दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

रविवार, 30 मई 2021

समीक्षा सुरेंद्र पवार सड़क पर

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पुस्तक समीक्षा जीवन कहता ''सड़क पर'' सलिल सलिल सम जान * नवगीत, कविता की पूर्व-पीठिका पर गूँजता सामवेदी गान है। नव गीत के वामन...

बालगीत: बिटिया रानी

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बालगीत: बिटिया रानी * आँख में आँसू, नाक से पानी क्यों रूठी है बिटिया रानी? * पल में खिलखिल कर हँस देगी झटपट कह दो 'बहुत सयानी'। * ठे...

मुक्तिका दिंडी छंद

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मुक्तिका विधान: उन्नीस मात्रिक, महापौराणिक जातीय दिंडी छंद * साँस में आस; यारों अधमरी है। अधर में चाह; बरबस ही धरी है।। * हवेली-गाँव को हम; ...

विश्ववाणी हिंदी और हम

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विश्ववाणी हिंदी और हम समाचार है कि विश्व की सर्वाधिक प्रभावशाली १२४ भाषाओं में हिंदी का दसवाँ स्थान है। हिंदी की आंचलिक बोलियों और उर्दू को ...

दूरलेख वार्ता सविता तिवारी

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ला लौरा मौक़ा मारीशस में कार्यरत पत्रकार श्रीमती सविता तिवारी से एक दूरलेख वार्ता - सर नमस्ते नमस्ते = नमस्कार. - आप बाल कविताएं काफी लिखते ह...

नवगीत

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नवगीत: मत हो राम अधीर......... * जीवन के सुख-दुःख हँस झेलो , मत हो राम अधीर..... * भाव, अभाव, प्रभाव ज़िन्दगी. मिलन, विरह, अलगाव जिंदगी. अनि...

लखनऊ प्रवास

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  एक रचना शुष्क मौसम, संदेशे मधुर रस भरे * शुष्क मौसम, संदेशे मधुर रस भरे, नेटदूतित मिले मन मगन हो गया बैठ अमराई में कूक सुन कोकिली, दशहरी आ...

समीक्षा निर्मल शुक्ल

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पुस्तक चर्चा- 'सच कहूँ तो' नवगीतों की अनूठी भाव भंगिमा आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * [पुस्तक विवरण- सच कहूँ तो, नवगीत संग्रह, ...

दोहा, मुक्तक

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दोहा सलिला: संजीव * भँवरे की अनुगूँज को, सुनता है उद्यान शर्त न थककर मौन हो, लाती रात विहान * धूप जलाती है बदन, धूल रही हैं ढांक सलिल-चाँदनी...

द्विपदी

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द्विपदी सलिला : संजीव * कंकर-कंकर में शंकर हैं, शिला-शिला में शालिग्राम नीर-क्षीर में उमा-रमा हैं, कर-सर मिलकर हुए प्रणाम * दूल्हा है कौन इत...

हाइकु का रंग पलाश के संग

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  हाइकु सलिला: हाइकु का रंग पलाश के संग संजीव * करे तलाश अरमानों की लाश लाल पलाश * है लाल-पीला देखकर अन्याय टेसू निरुपाय * दीन न हीन हमेशा र...

विमर्श ; सावन में ससुराल

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विमर्श : भारत में सावन में महिलाओं के मायके जाने की रीत है. क्यों न गृह स्वामिनी के जिला बदर के स्थान पर दामाद के ससुराल जाने की रीत हो. इसक...

तांका

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  विश्ववाणी हिंदी - जापानी सेतु : तांका: एक परिचय संजीव * पंचपदी लालित्यमय, तांका शाब्दिक छन्द, बंधन गण पदभार तुक, बिन रचिए स्वच्छंद। प्रथम...

मुक्तिका

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मुक्तिका : संजीव 'सलिल' भंग हुआ हर सपना * भंग हुआ हर सपना, टूट गया हर नपना. माया जाल में उलझे भूले माला जपना.. तम में साथ न कोई किस...

घनाक्षरी / मनहरण कवित्त

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घनाक्षरी / मनहरण कवित्त ... झटपट करिए संजीव 'सलिल' * लक्ष्य जो भी वरना हो, धाम जहाँ चलना हो, काम जो भी करना हो, झटपट करिए. तोड़ना निय...

मुक्तिका

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मुक्तिका .....डरे रहे. संजीव 'सलिल' * हम डरे-डरे रहे. तुम डरे-डरे रहे. दूरियों को दूर कर निडर हुए, खरे रहे. हौसलों के वृक्ष पा लगन-ज...

मुक्तिका

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: मुक्तिका :मन का इकतारा संजीव 'सलिल' * मन का इकतारा तुम ही तुम कहता है. जैसे नेह नर्मदा में जल बहता है.. * सब में रब या रब में सब क...
शनिवार, 29 मई 2021

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समीक्षा भगवत दुबे

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पुस्तक चर्चा: 'बुंदेली दोहे' सांस्कृतिक शब्द छवियाँ मन मोहे चर्चाकार: आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * [कृति विवरण: बुंदेली दोहे,...

नवगीत: शिरीष

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  नवगीत: शिरीष संजीव . क्षुब्ध टीला विजन झुरमुट झाँकता शिरीष . गगनचुम्बी वृक्ष-शिखर कब-कहाँ गये बिखर विमल धार मलिन हुई रश्मिरथी तप्त-प्रखर व...
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