दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

बुधवार, 23 जनवरी 2019

बासंती मुक्तक

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मुक्तक  * श्वास-श्वास आस-आस झूमता बसन्त हो  मन्ज़िलों को पग तले चूमता बसन्त हो  भू-गगन हुए मगन दिग-दिगन्त देखकर  लिए प्रसन्नता अनंत घूमता बस...

muktak

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मुक्तक  * देश है पहले सियासत बाद में।  शत्रु मारें; हो इनायत बाद में।। बगावत को कुचल दें हम साथ मिल- वार्ता की हो रवायत बाद में।। * जगह दहश...

मुक्तिका: रात

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मुक्तिका: रात संजीव ( तैथिक जातीय पुनीत छंद ४-४-४-३, चरणान्त sssl) .  चुपके-चुपके आयी रात सुबह-शाम को भायी रात झरना नदिया...

नवगीत सड़क पर

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नवगीत सड़क पर * सड़क पर सिसकती-घिसटती  हैं साँसें। * इज्जत की इज्जत यहाँ कौन करता? हल्ले के हाथों सिसक मौन मरता। झुठला दे सच, अफसरी झूठ धाँस...

गीत

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गीतः  सुग्गा बोलो  जय सिया राम... सन्जीव * सुग्गा बोलो जय सिया राम... * काने कौए कुर्सी को पकड़ सयाने बन बैठे भूल गये रुकना-झुकना देख आईना ...

दोहा मुक्तिका

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दोहा मुक्तिका * हर संध्या संजीव हो, स्वप्नमयी हो रात। आँख मिलाकर ज़िंदगी, करे प्रात से बात।। * मंजूषा मन की रहे, स्नेह...
मंगलवार, 22 जनवरी 2019

गीत: सबरी माला

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एक रचना  सबरीमाला  * सबरीमाला केंद्र है,  जनगण के विश्वास का।  नर-नारी के साम्य का, ईश्वर के अहसास का * जो पतितों को तारता, उससे दूर न कोई ...

मुक्तक

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मुक्तक * देश है पहले सियासत बाद में। शत्रु मारें; हो इनायत बाद में।। बगावत को कुचल दें हम साथ मिल- वार्ता की हो रवायत...

समीक्षा: सड़क पर -संतोष शुक्ल

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पुस्तक चर्चा * ''सडक़ पर'' नवगीत संग्रह, गीतकार-आचार्य संजीव वर्मा ' सलिल ' संतोष शुक्ल *...
सोमवार, 21 जनवरी 2019

समीक्षा- हाइकु संग्रह -मंजूषा मन

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कृति परिचय: अभिनव प्रयोग: हाइकु संग्रह की हाइकु समीक्षा ''मैं सागर सी'' हाइकु-ताँका लहरों की मंजूषा चर्चाकार: आचार्य ...
रविवार, 20 जनवरी 2019

sabari mala

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एक रचना  सबरीमाला  * सबरीमाला केंद्र है,  जनगण के विश्वास का।  नर-नारी के साम्य का, ईश्वर के अहसास का * जो पतितों को तारता, उससे दूर न कोई ...
1 टिप्पणी:
गुरुवार, 17 जनवरी 2019

समीक्षा: सड़क पर 'शांत'

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समीक्षा: आश्वस्त करता नवगीत संग्रह 'सड़क पर' देवकीनंदन 'शांत' * [कृति विववरण: सड़क पर, गीत-नवगीत संग्रह, आचार्य संजीव वर...
बुधवार, 16 जनवरी 2019

tripadika muktika

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त्रिपदिक मुक्तिका  * निर्झर कलकल बहता  किलकिल न करो मानव  कहता, न तनिक सुनता।  * नाहक ही सिर धुनता सच बात न कह मानव मिथ्या सपने बुनता। * जो...

doha muktika

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दोहा मुक्तिका संजीव  *  दोहा दर्पण में दिखे, साधो सच्चा रूप।  पक्षपात करता नहीं, भिक्षुक हो या भूप।। * सार-सार को गह रखो, थोथा देना फेंक। म...

muktika

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मुक्तिका: संजीव . अपने क़द से बड़ा हमारा साया है  छिपा बीज में वृक्ष समझ अब आया है खड़ा जमीं पर नन्हे पैर जमाये मैं मत रुक, चलता रह रवि ...

geet vatsalya ka kambal

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अभिनव प्रयोग: गीत वात्सल्य का कंबल संजीव * गॉड मेरे! सुनो प्रेयर है बहुत हंबल कोई तो दे दे हमें वात्सल्य का कंबल.... * अब मिले सरदार...

कृति चर्चा: चिप्पू -गीता गीत

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कृति चर्चा: 'चिप्पू' क़िस्सागोई को ज़िंदा करती कहानियाँ आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * (कृति विवरण: चिप्पू, कहानी संग्रह, ग...
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