शुक्रवार, 14 मई 2010

दोहा का रंग भोजपुरी के संग: संजीव वर्मा 'सलिल'

दोहा का रंग भोजपुरी के संग:

संजीव वर्मा 'सलिल'

सोना दहल अगनि में, जैसे होल सुवर्ण.
भाव बिम्ब कल्पना छुअल, आखर भयल सुपर्ण..
*
सरस सरल जब-जब भयल, 'सलिल' भाव-अनुरक्ति.
तब-तब पाठक गणकहल, इहै काव्य अभिव्यक्ति..
*
पीर पिये अउ प्यार दे, इहै सृजन के रीत.
अंतर से अंतर भयल, दूर- कहल तब गीत..
*
निर्मल मन में रमत हे, सदा शारदा मात.
शब्द-शक्ति वरदान दे, वरदानी विख्यात..
*
मन ऐसन हहरल रहन, जइसन नदिया धार.
गले लगल दूरी मितल, तोडल लाज पहार..
*
कुल्हि कहानी काल्ह के, गइल जवानी साँच.
प्रेम-पत्रिका बिसरि के, क्षेम-पत्रिका बाँच..
*
जतने जाला ज़िन्दगी, ओतने ही अभिमान.
तन संइथाला जेतने, मन होइल बलवान..
*
चोटिल नागिन के 'सलिल', ज़हरीली फुंकार.
बूढ बाघ घायल भयल, बच- लुक-छिप दे मार..
*
नेह-छोह राखब 'सलिल', धन-बल केकर मीत.
राउर मन से मन मिलल, साँस-साँस संगीत..
*
दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पोट.कॉम

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

7 टिप्‍पणियां:

  1. स्‍थानीय भाषाओं में आपका समृद्ध साहित्‍य सृजन प्रशंसनीय है।

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  2. बड़ा नीक लगल .एक एक भाव सुंदर बा. भोजपुरी के इतना ऊंचा देहले खातिन आपके सुकिरिया

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  3. ब्लॉगर honesty project democracy …मंगलवार, मई 18, 2010 10:56:00 pm

    ब्लॉगर honesty project democracy …
    उम्दा प्रस्तुती /

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  4. रश्मि:
    waah... nayapan hai dohon me

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  5. बहुत निमन लिखले बानी आचार्य जी, राउर इ दोहा त हमनी के हिंदी साहित्य मे पढ़नी जा, आ अब भोजपुरी रूपांतरण , कमाल के राउर लेखनी चलल बा इ दोहा मे, बहुत बढ़िया लागल इ राउर पोस्ट, बहुत बहुत बधाई इ पोस्ट खातिर,
    एगो अउर निहोरा बा आचार्य जी ओपन बुक्स ऑनलाइन पर भोजपुरी रचना लिखे खातिर एगो अलग से 'भोजपुरी साहित्य" ग्रुप बनावल बा , निहोरा बा की आगे रौवा भोजपुरी के रचना वोइजे पोस्ट करे के कृपा करी, सुविधा खातिर हम लिंक भी नीचे दे देत बानी,
    http://www.openbooksonline.com/group/bhojpuri_sahitya

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