दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

गुरुवार, 26 नवंबर 2020

अकथा नैवेद्य

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एक अकथा  नैवेद्य  * - प्रभु! मैं तुम सबका सेवक हूँ। तुम सब मेरे आराध्य हो। मुझे आलीशान महल दो। ऊँचा वेतन, निशुल्क भोजन, भत्ते, गाड़ी, मुफ्त ...

सामयिक नवगीत

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  सामयिकबुंदेली नवगीत * नाग, साँप, बिच्छू भय ठाँड़े, धर संतन खों भेस। * हात जोर रय, कान पकर रय, वादे-दावे खूब। बिजयी हो झट कै दें जुमला, म...

दोहा सलिला

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दोहा सलिला  राम आत्म परमात्म भी, राम अनादि-अनंत चित्र गुप्त है राम का, राम सृष्टि के कंत * विधि-हरि-हर श्री राम हैं, राम अनाहद नाद शब्दाक्षर...

मुक्तक

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  मुक्तक: मेरी तो अनुभूति यही है शब्द ब्रम्ह लिखवा लेता निराकार साकार प्रेरणा बनकर कुछ कहला लेता मात्र उपकरण मानव भ्रमवश खुद को रचनाकार कहे ...

काव्यांजलि

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काव्यांजलि  * सलिल-धार लहरों में बिम्बित 'हर नर्मदे' ध्वनित राकेश शीश झुकाते शब्द्ब्रम्ह आराधक सादर कह गीतेश जहाँ रहें घन श्याम वहा...
बुधवार, 25 नवंबर 2020

व्यंग्य लेख : ब्रह्मर्षि घोंचूमल तोताराम

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  व्यंग्य लेख : १  ब्रह्मर्षि घोंचूमल तोताराम आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'  * घोर कलिकाल में पावन भारत भूमि को पाप के ताप से मुक्त करने...

पुरोवाक ''कागज़ के अरमान' अग्निभ मुखर्जी

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पुरोवाक ''कागज़ के अरमान'' - जमीन पर पैर जमकर आसमान में उड़ान  आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * मानव सभ्यता और कविता का साथ...

बुंदेली छंद सड़गोड़ासनी

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  बुंदेली छंद सड़गोड़ासनी संजीव * छंद - सड़गोड़ासनी। पद - ३, मात्राएँ - १५-१२-१५। पहली पंक्ति - ४ मात्राओं के बाद गुरु-लघु अनिवार्य। गायन - दा...

दोहा मुक्तिका

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दोहा मुक्तिका संजीव  * स्नेह भारती से करें, भारत माँ से प्यार। छंद-छंद को साधिये, शब्द-ब्रम्ह मनुहार।। * कर सारस्वत साधना, तनहा रहें न यार। ...

कार्यशाला

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  कार्यशाला प्रश्न- मीना धर द्विवेदी पाठक लै ड्योढ़ा ठाढ़े भये श्री अनिरुद्ध सुजान बाणासुर की सेन को हनन लगे भगवान इसका अर्थ क्या है? ड्योढ़ा...

क्षणिका, दोहा, मुक्तक

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क्षणिका  गीत क्या?,  नवगीत क्या?  बोलें, निर्मल बोलें  बात मन की करें  दिल दरवाजे खोलें. * दोहा  निर्मल है नवगीत का,त्रिलोचनी संसार. निहित क...

समीक्षा जीवन मनोविज्ञान डॉ. कृष्ण दत्त

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कृति चर्चा-  जीवन मनोविज्ञान : एक वरदान  [कृति विवरण: जीवन मनोविज्ञान, डॉ. कृष्ण दत्त, आकार क्राउन, पृष्ठ ७४,आवरण दुरंगा, पेपरबैक, त्र्यंबक ...

प्रेमा छंद

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छंद सलिला प्रेमा छंद  संजीव  * यह दो पदों, चार चरणों, ४४ वर्णों, ६९ मात्राओं का छंद है. इसका पहला, दूसरा और चौथा चरण उपेन्द्रवज्रा तथा दूसरा...

मुक्तिका: सबब क्या ?

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मुक्तिका: सबब क्या ? संजीव 'सलिल' * सबब क्या दर्द का है?, क्यों बताओ? छिपा सीने में कुछ नगमे सुनाओ.. न बाँटा जा सकेगा दर्द किंचित. ल...
मंगलवार, 24 नवंबर 2020

विश्ववाणी हिंदी संस्थान

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ॐ  विश्ववाणी हिंदी संस्थान   समन्वयम २०४ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१, चलभाष: ९४२५१ ८३२४४ ​/ ७९९९५ ५९६१८ ​ salil.sanjiv@gmail...

मुक्तक

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मुक्तक संजीव * मुख पुस्तक मुख को पढ़ने का ग्यान दे क्या कपाल में लिखा दिखा वरदान दे शान न रहती सदा मुझे मत ईश्वर दे शुभाशीष दे, स्नेह, मान ज...

नवगीत

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नवगीत . बसर ज़िन्दगी हो रही है सड़क पर. . बजी ढोलकी गूंज सोहर की सुन लो टपरिया में सपने महलों के बुन लो दुत्कार सहता बचपन बिचारा सिसक, चुप र...

लघुकथा: बुद्धिजीवी और बहस

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  लघुकथा: बुद्धिजीवी और बहस संजीव * 'आप बताते हैं कि बचपन में चौपाल पर रोज जाते थे और वहाँ बहुत कुछ सीखने को मिलता था. क्या वहाँ पर ट्यू...

समीक्षा

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  पुस्तक सलिला: हिन्दी महिमा सागर [पुस्तक विवरण: हिन्दी महिमा सागर, संपादक डॉ. किरण पाल सिंह, आकार डिमाई, आवरण बहुरंगी पेपरबैक, पृष्ठ २०४, प...

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मुक्तिका संजीव  * देख जंगल कहाँ मंगल? हर तरफ है सिर्फ दंगल याद आते बहुत हंगल स्नेह पर हो बाँध नंगल भू मिटाकर चलो मंगल *** २४-११-२०१४ 
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