्यारी।
*******************
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंUdan Tashtari
दीनदयाल शर्मा ने आपकी पोस्ट " बाल कविता: आन्या गुडिया प्यारी......बहुत सुन्दर बालगीत.... deendayalsharma.blogspot.com
जवाब देंहटाएंश्रद्धेय आचार्य जी के चरणों में सादर प्रणाम..............
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता...साथ ही साथ निम्नलिखित पन्क्तियां एक सन्देश भी देती है
///आन्या रोई-मचली,
मम्मी थी कुछ पिघली।
नया खिलौना ले लो,
आन्या को समझाया ।
आन्या बात न माने,
मन में जिद थी ठाने ।
लगी बहाने आँसू,
सिर पर गगन उठाया ।////
और समाधान भी बताती है
आये नानी-नाना,
किया न कोई बहाना ।
मम्मी को समझाया
गुड्डा वही मंगाया ।
Manju Gupta :
जवाब देंहटाएंमन की फुलवारी बाग -बाग हो गई .सुंदर बालगीत .
nice poem
जवाब देंहटाएंमाधव
आपकी बाल कविता पढ़ते हुए यूँ ही कुछ याद आया और गुलज़ार साहब की पंक्तियाँ होठों पे आ गईं - "दिल तो बच्चा है जी..$$$; थोडा कच्चा है जी..$$$".. इस सुन्दर रचना के लिए आपको ढेर सारी बधाईयाँ.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बाल कविता लिखे है आचार्या जी, बाल मन यही तो है जब किसी पर आ गया तो समझाना मुश्किल, तभी तो बाल हठ पूरी दुनिया मे मशहूर है, मैया मैं तो चंद खिलौना लैहो ... कौन भूल सकता है इन पक्क्तियो को, बहुत ही प्यारी रचना है ,
जवाब देंहटाएंSWAGATAM
जवाब देंहटाएंव्बहुत सुन्दर । बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी कविता बिलकुल आन्या गुडिया जेसी
जवाब देंहटाएंडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!