दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

सोमवार, 26 जुलाई 2021

श्रृंगार

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मुक्तक नेह तुम्हारा बन गया जीवन का आधार धन्य हुआ जब कर लिया तुमने अंगीकार पिसे हिना सम नित्य हम रंग चढ़ा है खूब एक-दूसरे को हुए श्वासों का श्...

साहित्य संगम

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साहित्य संगम को समर्पित  जबलपुर में हो रहा 'साहित्य संगम' सफल हो शारदा की हो कृपा, साहित्य महिमा अचल हो   श्रावणी वातावरण में, '...

नवगीत

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नवगीत * फ्रीडमता है बोल रे! हिंगलिश ले आनंद अपनी बोली बोलते जो वे हैं मतिमंद होरी गारी जस भुला बंबुलिया दो त्याग राइम गाओ बेसुरा भूलो कजरी फ...

नवगीत

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नवगीत * बैठ नर्मदा तीर तंबूरा रहा बजा बाबा गाये कूटो, लूटो मौज मजा वनवासी के रहे न जंगल सरकारी सोने सम पेट्रोल टैक्स दो हँस भारी कोरोना प्रत...

समीक्षा काल है संक्रांति का चंद्रकांता अग्निहोत्री

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समीक्षा काल है संक्रांति का चंद्रकांता अग्निहोत्री * शब्द, अर्थ, प्रतीक, बिंब, छंद, अलंकार जिनका अनुगमन करते हैं और जो सदा सत्य की सेवा में ...

समीक्षा राम कुमार चतुर्वेदी

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पुरोवाक: हास्य साहित्य परंपरा और 'चमचावली' हास्य-व्यंग्य की दीपावली आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * मार्क ट्वेन ने कहा है कि हँस...
रविवार, 25 जुलाई 2021

समीक्षा सुनीता सिंह

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पुस्तक चर्चा : ''कालचक्र को चलने दो'' भाव प्रधान कवितायें '' [पुस्तक विवरण: काल चक्र को चलने दो, कविता संग्रह, सुनीत...

मुक्तिका: बिटिया

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मुक्तिका: बिटिया संजीव 'सलिल' * चाह रहा था जग बेटा पर अनचाहे ही पाई बिटिया. अपनों को अपनापन देकर, बनती रही पराई बिटिया.. कदम-कदम पर ...

गीत

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गीत  * हम आज़ाद देश के वासी, मुँह में नहीं लगाम। * जब भी अपना मुँह खोलेंगे, बेमतलब बातें बोलेंगे। नहीं बोलने के पहले हम बात कभी अपनी तोलेंगे।...

विमर्श मौलिकता, मुक्तक

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विमर्श  क्या यह मौलिक सृजन है??? * मुख पुस्तक पर एक द्विपदी पढ़ी. इसे सराहना भी मिल रही है. मैं सराहना तो दूर इसे देख कर क्षुब्ध हो रहा हूँ. ...

दोहा सलिला; रवि-वसुधा के ब्याह में

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दोहा सलिला; रवि-वसुधा के ब्याह में... संजीव 'सलिल' * रवि-वसुधा के ब्याह में, लाया नभ सौगात. 'सदा सुहागन' तुम रहो, ]मगरमस्त...

मुक्तिका

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मुक्तिका: क्यों है? संजीव 'सलिल' * जो जवां है तो पिलपिला क्यों है? बोल तो लब तेरा सिला क्यों है? दिल से दिल जब कभी न मिल पाया. हाथ स...
शनिवार, 24 जुलाई 2021

दोहा-यमक

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दोहा सलिला गले मिले दोहा-यमक ३ * गरज रहे बरसे नहीं, आवारा घन श्याम नहीं अधर में अधर धर, वेणु बजाते श्याम * कृष्ण वेणु के स्वर सुने, गोप सराह...

हास्य षट्पदी, दोहा

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दोहा नेह नर्मदा कलम बन, लिखे नया इतिहास प्राची तम का अन्त कर, देती रहे उजास * प्राची पर आभा दिखी, हुआ तिमिर का अन्त अन्तर्मन जागृत करें, कंत...
शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

अहीर छन्द

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रसानंद दे छंद नर्मदा ४० : अहीर छन्द दोहा, सोरठा, रोला, आल्हा, सार, ताटंक, रूपमाला (मदन), चौपाई, हरिगीतिका, उल्लाला,गीतिका,घनाक्षरी, बरवै, त्...

बाल गीत पेंसिल

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बाल गीत पेंसिल * पेन्सिल बच्चों को भाती है. काम कई उनके आती है. अक्षर-मोती से लिखवाती. नित्य ज्ञान की बात बताती. रंग-बिरंगी, पतली-मोटी. लम्ब...

बाल साहित्य में छंद

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बाल साहित्य में छंद सुषमा निगम, अन्नपूर्णा बाजपेई बच्चों में अनुकरणशीतला, जिज्ञासा और कल्पनाशीलता बहुत अधिक होती है। अनुकरण से उनके चरित्र क...

मुक्तक

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  मुक्तक रंग इश्क के अनगिनत, जैसा चाहे देख लेखपाल न रख सके लेकिन उनका लेख जी एस टी भी लग नहीं सकता, पटको शीश - खींच न लछमन भी सकें, इस पर को...
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