दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

एक रचना यमराज मिराज ने

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एक रचना यमराज मिराज ने * छोड़ दिए अनालास्त्र यमराज बने मिराज ने * कठपुतली सरकार के बनकर खान प्रधान बोल बोल...
मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

सुमुखि सवैया

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सुमुखी सवैया  सूत्र: सतजलग =  सात जगण + लघु गुरु  वर्णिक मापनी - १२१  १२१  १२१  १२१  १२१  १२१  १२१  १२ * नहीं घुसपैठ सहे अब देश, करे प्र...

नवगीत थोड़ा है

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नवगीत: थोड़ा है . बहुत समझ लो सच, बतलाया थोड़ा है . मार-मार मनचाहा बुलावा लेते हो. अजब-गजब मनचाहा सच कह देते हो. काम करो, मत करो, तुम्हारी ...

लेख शिव-शक्ति

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चिंतन  शिव, शक्ति और सृष्टि  आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' सृष्टि रचना के सम्बन्ध में भारतीय दर्शन में वर्णित एक दृष्टान्त के ...

हाइकु शिव

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हाइकु: संजीव  * हर-सिंगार  शशि भभूत नाग  रूप अपार * रूप को देख धूप ठिठक गयी छवि है नयी * झूम नाचता कंठ लिपटा सर्प फुंफकारता * अर्धोन्मीलित ...

शिव भजन

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नवगीत: संजीव . शिव के मन मांहि बसी गौरा . भाँग भवानी कूट-छान के मिला दूध में हँस घोला शिव के मन मांहि बसी गौरा . पेड़ा गटकें, सुना कबीरा...

नवगीत

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नवगीत:  संजीव . उम्र भर  अक्सर रुलातीं  हसरतें. . इल्म की लाठी सहारा हो अगर राह से भटका न पातीं गफलतें. . कम नहीं होतीं कभी दुश्वारियाँ. हौ...

फागुन की फागें

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लेख: भारत की लोक सम्पदा: फागुन की फागें आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' . भारत विविधवर्णी लोक संस्कृति से संपन्न- समृद्ध परम्पराओं का...

नवगीत

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नवगीत: संजीव . हमने  बोये थे गुलाब  क्यों नागफनी उग आयी? . दूध पिलाकर जिनको पाला बन विषधर डँसते हैं, जिन पर पैर जमा बढ़ना था वे पत्त्थर धँसत...

लेख ईसुरी की फागें

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शोध लेख: बुन्देली लोकरंग की साक्षी : ईसुरी की फागें संजीव वर्मा 'सलिल' . बुंदेलखंड के महानतम लोककवि ईसुरी के काव्य में लोकजीवन...

कुंडली पूर्णिमा बर्मन संजीव सलिल

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रचना एक : रचनाकार दो वासंती कुंडली दोहा: पूर्णिमा बर्मन रोला: संजीव वर्मा * वसंत-१ ऐसी दौड़ी फगुनहट, ढाँणी-चौक फलाँग। फागुन झूमे खेत में, मा...

दोहा सलिला

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दोहा सलिला ट्रस्टीशिप सिद्धांत लें, पूँजीपति यदि सीख सबसे आगे सकेगा, देश हमारा दीख * लोकतंत्र में जब न हो, आपस में संवाद तब बरबस आते हमे...

मुक्तिका

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एक व्यंग्य मुक्तिका  * छप्पन इंची छाती की जय  वादा कर, जुमला कह निर्भय * आम आदमी पर कर लादो सेठों को कर्जे दो अक्षय * उन्हें सिर्फ सत्ता से...

समीक्षा: यादें बनीं लिबास

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कृति चर्चा: दोहों में प्रणय-सुवास: यादें बनी लिबास  आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * [कृति विवरण: यादें बनीं लिबास, दोहा संग्रह,...

नवगीत: गुरु जी हैं लघुकथा

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नवगीत * गुरु जी हैं लघुकथा चेले जी उपन्यास * काया लघु छाया का शतगुण विस्तार कौन कहे कल्पना का क्या आकार सच से बच गढ़ रहे कैसा संसा...
सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

रचना आमंत्रण

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रचनाएँ आमंत्रित। ------------------------- फणीश्वरनाथ रेणु डॉट कॉम ( www.phanishwarnathrenu.com ) वेबसाइट नए तेवर और कलेवर के साथ ...
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