दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

शनिवार, 11 सितंबर 2021

बघेली हाइकु

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बघेली हाइकु * जिनखें हाथें किस्मत के चाभी बड़े दलाल * आम के आम नेता करै कमाल गोई के दाम * सुशांत-रिया खबरचियन के बाप औ' माई * लागत हय लिप...

छंद आग्नेय महापुराण

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छंद चर्चा: आग्नेय महापुराण अध्याय ३२८ छंदों के गण और गुरु-लघु की व्यवस्था "अग्निदेव कहते हैं- वसिष्ठ! अब मैं वेद मन्त्रों के अनुसार पिन...

कुण्डलिया : दन्त-पंक्ति, मुक्तक, बुंदेली दोहा

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कुण्डलिया : दन्त-पंक्ति श्वेता रहे..... संजीव 'सलिल' * दन्त-पंक्ति श्वेता रहे, सदा आपकी मीत. मीठे वचन उचारिये, जैसे गायें गीत.. जैसे...
शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

हम इश्क के बंदे

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लेख 'हम इश्क के बंदे' हैं : प्रेमपरक कहानियाँ आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * हिंदी साहित्य के आधुनिक काल की आधारशिला रखनेवाले स...

बाल रचना बिटिया छोटी

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बाल रचना बिटिया छोटी * फ़िक्र बड़ी पर बिटिया छोटी क्यों न खेलती कन्ना-गोटी? * ऐनक के काँचों से आँखें झाँकें लगतीं मोटी-मोटी * इतनी ज्यादा गुस्...

दोहा सलिला

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दोहा सलिला- तन मंजूषा ने तहीं, नाना भाव तरंग मन-मंजूषा ने कहीं, कविता सहित उमंग * आत्म दीप जब जल उठे, जन्म हुआ तब मान श्वास-स्वास हो अमिय-घट...

नवगीत कौन?

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नवगीत कौन? * कौन रचेगा राम-कहानी? कौन कहेगा कृष्ण-कथाएँ?? खुशियों की खेती अनसिंचित, सिंचित खरपतवार व्यथाएँ। * खेत, कारखाने, कॉलोनी बनकर, बिन...

गणेश भजनावली

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ॐ शिशुगीत .श्री गणेश श्री गणेश की बोलो जय, पाठ पढ़ो होकर निर्भय। अगर सफलता पाना है- काम करो होकर तन्मय।। *** प्रभाती जागिए गणराज * जागिए गणरा...
गुरुवार, 9 सितंबर 2021

लिंगाष्टक, शिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं, शिव स्तुति

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ॐ लिंगाष्टक ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ...

५ शिव भजन शांति देवी वर्मा

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शिव भजन स्मृतिशेष मातुश्री शांति देवी वर्मा * १ शिवजी की आई बारात * शिव जी की आई बारात, चलो सखी देखन चलिए। देखन चलिए, मुदित मन रहिए, शिव जी ...

निमाड़ी मुक्तिका

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卐 ॐ 卐 निमाड़ी मुक्तिका संजीव * दुनिया रंग-बिरंगी छे मतलब को संगी म्हारो-थारो भूलो बण जा सच्चो जंगी रेवा महिमा भारी जल पी तबियत चंगी माटी केस...

मालवी हाइकु

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मालवी सलिला हाइकु संजीव * मात सरसती! हात जोड़ी ने थारा करूँआरती। * नींद में सोयो जागी ने घणो रोयो फसल खोयो। * मालवी बोली नरमदा का पाणी मिसरी...

विमर्श धर्म

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विमर्श * धर्म क्या है? जिसे धारण किया जाए वह धर्म है। किसे धारण किया जाए? जो धारण करने योग्य हो। धारण करने योग्य क्या है? परिधान या आचरण? अस...

दोहा दुनिया

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दोहा दुनिया * खोटे करते काम हम, खरे खरे कर काम। सृजनशील जीवन जिएँ, मानक रचें ललाम।। * सम आमोद विनोद नित, करते लेखन कर्म। कर्मदेव आराध्य हैं,...
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