नव गीत:
आचार्य संजीव 'सलिल'
जिनको कीमत नहीं
समय की
वे न सफलता
कभी वरेंगे...
*
समय न थमता,
समय न झुकता.
समय न अड़ता,
समय न रुकता.
जो न समय की
कीमत जाने,
समय नहीं
उसको पहचाने.
समय दिखाए
आँख तनिक तो-
ताज- तख्त भी
नहीं बचेंगे.....
*
समय सत्य है,
समय नित्य है.
समय तथ्य है,
समय कृत्य है.
साथ समय के
दिनकर उगता.
साथ समय के
शशि भी ढलता.
हो विपरीत समय
जब उनका-
राहु-केतु बन
ग्रहण डसेंगे.....
*
समय गिराता,
समय उठाता.
समय चिढाता,
समय मनाता.
दुर्योधन-धृतराष्ट्र
समय है.
जसुदा राधा कृष्ण
समय है.
शूल-फूल भी,
गगन-धूल भी
'सलिल' समय को
नमन करेंगे...
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समय बहुत बलवान । सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमिथिला सँग मिथलेश ने, झेला समय-प्रभाव.
जवाब देंहटाएंसुख-दुःख सम होकर सहा, रखकर संत-स्वभाव..
२७ अगस्त २००९ ६:४५ AM को, Udan Tashtari sameer.lal@gmail.com ने "नव गीत: आचार्य संजीव 'सलिल' " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंसमय की ताकत को पहचानना ही होगा..सुन्दर संदेश देता नव गीत..बधाई एवं आभार!
उड़न तश्तरी समय का जाने सच्चा मोल.
जवाब देंहटाएंहर उड़ान होती 'सलिल', सफल चले पग तोल..
धन्यवाद.
Dr. Smt. ajit gupta ने आपकी पोस्ट " नव गीत: आचार्य संजीव 'सलिल' " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंजिनको कीमत नहीं समय की
वे न सफलता कभी वरेंगे। बहुत सुंदर गीत बन पडा है। बधाई।
समय न सीमित, समय अमित है.
जवाब देंहटाएंसमय-साथ जो चले, अजित है.
समय पृष्ठ पर कर हस्ताक्षर-
श्रम-सीकर से, 'सलिल' अमित है.
bahut sundar sanesh deta yh nav geet
जवाब देंहटाएंचौरे-चौरे पर समय, अलख जगाता नित्य.
जवाब देंहटाएंरुचे शोभना मोहना, आत्मा हो आदित्य..