दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

शनिवार, 30 मई 2020

विमर्श : विश्ववाणी हिंदी और हम

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विश्ववाणी हिंदी और हम समाचार है कि विश्व की सर्वाधिक प्रभावशाली १२४ भाषाओं में हिंदी का दसवाँ स्थान है। हिंदी की आंचलिक बोलियों और उर्दू...

दूर वार्ता

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ला लौरा मौक़ा मारीशस में कार्यरत पत्रकार श्रीमती सविता तिवारी से एक दूर वार्ता - सर नमस्ते नमस्ते = नमस्कार. - आप बाल कविताएं काफी लिखते...

नवगीत

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नवगीत: मत हो राम अधीर......... * जीवन के सुख-दुःख हँस झेलो , मत हो राम अधीर..... * भाव, अभाव, प्रभाव ज़िन्दगी. मिलन, विरह, अलगाव जिंदगी...

लघुकथा ज़हर

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लघुकथा ज़हर आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * --'टॉमी को तुंरत अस्पताल ले जाओ।' जैकी बोला। --'जल्दी करो, फ़ौरन इलाज शुरू होना...

मुक्तिका

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: मुक्तिका : मन का इकतारा संजीव 'सलिल' * मन का इकतारा तुम ही तुम कहता है. जैसे नेह नर्मदा में जल बहता है.. * सब में रब या रब मे...

घनाक्षरी / मनहरण कवित्त

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घनाक्षरी / मनहरण कवित्त ... झटपट करिए संजीव 'सलिल' * लक्ष्य जो भी वरना हो, धाम जहाँ चलना हो, काम जो भी करना हो, झटपट करिए. तोड़ना नि...

मुक्तिका

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मुक्तिका : संजीव 'सलिल' भंग हुआ हर सपना * भंग हुआ हर सपना, टूट गया हर नपना. माया जाल में उलझे भूले माला जपना.. तम में साथ न कोई किस...

हाइकु सलिला

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हाइकु सलिला: हाइकु का रंग पलाश के संग संजीव * करे तलाश अरमानों की लाश लाल पलाश * है लाल-पीला देखकर अन्याय टेसू निरुपाय * दीन न हीन हमेशा रह...

द्विपदी सलिला

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द्विपदी सलिला : संजीव * कंकर-कंकर में शंकर हैं, शिला-शिला में शालिग्राम नीर-क्षीर में उमा-रमा हैं, कर-सर मिलकर हुए प्रणाम * दूल्हा है कौन इ...

मुक्तक

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मुक्तक: संजीव तेरी नजरों ने बरबस जो देखा मुझे, दिल में जाकर न खंजर वो फिर आ सका मेरी नज़रों ने सीरत जो देखी तेरी, दिल को चेहरा न कोई कभी भा ...

दोहा

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एक दोहा * बीते दिन फुटपाथ पर, प्लेटफोर्म पर रात ट्रेन लेट है प्रीत की, बतला रहा प्रभात * ३०-५-२०१६

दोहा सलिला

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दोहा सलिला: संजीव * भँवरे की अनुगूँज को, सुनता है उद्यान शर्त न थककर मौन हो, लाती रात विहान * जला रही है तन-बदन, धूप दसों दिश धाक सलिल-चाँद...

समीक्षा - नवगीत, सच कहूँ तो, निर्मल शुक्ल

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पुस्तक चर्चा- 'सच कहूँ तो' नवगीतों की अनूठी भाव भंगिमा आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * [पुस्तक विवरण- सच कहूँ तो, नव...

लखनऊ प्रवास : भुलाए न भूले

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एक रचना शुष्क मौसम, संदेशे मधुर रस भरे * शुष्क मौसम, संदेशे मधुर रस भरे, नेटदूतित मिले मन मगन हो गया बैठ अमराई में कूक सुन कोकिली, दशहरी ...

चौपाल-चर्चा

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चौपाल-चर्चा: भारत में सावन में महिलाओं के मायके जाने की रीत है. क्यों न गृह स्वामिनी के जिला बदर के स्थान पर दामाद के ससुराल जाने की रीत...

तांका: एक परिचय

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विश्ववाणी हिंदी - जापानी सेतु : ताँका : एक परिचय संजीव * पंचपदी लालित्यमय, ताँका  शाब्दिक छन्द, बंधन गण पदभार तुक, बिन रचिए स्वच्छंद। प्...

मुक्तिका

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मुक्तिका : संजीव 'सलिल' भंग हुआ हर सपना * भंग हुआ हर सपना, टूट गया हर नपना. माया जाल में उलझे भूले माला जपना.. तम में स...

मुक्तिका

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मुक्तिका .....डरे रहे. संजीव 'सलिल' * हम डरे-डरे रहे. तुम डरे-डरे रहे. दूरियों को दूर कर निडर हुए, खरे रहे. हौसलों के वृक...
शुक्रवार, 29 मई 2020

अभियान २६ : स्मरण पर्व

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ॐ    विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर  ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन जबलपुर   चलभाष ९४२५१८३२४४, ईमेल salil.sanjiv@gmail.com ...

पुस्तक चर्चा: 'बुंदेली दोहे'

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पुस्तक चर्चा: 'बुंदेली दोहे' सांस्कृतिक शब्द छवियाँ मन मोहे चर्चाकार: आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * [कृति विवरण: ...
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