क्षणिकाएँ...
संजीव 'सलिल'
*
कर पाता दिल
अगर वंदना
तो न टूटता
यह तय है.
*
निंदा करना
बहुत सरल है.
समाधान ही
मुश्किल है.
*
असंतोष-कुंठा
कब उपजे?
बूझे कारण कौन?
'सलिल' सियासत
स्वार्थ साधती
जनगण रहता मौन.
*
मैं हूँ अदना
शब्द-सिपाही.
अर्थ सहित दें
शब्द गवाही..
*
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot. com
संजीव 'सलिल'
*
कर पाता दिल
अगर वंदना
तो न टूटता
यह तय है.
*
निंदा करना
बहुत सरल है.
समाधान ही
मुश्किल है.
*
असंतोष-कुंठा
कब उपजे?
बूझे कारण कौन?
'सलिल' सियासत
स्वार्थ साधती
जनगण रहता मौन.
*
मैं हूँ अदना
शब्द-सिपाही.
अर्थ सहित दें
शब्द गवाही..
*
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.
bahut umda...
जवाब देंहटाएंअसंतोष-कुंठा
कब उपजे?
बूझे कारण कौन?
'सलिल' सियासत
स्वार्थ साधती
जनगण रहता मौन.
मैं हूँ अदना
जवाब देंहटाएंशब्द-सिपाही.
अर्थ सहित दें
शब्द गवाही..
waah! kya baat hai!
Udan Tashtari...
जवाब देंहटाएंबढ़िया क्षणिकायें.
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंbahut khub
shekhar kumawat
CLUTCH ...
जवाब देंहटाएंkya baat hai very touching