दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

गुरुवार, 27 जून 2019

दोहे बूँदाबाँदी के

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दोहे बूँदाबाँदी के: * झरझर बूँदे झर रहीं, करें पवन सँग नृत्य। पत्ते ताली बजाते, मनुज हुए कृतकृत्य।। * माटी की सौंधी महक, दे तन-मन को स्...

कवित्त घनाक्षरी विविध भाषाओँ में

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कवित्त घनाक्षरी विविध भाषाओँ में लाख़ मतभेद रहें, पर मनभेद न हों, भाई को हमेशा गले, हँस के लगाइए| लात मार दूर करें, दशमुख सा अनुज, शत्...

मैथिली हाइकु

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* मैथिली हाइकु स्नेह करब हमर मंत्र अछि गले लगबै *

लघुकथा दुहरा चेहरा

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लघुकथा दुहरा चेहरा  * - 'क्या कहूँ बहनजी, सच बोला नहीं जाता और झूठ कहना अच्छा नहीं लगता इसीलिये कहीं आना-जाना छोड़ दिया. आपके साथ तो हर ...

दोहा सलिला

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दोहा सलिला  * जिसे बसाया छाँव में, छीन रहा वह ठाँव  आश्रय मिले न शहर में, शरण न देता गाँव  * जो पैरों पर खड़े हैं, 'सलिल' उन्हीं की ...

मुक्तक

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मुक्तक  * प्राण, पूजा कर रहा निष्प्राण की  इबादत कर कामना है त्राण की  वंदना की, प्रार्थना की उम्र भर-  अर्चना लेकिन न की संप्राण की . साधन...

स्मृति गीत

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स्मृति गीत: * भाभी श्री की पुण्य याद प्रेरक पूँजी, पाथेय मुझे है। * मीठी सी मुस्कान, नयन में नेह, वाक् में घुली शर्करा। ममतामय स्पर्श श...
बुधवार, 26 जून 2019

संसमरण सलिल -विजय नेमा 'अनुज'

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नर्मदा सलिल सी निर्मलता के पर्याय आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' विजय नेमा 'अनुज' * व्यक्ति के विकास में  परिवार, समाज तथा प...

समीक्षा 'अंधी पीसे कुत्ते खाएँ'

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पुस्तक सलिला:  'अंधी पीसे कुत्ते खाएँ' खोट दिखाती हैं क्षणिकाएँ समीक्षक: आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'   * (पुस...

मुक्तक

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मुक्तक: दर्द हों मेहमां तो हँसकर मेजबानी कीजिए  मेहमानी का मजा कुछ ग़मों को भी दीजिए बेजुबां हो बेजुबानों से करें कुछ गुफ्तगू  जिंदगी की...

दोहा

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दोहा सलिला * खेत ख़त्म कर बना लें, सडक शहर सरकार खेती करने चाँद पर, जाओ कहे दरबार * पल-पल पल जीता रहा, पल-पल मर पल मौन पल-पल मानव पूछता, पाल...

दोहा सलिला

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दोहा सलिला * मीरा मत आ दौड़कर, ये तो हैं कोविंद  भूल भई तूने इन्हें, समझ लिया गोविन्द * लाल कृष्ण पीछे हुए, सम्मुख है अब राम मीरा-यादव दुखी ...

मुक्तक

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एक मुक्तक  : मैं सपनों में नहीं जी रहा, सपने मुझमें जीते रहे हैं  कोशिश की बोतल में मदिरा, संघर्षों की पीते रहे हैं. क्रंदन-रुदन न मुझको भ...

नवगीत झाड़

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नवगीत  झाड़ संजीव * नहा रहे हैं बरसातों में  हरे-भरे बतियाते झाड़ अपनी जगह हमेशा ठांड़े झूम-झूम मस्ताते झाड़ * सूर्य-बल्ब जब होता रौशन मेक...

शुद्ध ध्वनि छंद

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ॐ छंद सलिला: शुद्ध ध्वनि छंद संजीव * छंद-लक्षण: जाति लाक्षणिक, प्रति चरण मात्रा ३२ मात्रा, यति १८-८-८-६, पदांत गुरु लक्षण छंद: लाक्षणि...

आल्हा/वीर/मात्रिक सवैया छंद

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छंद सलिला: आल्हा/वीर/मात्रिक सवैया छंद संजीव * छंद-लक्षण: जाति , अर्ध सम मात्रिक छंद, प्रति चरण मात्रा ३१ मात्रा, यति १६ -१५, पदांत गुर...

बुंदेली के नीके बोल

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  १. बुंदेली के नीके बोल... संजीव 'सलिल' * तनक न चिंता करो दाऊ जू, बुंदेली के नीके बोल. जो बोलत हैं बेई जानैं, मिसरी जात कान मै...

हाइकु गीत

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हाइकु गीत: आँख का पानी संजीव 'सलिल' * आँख का पानी, मर गया तो कैसे धरा हो धानी?... * तोड़ बंधन आँख का पानी बहा. ...
शुक्रवार, 21 जून 2019

योग दिवस

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विमर्श: योग दिवस... * - योग क्या? = जोड़ना, संचय करना. - संचय क्या और क्यों करना? = सृष्टि का निर्माण और विलय का कारक है 'ऊर्जा'...

नवगीत राम रे!

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बुंदेली नवगीत  राम रे! * राम रे!  कैसो निरदै काल? * भोर-साँझ लौ गोड़ तोड़ रए कामचोर बे कैते। पसरे रैत ब्यास गादी पै भगतन संग लपेट...
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