दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

शुक्रवार, 29 मार्च 2019

चिंतन: विश्वास और श्रद्धा

›
चिंतन  विश्वास और श्रद्धा  * = 'विश्वासं फलदायकम्' भारतीय चिंतन धारा का मूलमंत्र है। = 'श्रद्धावान लभते ग्यानम...

पिरामिड कविता

›
पिरामिड कविता  हूँ  भीरु,  डरता  हूँ पाप से. . न हो सकता  भारत का नेता डरता हूँ आप से. * है कौन जो रोके, मेरा मन मुझको टोंके, गलती सुधार....

बुंदेली हास्य रचना

›
बुंदेली हास्य रचना:  उल्लू उवाच  मुतके दिन मा जब दिखो, हमखों उल्लू एक. हमने पूछी: "कित हते बिलमे? बोलो नेंक" बा बोलो: "म...

होली दोहा

›
होली दोहा सलिला: * मले उषा के गाल पर, सूरज छेड़ गुलाल बादल पिचकारी लिए, फगुआ हुआ कमाल. * नीता कहती नैन से, कहे सुनीता-सैन. विनत विनीता चुप न...

सप्तश्लोकी दुर्गा

›
नवरात्रि और सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र हिंदी काव्यानुवाद सहित) * नवरात्रि पर्व में मां दुर्गा की आराधना हेतु नौ दिनों तक व्रत किया जाता ह...

नवगीत

›
नवगीत- दरक न पाऐँ दीवारें हम में हर एक तीसमारखाॅं कोई नहीं किसी से कम । हम आपस में उलझ-उलझकर दिखा रहे हैं अपनी दम । देख छिपकली डर जाते प...

मनमोहन छंद

›
छंद सलिला: मनमोहन छंद संजीव * लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ८-६, चरणांत लघु लघु लघु (नगण) होता है. लक्षण छंद: रास...

दोहा दोहा काव्य रस

›
विशेष आलेख दोहा दोहा काव्य रस संजीव दोहा भास्कर काव्य नभ, दस दिश रश्मि उजास ‌ गागर में सागर भरे, छलके हर्ष हुलास ‌ ‌ रस, भाव, संधि, बिम्ब,...

फागुन के मुक्तक

›
फागुन के मुक्तक संजीव 'सलिल' * बसा है आपके ही दिल में प्रिय कब से हमारा दिल. बनाया उसको माशूका जो बिल देने के है काबिल.. ...

होली की कुण्डलियाँ

›
होली की कुण्डलियाँ: मनायें जमकर होली संजीव 'सलिल' * होली अनहोली न हो, रखिए इसका ध्यान. मही पाल बन जायेंगे, खायें भंग का पान.. ख...
गुरुवार, 28 मार्च 2019

muktika

›
मुक्तिका संजीव * मुझमें कितने 'मैं' बैठे हैं?, किससे आँख मिलाऊँ मैं? क्या जाने क्यों कब किस-किससे बरबस आँख चुराऊँ मैं?? ...

महारास और न्यायालय

›
त्वरित प्रतिक्रिया महारास और न्यायालय * महारास में भाव था, लीला थी जग हेतु. रसलीला क्रीडा हुई, देह तुष्टि का हेतु.. न...

कार्यशाला- निवाला

›
कार्य शाला  विषय: निवाला  * त्रिपदी: हाइकु  निवाला मिला ईश्वर का आभार  भुला दो गिला।  * त्रिपदी: माहिया  प्रभु की हो कृपा जिस पर  ...
बुधवार, 27 मार्च 2019

दोहा गीत

›
दोहा गीत  * जो अव्यक्त हो,  व्यक्त है  कण-कण में साकार  काश! कभी हम पा सकें, उसके भी दीदार * कंकर-कंकर में वही शंकर कहते लोग संग हुआ है किस...

नवगीत तुम

›
नवगीत तुम  * ताप धरा का बढ़ा चैत में या तुम रूठीं? लू-लपटों में बन अमराई राहत देतीं। कभी दर्प की उच्च इमारत तपतीं-दहतीं। ब...

मधुमालती छंद

›
छंद सलिला: मधुमालती छंद संजीव * लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ७-७, चरणांत गुरु लघु गुरु (रगण) होता है. लक्षण छंद:...

छंद मनोरम

›
छंद सलिला:मनोरम छंद संजीव * लक्षण: समपाद मात्रिक छंद, जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, चरणारंभ गुरु, चरणांत गुरु लघु लघ...

मुक्तिका

›
मुक्तिका * नेताओं का शगल है, करना बहसें रोज. बिन कारण परिणाम के, क्यों नाहक है खोज.. नारी माता भगिनी है, नारी संगिनी ...

संबोधन संजीव वर्मा सलिल

›
https://youtu.be/8XU_brlvBrg

गीत

›
सच्ची बात * मेरे घर में हो प्रकाश तेरा घर बने मशाल * मेरा अनुभव है  यही पैमाने हैं दो। मुझको रिश्वत खूब दो बाकी मगर न लो मैं तेरा र...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

योगदान देने वाला व्यक्ति

  • Divya Narmada
  • Manvanter Verma
  • Vivek Ranjan Shrivastava

:: संचालक मंडल ::

  • Divya Narmada
  • Manvanter Verma
  • Vivek Ranjan Shrivastava
Blogger द्वारा संचालित.