दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

गुरुवार, 27 जनवरी 2022

दोहा, कुण्डलिया, सोरठा, रोला, ग्वारीघाट, गीत, उल्लाला,

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ग्वारीघाट जबलपुर की एक शाम चित्र पर रचना * लल्ला-लल्ली रोए मचले हमें घूमना मेला लालू-लाली ने यह झंझट बहुत देर तक झेला डाँटा-डपटा बस न चला तो...
बुधवार, 26 जनवरी 2022

गीत, नवगीत, गणतंत्र दिवस

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ॐ अगिन नमन गणतंत्र महान जनगण गाए मंगलगान * दसों दिशाएँ लिए आरती नजर उतारे मातु भारती धरणि पल्लवित-पुष्पित करती नेह नर्मदा पुलक तारती नीलगगन ...
सोमवार, 24 जनवरी 2022

सॉनेट

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सॉनेट शुभ प्रभात  * सबका शुभ-मंगल करिए प्रभु! हर चेहरे पर हो प्रसन्नता। हृदय हृदय से मिले, खिले विभु! कहीं न किंचित् हो विपन्नता।। शरणागत हम...
रविवार, 23 जनवरी 2022

सॉनेट

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सॉनेट  सुभाष  * नरनाहर शार्दूल था, भारत माँ का लाल। आजादी का पहरुआ, परचम बना सुभाष। जान हथेली पर लिए, ऊँचा रख निज भाल।। मृत्युंजय है अमर यश,...
शनिवार, 22 जनवरी 2022

सॉनेट

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सॉनेट  आवागमन  * देह मृण्मय रहो तन्मय। श्वास अगली है अनिश्चित। गमन से क्यों हो कहें भय।। लौट आना है सुनिश्चित।। दूर करती अनबनों से। क्या गलत...
शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

सॉनेट, नवगीत, मुक्तक

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सॉनेट छीछालेदर  * है चुनाव हो छीछालेदर।  नूराकुश्ती खेले नेता।  सत्ता पाता वादे देकर।। अनचाहे वोटर मत देता।। नाग साँप बिच्छू सम्मुख हैं।  भो...
गुरुवार, 20 जनवरी 2022

नवगीत, विजाति छंद, दोहा गाथा, सरस्वती, विवाह बधाई गीत

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चलो मिलके सजाएँ बारात, बधाई हो सबको २ * जुही-चमेली अंजलि छाया, आभा देखे जग चकराया। वसुधा जगमग करे ज्योत्सना, निशि संग चंदा आया। चलो मिल के ब...
बुधवार, 19 जनवरी 2022

सॉनेट, दोहा, शिव, काल गणना, ओशो, नवगीत,

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सॉनेट बिरजू महाराज * ताल-थाप घुँघरू मादल एक साथ हो मौन गए नृत्य कथाएँ कौन कहे? कौन भरे रस की छागल?? रहकर भी थे रहे नहीं अपनी दुनिया में थे ल...
मंगलवार, 18 जनवरी 2022

सॉनेट

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सॉनेट  दीप प्रज्जवलन * दीप ज्योति सब तम हरे, दस दिश करे प्रकाश। नव प्रयास हो वर्तिका, ज्योति तेल जल आप। पंथ दिखाएँ लक्ष्य वर, हम छू लें आकाश...
सोमवार, 17 जनवरी 2022

सॉनेट, दोहा गीत, नव गीत, मुक्तिका, हिंदी ग़ज़ल

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सॉनेट कण-कण में जो बस रहा सकल सृष्टि जो रच रहा कहिए किसके बस रहा? बाँच रहा, खुद बँच रहा। हँसा रहा चुप हँस रहा लगे झूठ पर सच कहा जीव पंक में ...
रविवार, 16 जनवरी 2022

सॉनेट

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सॉनेट  राम-श्याम * राम-राम जप जग तरे  जिए कहे जय राम जी  सिया-राम-पग सर धरे  भव तारे यह नाम जी  श्याम सरस लीला करे नटखट माखनचोर बन  मित्रों ...
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