दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

रविवार, 28 जुलाई 2019

दोहा दुनिया

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दोहा दुनिया * जब तक मन उन्मन न हो, तब तक तन्मय हो न शांति वरण करना अगर, कुछ अशान्ति भी बो न * तब तक कुछ मिलता कहाँ, जब तक तुम कुछ खो न...
शनिवार, 27 जुलाई 2019

दोहा दुनिया - शुभ प्रभात

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दोहा दुनिया : शुभ प्रभात * रह प्रशांत रच छंद तो, शुभ प्रभात हो आप गौरैया कलरव करे, नाद सके जग व्याप  * खुली हवा में सांस ले, जी भर फिर द...

चौदह वर्णिक, अठारह मात्रिक छंद

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छंद परिचय : १  चौदह वर्णिक  अठारह मात्रिक छंद  पहचानें इस छंद को, क्या लक्षण?, क्या नाम? रच पायें तो रचें भी, मिले प्रशंसा-नाम.. * नमन उष...

एक रचना पुरुष

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एक रचना  पुरुष  * तुम्हें न देखूँ  तो शिकायत  किया करता हूँ अदेखा पुरुष हूँ न. . तुम्हें देखूँ तो शिकायत देखता हूँ पुरुष हूँ न. . काश तुम ल...

क्षणिका

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क्षणिकायें: १. आभार * आभार अर्थात आ भार. तभी कहें जब सकें स्वीकार * २. वरदान * ज़िन्दगी भरा चाहा किन्तु न पाया. अवसर मिला तो नाहक गँवाया. मन...

क्षणिका

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क्षणिकाएँ... * १. वंदना * कर पाता दिल  अगर वंदना तो न टूटता यह तय है. * २. समाधान * निंदा करना बहुत सरल है. समाधान ही मुश्किल है. * ३. सिय...

बुंदेली फाग

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सामयिक बुंदेली फाग: दिल्ली के रंग * दिल्ली के रंग रँगो गुइयाँ। जुलुस मिलें दिन-रैन, लगें नारे कई बार सुनो गुइयाँ।। जे एन यू में बसो कनै...

बुंदेली नवगीत

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बुंदेली नवगीत   कनैया नई सुदरो * नई सुदरो, बब्बा नई सुदरो  मन कारो,  कनैया नई सुदरो * कालिज मा जा खें नें खोलें किताबें भासन दें, गुंडो...

लघुकथा

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लघुकथा: गरम आँसू * टप टप टप चेहरे पर गिरती अश्रु-बूँदों से उसकी नीद खुल गयी, सास को चुपाते हुए कारण पूछा तो उसने कहा- 'बहुरिया! मोय...

बुंदेली नवगीत

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बुंदेली नवगीत : का बिगार दओ? * काए फूँक रओ बेदर्दी सें  हो खें भाव बिभोर? का बिगार दो तोरो मैंने भइया रामकिसोर?? * हँस खेलत ती संग पवन ...

बुंदेली गीत

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बुंदेली गीत  - भुन्सारे चिरैया * नई आई, बब्बा! नई आई भुन्सारे चरैया नई आई * पीपर पै बैठत थी, काट दओ कैंने? काट दओ कैंने? रे काट दओ कैंन...

बुंदेली गीत

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बुंदेली गीत - * हम का कर रए? जे मत पूछो, तुम का कर रए जे बतलाओ? * हमरो स्याह सुफेद सरीखो तुमरो धौला कारो दीखो पंडज्जी ने नोंचो-खाओ हेर सनिस...

क्षणिका

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क्षणिका  १. त्यागपत्र  * पद से त्यागपत्र पद की प्राप्ति हित  अभूतपूर्व अनुष्ठान। * २. जाँच * सत्तासीन का हर झूठ सच। सताहीन का हर झूठ सच। कि...

हास्य कुण्डलिया

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हास्य कुण्डलिया * राम देव को देखकर, हनुमत लाल विभोर। श्याम देव के सँग में, बाल मचाते शोर।। बाल मचाते शोर, न चाहें योग करें सब। ...

दोहा सलिला

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दोहा सलिला  * सद्गुरु ओशो ज्ञान दें, बुद्धि प्रदीपा ज्योत रवि-शंकर खद्योत को, कर दें हँस प्रद्योत  * गुरु-छाया से हो सके, ताप तिमिर का द...
शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

मुक्तक, द्विपदी दोहे,

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मुक्तक  खिलखिलाती रहो, चहचहाती रहो  जिंदगी में सदा गुनगुनाती रहो मेघ तम के चलें जब गगन ढाँकने सूर्य को आईना हँस दिखाती रहो * ...

समीक्षा काल है संक्रांति का -चंद्रकांता अग्निहोत्री

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समीक्षा काल है संक्रांति का चंद्रकांता अग्निहोत्री * शब्द, अर्थ, प्रतीक, बिंब, छंद, अलंकार जिनका अनुगमन करते हैं और जो सदा सत्य क...

समीक्षा चमचावली

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पुरोवाक: हास्य साहित्य परंपरा और 'चमचावली' हास्य-व्यंग्य की दीपावली  आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'  * मार्क ट्वेन ने...
1 टिप्पणी:

navgeet

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नवगीत: संजीव  * गैर कहोगे जिनको  वे ही  मित्र-सगे होंगे * ना माँगेंगे पानी-राशन ना चाहेंगे प्यार नहीं लगायेंगे वे तुमको अनचाहे फटकार शिकवे...

दोहा सलिला

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दोहा सलिलाः संजीव * प्राची पर आभा दिखी, हुआ तिमिर का अन्त अन्तर्मन जागृत करें, सन्त बन सकें सन्त * आशा पर आकाश टंगा है, कहते हैं सब लोग आश...
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