दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

मंगलवार, 21 मई 2019

मुक्तिका: जिंदगी की इमारत

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मुक्तिका:  जिंदगी की इमारत * जिंदगी की इमारत में, नींव हो विश्वास की। प्रयासों की दिवालें हों, छत्र हों नव आस की। * बीम संयम की...

मुक्तिका

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मुक्तिका  . शब्द पानी हो गए हो कहानी खो गए . आपसे जिस पल मिले रातरानी हो गए . अश्रु आ रूमाल में प्रिय निशानी हो गए . लाल चूनर ओढ़कर क्या भवा...

गीत

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गीत  * मात्र मेला मत कहो जनगण हुआ साकार है।  * 'लोक' का है 'तंत्र' अद्भुत पर्व, तिथि कब कौन सी है? कब-कहाँ, किस तरह...

मुक्तिका दोहा

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मुक्तिका  संजीव  * मखमली-मखमली  संदली-संदली  . भोर- ऊषा-किरण मनचली-मनचली . दोपहर है जवाँ खिल गयी नव कली . साँझ सुन्दर सजी साँवली-साँवली...
सोमवार, 20 मई 2019

दोहा

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दोहा   कांता जैसी चाँदनी, लिये हाथ में हाथ। कांत चाँद सा सोहता, सदा उठाए माथ।। * कैसे हैं? क्या होएँगे?,  सोच न आती काम।  जैसा चाहे विध...

दोहा

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दोहा सलिला  * मार न पड़ती उम्र की, बढ़ता अनुभव-तेज। तब करते थे जंग, रंग जमा हुए रंगरेज।। * मन बच्चा-सच्चा रहे, कच्चा तन बदनाम। ...

समीक्षा काल है संक्रांति का

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पुस्तक चर्चा- संक्रांतिकाल की साक्षी कवितायें आचार्य भगवत दुबे  * [पुस्तक विवरण- काल है संक्रांति का, गीत-नवगीत संग्रह, आचार्...

नवगीत: बाकी न दम

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नवगीत:  बाकी न दम संजीव * जिंदगी के गणित में  कुछ इस तरह  उलझे हैं हम. बंदगी के गणित कर लें हल रही बाकी न दम. * इंद्र है युग लीन सुख में त...

रूपमाला छंद

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ॐ छंद सलिला: रूपमाला छंद संजीव * छंद-लक्षण: जाति अवतारी, प्रति चरण मात्रा २४ मात्रा, यति चौदह-दस, पदांत गुरु-लघु (जगण) लक्षण छंद: र...
रविवार, 19 मई 2019

दोहा

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दोहा सलिला  देव लात के मानते, कब बातों से बात  जैसा देव उसी तरह, पूजा करिए तात  * चरण कमल झुक लात से, मना रहे हैं खैर  आये आम चुनाव क्या?, ...

मुक्तिका

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मुक्तिका  कल्पना की अल्पना से द्वार दिल का जब सजाओ  तब जरूरी देखना यह, द्वार अपना या पराया?  . छाँह सर की, बाँह प्रिय की. छोड़ना नाहक कभी मत...

मुक्तिका

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मुक्तिका  जिनसे मिले न उनसे बिछुड़े अपने मन की बात है  लेकिन अपने हाथों में कब रह पाये हालात हैं?  . फूल गिरे पत्थर पर चोटिल होता-करता कहे ब...

मुहावरेदार दोहे

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मुहावरेदार दोहे बहुत बड़ा सौभाग्य है, होना भारी पाँव बहुत बड़ा दुर्भाग्य है होना भारी पाँव * पाँव पूजना भूलकर, फिकरे कसते लोग पाँव तोड़ने ...
शनिवार, 18 मई 2019

रसाल / सुमित्र छंद

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ॐ छंद सलिला: रसाल / सुमित्र छंद संजीव * छंद-लक्षण: जाति अवतारी, प्रति चरण मात्रा २४ मात्रा, यति दस-चौदह, पदारंभ-पदांत लघु-गुरु-लघु. ...

मुक्तक

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मुक्तक  * मेरे मन में कौन बताये कितना दिव्य प्रकाश है? नयन मूँदकर जब-जब देखा, ज्योति भरा आकाश है. चित्र गुप्त साकार दिखे शत, कण-कण...
शुक्रवार, 17 मई 2019

मधुमालती छंद

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ॐ रसानंद दे छंद नर्मदा ८१: दोहा, ​सोरठा, रोला, ​आल्हा, सार​,​ ताटंक (चौबोला), रूपमाला (मदन), चौपाई​, ​हरिगीतिका, उल्लाला​, गीतिका, ​...

मुक्तक

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मुक्तक  जीवन-पथ पर हाथ-हाथ में लिए चलें।  ऊँच-नीच में साथ-साथ में दिए चलें।। रमा-रमेश बने एक-दूजे की खातिर- जीवन-अमृत घूँट-घूँट हँस पिए चले...

मुक्तक

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मुक्तक  दाग न दामन पर लगा तो  बोल सियासत ख़ाक करी है  तीन अंगुलिया उठतीं खुद पर  एक किसी पर अगर धरी है  ** १६-५-२०१५

'सलिल' की लघुकथाएँ कान्ता रॉय

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भूमिका  आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' की लघुकथाएँ    कान्ता रॉय * आचार्य संजीव वर्मा सलिल जी का लघुकथा संग्रह आना लघुकथा की ...

मुक्तिका

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मुक्तिका  जितने चेहरे उतने रंग  सबकी अलग-अलग है जंग  . ह्रदय एक का है उदार पर  दूजे का दिल बेहद तंग . तन मन से अतिशय प्रसन्न है मन तन से है...
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