दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

रविवार, 28 अप्रैल 2019

दोहा दुनिया

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दोहा दुनिया बात से बात * बात बात से निकलती, करती अर्थ-अनर्थ अपनी-अपनी दृष्टि है, क्या सार्थक क्या व्यर्थ? * '...

नवगीत: मत हो राम अधीर

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नवगीत: मत हो राम अधीर......... * जीवन के  सुख-दुःख हँस झेलो , मत हो राम अधीर..... * भाव, अभाव, प्रभाव ज़िन्दगी. मिलन, विरह, अलगाव जि...

नव गीत: झुलस रहा गाँव

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नव गीत: झुलस रहा गाँव..... ... * झुलस रहा गाँव घाम में झुलस रहा... * राजनीति बैर की उगा रही फसल. मेहनती युवाओं की खो गयी नसल.. माटी मोल ...

दोहा, गीत

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दोहा  * शूल साथ देते सदा, फिर भी हैं बदनाम।   फूल साथ दें छोड़ पर, क्यों सुर्खरू सुनाम? * २८-४-२०१५ गीत: यह कैसा जनतंत्र... संजीव...

दोहा, मुक्तिका

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एक दोहा जय हो सदा नरेन्द्र की, हो भयभीत सुरेन्द्र. बन न जाये कर साधना, कहीं कभी देवेंद्र मुक्तिका चाँदनी फसल.. संजीव ...

काव्य वार्ता

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एक काव्य वार्ता : Sanjay bhaskar: AAP YE DEKHEN CHOTI SI RACHNAAA: 'जारी है अभी सिलसिला सरहदों पर.' ...

दोहा, काव्य प्रश्नोत्तर

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एक दोहा तनखा तन को खा रही, मन को बना गुलाम. श्रम करता गम कम 'सलिल', करो काम निष्काम.. कार्यशाला काव्य प्रश्नोत्तर ...

कुण्डलिनी

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कुण्डलिनी: संजीव 'सलिल' * हिन्दी की जय बोलिए, हो हिन्दीमय आप. हिन्दी में पढ़-लिख 'सलिल', सकें विश्व में व्...
शनिवार, 27 अप्रैल 2019

तेवरी

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तेवरी : हुए प्यास से सब बेहाल -'सलिल'. * हुए प्यास से सब बेहाल.  सूखे कुएँ नदी सर ताल.. गौ माता को दिया निकाल. श्वान रहे ग...

मुक्तिका

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मुक्तिका नारी और रंग * नारी रंग दिवानी है खुश तो चूनर धानी है लजा गुलाबी गाल हुए शहद सरीखी बानी है नयन नशीले रतनारे पर रमणी अभि...

मुक्तिका

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मुक्तिका * ज़िन्दगी हँस के गुजारोगे तो कट जाएगी. कोशिशें आस को चाहेंगी तो पट जाएगी.. जो भी करना है उसे कल पे न टालो व...

प्लवंगम् छंद

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ॐ हिंदी आटा माढ़िये, उर्दू मोयन डाल 'सलिल' संस्कृत सान दे, पूरी बने कमाल छंद सलिला: प्लवंगम् छंद संजीव * छंद-लक्षण: जाति त्रैलोक लोक...
शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

पराक्रम और शहादत: कायस्थों की विरासत

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पराक्रम और शहादत: कायस्थों की विरासत * बुद्धिजीवी माने जा रहे कायस्थजन मूलत: जुझारू रहे हैं। वे अपने प्राण संकट में डालकर देश, सम...
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