सोमवार, 8 जून 2009

कवि-नाटककार दिवंगत

सहसा होता विश्वास नहीं...महाशोक


कला जगत व साहित्य जगत के लिए ७ जून २००९ रविवार का दिन अत्यंत दुखद रहा. देश के जाने माने हास्य कवि ओम प्रकाश 'आदित्य' , नीरज पुरी तथा लाड़ सिंह गुज्जर की भोपाल में आयोजित बेतवा महोत्सव से दिल्ली लौटते समय सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गयी. इस हादसे में तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

घायलों में ओम व्यास की हालत गंभीर बनी हुई है. दक्षिण दिल्ली के मालवीय नगर में एक स्कूल में अध्यापन का कार्य कर चुके आदित्य को हास्य कविता के क्षेत्र में खासी ख्याति मिली। उनके दो बहुचर्चित काव्य संग्रह 'गोरी बैठे छत्ते पर' और 'इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं' बहुत लोकप्रिय हुए.


जाने माने रंगकर्मी हबीब तनवीर भी इस रविवार नहीं रहे . वे विगत कई दिनों से बीमार चल रहे थे . दिव्य नर्मदा परिवार, परम पिता से दिवंगत आत्माओं को शांति, स्वजनों को यह क्षति सहन करने हेतु धैर्य तथा घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने की कामना करता है.

प्रस्तुत है स्व.ओम प्रकाश'आदित्य' की एक प्रसिद्ध रचना-

इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं।

जिधर देखता हूँ गधे ही गधे हैं॥

गधे हँस रहे, आदमी रो रहा है।

हिन्दोस्तां में ये क्या हो रहा है?

जवानी का आलम गधों के लिए है।

ये रसिया, ये बालम गधों के लिए है॥

ये दिल्ली, ये पालम गधों के लिए है।

ये संसार सालम गधों के लिए है॥

पिलाये जा साकी पिलाये जा डट के।

तू व्हिस्की के मटके पै मटके पै मटके ॥

मैं दुनिया को अब भूलना चाहता हूँ।

गधों की तरह झूमना चाहता हूँ॥

घोडों को मिलती नहीं घास देखो।

गधे खा रहे हैं च्यवनप्राश देखो॥

यहाँ आदमी की कहो कब बनी है?

ये दुनिया गधों के लिए ही बनी है॥

जो गलियों में डोले वो कच्चा गधा है।

जो कोठे पे बोले वो सच्चा गधा है॥

जो खेतों पे दीखे वो फसली गधा है।

जो माइक पे चीखे वो असली गधा है॥

मैं क्या बक गया हूँ?, ये क्या कह गया हूँ?

नशे की पिनक में कहाँ बह गया हूँ?

मुझे माफ़ करना मैं भटका हुआ था।

वो ठर्रा था भीतर जी अटका हुआ था॥



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5 टिप्‍पणियां:

  1. आज सड़क दुर्घटना में ३ कवियों की मृत्यु होगई और २ घायल हो गए |
    हिंदी साहित्य को हुयी क्षति बड़ी चिनाजनक है |
    काव्य मंच के सक्रीय लोगों का एक साथ जाना दुखद है |
    घायल कवि हरी ॐ व्यास जी और अन्य कवियों के जीवन के लिए सभी मंगल कामना करें |
    हमारी श्रद्धांजली |
    अवनीश तिवारी

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  2. उधर स्वर्ग में होगा उत्सव
    है यहां धरा पर शोक
    ये बुझे हुये दीपक भी देंगे
    युग युग तक आलोक ..

    हम सबकी विनत शोक श्रद्धांजली ...

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  3. varishta kaviyo ke achanak nidhan par, Divya Narmada me shaddhanjali ki prastuti kar aapne manviya samvedna ka ek aur sopan chada hai.
    aabhar

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