दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

रविवार, 27 सितंबर 2020

छत्तीसगढ़ी पर्व संगोष्ठी २७-९-२०२०

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छत्तीसगढ़ी पर्व संगोष्ठी  २७-९-२०२०   हे हरि! ठाकुर हो तुम्हीं, मधुर पुनीता याद   राष्ट्र-लक्ष्मी शत नमन, श्रम सीकर हो खाद   कर चेतन माँ भारत...

बघेली सरस्वती वंदना

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बघेली सरस्वती वंदना डॉ. नीलमणि दुबे शहडोल * को अब आइ सहाइ करै,पत राखनहार सरस्सुति मइया, तोर उजास अॅंजोर भरै,उइ आइ मनो रस-रास जुॅंधइया! बीन ब...

सरस्वती कवच

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सरस्वती कवच ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार विश्वविजय सरस्वती कवच का नित्य पाठ करने से साधक में अद्भुत शक्तियों का संचार होता है तथा जीवन के हर...

गीत

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गीत  * सिया हरण को देख रहे हैं आँखें फाड़ लोग अनगिन द्रुपद सुता के चीरहरण सम घटनाएँ होतीं हर दिन। * 'गिरि गोपाद्रि' न नाम रहा क्यों? ...

रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद

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रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के बीच हुए एक अद्भुत संवाद के अंश... ----------------------------------------- स्वामी विवेकानंद : मैं सम...

सच झूठ

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कार्यशाला सवाल-जवाब * सच कहूँ तो चोट उन को लगती है झूठ कहने से जुबान मेरी जलती है - राज आराधना * न कहो सच, न झूठ मौन रहो सुख की चाहत जुबान स...

शिवतांडवस्तोत्र

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शिवतांडवस्तोत्र :: शिव स्तुति माहात्म्य :: श्री गणेश विघ्नेश शिवा-शिव-नंदन वंदन. लिपि-लेखनि, अक्षरदाता कर्मेश शत नमन.. नाद-ताल,स्वर-गान अधिष...

दोहा

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दोहा- * पुरुष कभी स्वामी लगा, कभी चरण का दास कभी किया परिहास तो, कभी दिया संत्रास * चित्र गुप्त जिसका, बनी मूरत कैसे बोल? यदि जयंती तो मरण द...

बुंदेली मुक्तिका

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  मुक्तिका बुंदेली में * पाक न तन्नक रहो पाक है? बाकी बची न कहूँ धाक है।। * सूपनखा सें चाल-चलन कर काटी अपनें हाथ नाक है।। * कीचड़ रहो उछाल ह...

विमर्श: चरण स्पर्श

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विमर्श:  चरण स्पर्श क्यों? संजीव  * चरण स्पर्श के कई आयाम है। गुरु या सिद्ध सन्त के चरण स्पर्श का आशय उनकी सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करना होत...

कविता: शेर और आदमी

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कविता: शेर और आदमी  * शेर के बाड़े में कूदा आदमी शेर था खुश कोई तो है जो न घूरे दूर से मुझसे मिलेगा भाई बनकर. निकट जा देखा बँधी घिघ्घी थी उसक...

कार्यशाला : सिगरेट

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कार्यशाला : सिगरेट  संजीव  * ज़िंदगी सिगरेट सी जलती रही  ऐश ट्रे में उमीदों की राख है।  *  दिलजले ने दाह दी हर आह जला कर सिगरेट, पाया चैन कुछ...
शनिवार, 26 सितंबर 2020

गीत

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  एक गीत: संजीव * ह्रदय प्रफुल्लित मुकुलित मन अपनों से मिलकर * सद्भावों की क्यारी में प्रस्फुटित सुमन कुछ गंध बिखेरें अपनेपन की. स्नेहिल भुज...

गीत - आवाज़ तेरी

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गीत * क्यों न फुनिया कर सुनूँ आवाज़ तेरी? * भीड़ में घिर हो गया है मन अकेला धैर्य-गुल्लक में, न बाकी एक धेला क्या कहूँ तेरे बिना क्या-क्या न झ...

राग तैलंग

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मनपसन्द कवि और कविता दूसरा राग तैलंग * एक को एक अच्छे काम का विचार आया तो दूसरे ने उस पर शक जताया एक ने काम करना शुरू किया तो दूसरे ने निक्स...

गीत - ज़िंदगी के मानी

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बाल गीत / नव गीत: ज़िंदगी के मानी संजीव 'सलिल' *  खोल झरोखा, झाँक- ज़िंदगी के मानी मिल जायेंगे. मेघ बजेंगे, पवन बहेगा, पत्ते नृत्य दिख...
शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

दोहा चंचरीक पर

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  चंचरीक - चरित दोहावली आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल * 'चंचरीक' प्रभु चरण के, दैव कृपा के पात्र काव्य सृजन सामर्थ्य के, नित्य-सनातन ...

मुक्तिका

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मुक्तिका * बोल बिके बेमोल मौन रहा अनमोल * कौन किसी के साथ नातों में है झोल? * मन्ज़िल तय कर आप नाहक तू मत डोल * लौट न सकती बात ले पहले तू तोल...
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