दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

बुधवार, 26 दिसंबर 2018

samiksha 'गज़ल रदीफ़,-काफ़िया और व्याकरण'

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पुस्तक चर्चा- 'गज़ल रदीफ़,-काफ़िया और व्याकरण' अपनी मिसाल आप   चर्चाकार- आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * पुस्तक विवरण- ...

navgeet

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एक रचना:  * तुमने बुलाया  और  हम चले आये रे ! !   * लीक छोड़ तीनों चलें शायर सिंह सपूत लीक-लीक तीनों चलें कायर कुटिल कपूत बहुत लड़े, आओ! बने...

navgeet

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जनगीत :  हाँ बेटा  संजीव  .  चंबल में  डाकू होते थे हाँ बेटा! . लूट किसी को मार किसी को वे सोते थे? हाँ बेटा! . लुटा किसी पर बाँट किसी को य...

कुण्डलिया, त्रिपदी, मुक्तक, दोहे,

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दो कवि एक कुंडली  नर-नारी  * नारी-वसुधा का रहा, सदा एक व्यवहार  ऊपर परतें बर्फ कि, भीतर हैं अंगार -संध्या सिंह  भीतर हैं अंगार, सिंगार न के...

navgeet

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नवगीत:  संजीव .  सांस जब  अविराम चलती जा रही हो  तब कलम  किस तरह  चुप विश्राम कर ले? . शब्द-पायल की सुनी झंकार जब-जब अर्थ-धनु ने की तभी ट...

navgeet

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नवगीत: संजीव। .  सांताक्लाज! बड़े दिन का उपहार  न छोटे दिलवालों को देना . गुल-काँटे दोनों उपवन में मधुकर कलियाँ खोज दिनभर चहके गुलशन में ज्य...

कवितायेँ स्व. आचार्य श्यामलाल उपाध्याय

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कुछ कवितायेँ स्व. आचार्य श्यामलाल उपाध्याय, कोलकाता * १. कवि-मनीषी     साधना संकल्प करने को उजागर औ' प्रसारण मनुजता के भाव ...

laghukatha

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लघुकथा एकलव्य संजीव वर्मा 'सलिल' * - 'नानाजी! एकलव्य महान धनुर्धर था?' - 'हाँ; इसमें कोई संदेह नहीं...
शनिवार, 22 दिसंबर 2018

समीक्षा- रामचंद्र प्रसाद कर्ण

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कृति चर्चा: शब्दांजलि : गीतिकाव्यमय भावांजलि  आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * [कृति विवरण: शब्दांजलि, काव्य संग्रह, रामचंद्र प्...

muktak

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मुक्तक: * दे रहे सब कौन सुनता है सदा? कौन किसका कहें होता है सदा? लकीरों को पढ़ो या कोशिश करो- वही होता जो है किस्मत म...
शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

नवगीत

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नवगीत: कैसे पाएँ थाह? * ठाकुर हों या ठकुराइन हम दौंदापेली चाह। बात नहीं सुनते औरों की कैसे पाएँ थाह? * तीसमार खाँ मानें खुदको दिखा...

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दण्डक छंद सलिला   जिस काव्य रचना की प्रत्येक पंक्ति में २६ से अधिक अर्थात २७ या अधिक वर्ण, सामान्य गणों के साथ हों उन्हें दण्डक छंद कहते...

यमकीय दोहे

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यमकीय दोहे  :  'माँग भरें' वर माँगकर, गौरी हुईं प्रसन्न  वर बन बौरा माँग भर, हुए अधीन- न खिन्न  * तिल-तिल कर जलता रहा, तिल भर किया...
1 टिप्पणी:

नवगीत

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संजीव वर्मा 'सलिल' 20 दिसंबर 2015  ·  एक रचना  भीड़ में * नाम के रिश्ते कई हैं काम का कोई नहीं भोर के चाहक...
गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

व्यंग्य विधा

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लेख:  विधा में व्यंग्य या व्यंग में विधा  संजीव  व्यंग्य का जन्म समकालिक विद्रूपताओं से जन्मे असंतोष से होता है। व्यंग्य एक अलग विधा ...
बुधवार, 19 दिसंबर 2018

chutaki geet, doha geet

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चुटकी गीत * इच्छा है यदि शांति की कर ले इच्छा शांत। * बरस इस बरस मेघ आ! नमन करे संसार। न मन अगर तो नम न हो, ...
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